Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Sep 2016 · 5 min read

‘पूछ न कबिरा जग का हाल’ [ लम्बी तेवरी , तेवर-शतक ] +रमेशराज

खुशी न लेती आज उछाल
इस जीवन से अच्छी मौत भइया रे। 1

पूछ न मुझसे मेरा हाल
मुझको किश्तों में दी मौत भइया रे। 2

है जीवन फूलों की डाल
उसे सूँघती तितली मौत भइया रे। 3

कभी घास से पूछ सवाल
कैसे रचती खुरपी मौत भइया रे। 4

तरल तरंगित कल का हाल
अब है कफ्फन-काँटी-मौत भइया रे। 5

‘एण्डरसन’ आकर भोपाल
बाँटी सिर्फ मौत ही मौत भइया रे। 6

यदि दहेज का आज सवाल
कल पायेगी बेटी मौत भइया रे। 7

पके नहीं थे सच के बाल
सच ने पायी कच्ची मौत भइया रे। 8

जीवन है यदि दुग्ध-उबाल
होती जमे दही-सी मौत भइया रे। 9

खत्म हुए सारे स्वर-ताल
टूटी हुई बाँसुरी मौत भइया रे। 10

गर्म रेत जब भरे उछाल
तो हो फूल-कली की मौत भइया रे। 11

घर का बँटवारा हर हाल
अब भइया, भइया की मौत भइया रे। 12

जल में मछुआरे का जाल
मीनों की अब आयी मौत भइया रे। 13

हुए ख्वाब रंगीन हलाल
तर आँखों में तेरी मौत भइया रे। 14

बदन दिया केरोसिन डाल
अब माचिस की तीली मौत भइया रे। 15

ये निर्बन्ध नदी का हाल
बनकर आया पानी मौत भइया रे। 16

कहाँ ‘भगत’ जैसा अब लाल
जो मुस्काये फाँसी-मौत भइया रे। 17

पूछ न कबिरा जग का हाल
बिन पाटों की चाकी मौत भइया रे। 18

काली-काली भोर, न लाल
भोर हुए सूरज की मौत भइया रे। 19

बेटा पाकर गर्भ निहाल
पर पाती है बेटी मौत भइया रे। 20

पउआ लेता प्राण निकाल
कहीं बनी है पिन्नी मौत भइया रे। 21

कलियुग में बस यही कमाल
हँस-हँस सबने बेची मौत भइया रे। 22

देख पतंगा दीप निहाल
उसको पल-पल सूझी मौत भइया रे। 23

झट एटम ने किया कमाल
थल से लेकर जल भी मौत भइया रे। 24

बना कबूतर जैसा हाल
पास खड़ी बन बिल्ली मौत भइया रे। 25

भूत-प्रेत के जिधर धमाल
खोल रही वो खिड़की मौत भइया रे। 26

दूध करे तन आज हलाल
धीरे -धीरे दे घी मौत भइया रे। 27

बधिक रहा है चारा डाल
बकरा सोचे, ‘आयी मौत’ भइया रे। 28

देख लिया जीवन का हाल
आगे हमें देखनी मौत भइया रे। 29

वहाँ-वहाँ थे जीव निढाल
जहाँ-जहाँ भी डोली मौत भइया रे। 30

बस्ती पर बम दिया उछाल
चिथड़े-चिथड़े बिखरी मौत भइया रे। 31

जहरखुरानों का ये हाल
लेकर आये ‘बरफी-मौत’ भइया रे। 32

यही बुढ़ापे बीच मलाल
खाक ज़िन्दगी, अच्छी मौत भइया रे। 33

रूप लिये था ‘घन’ विकराल
पोखर-नदिया झलकी मौत भइया रे। 34

ज़िन्दा रहना बना सवाल
बच जायेंगे तो भी मौत भइया रे। 35

राम बने रावण-सम ज्वाल
माँग रहे अब तुलसी मौत भइया रे। 36

हम सुकरात रहे हर हाल
अमृत के सम पी ली मौत भइया रे। 37

पिय के पहले प्राण निकाल
फिर तोड़े तिय-चूड़ी मौत भइया रे। 38

कहीं टिकी सर पर द्विनाल
कहीं गले में रस्सी मौत भइया रे। 39

जीवन जहाँ मौन का जाल
देती वहाँ गवाही मौत भइया रे। 40

थर-थर काँप रही हर डाल
बनकर खड़ी कुल्हाड़ी मौत भइया रे। 41

जीवन, चहल-पहल-भूचाल
जीवन में खामोशी मौत भइया रे। 42

कहाँ बँध सुख सबके भाल
दुःख जीवन में, दुःख ही मौत भइया रे। 43

चल मूरख चाहे जिस चाल
कदम-कदम पर बैठी मौत भइया रे। 44

भले गले का खस्ता हाल
पेश न करे मुलैठी मौत भइया रे। 45

तेरी रंगत हो बदहाल
जब छूएगी चमड़ी मौत भइया रे। 46

सुत के लेती प्राण निकाल
‘मोरध्वज की आरी’ मौत भइया रे। 47

कुंडल-कवच न रखे सँभाल
वो ही मरे ‘करण’ सी मौत भइया रे। 48

जीवन कुछ साँसों की चाल
इसके बाद मौत ही मौत भइया रे। 49

मुंसिफ गद्दारों की ढाल
देशभक्त को लिख दी मौत भइया रे। 50

अब भी दयानंद-सा हाल
मरना है पारे की मौत भइया रे। 51

खाकर गोली हुआ निढाल
आशिक पाये मीठी मौत भइया रे। 52

भले कमल जैसा हो हाल
कीचड़ में कीचड़-सी मौत भइया रे। 53

नगरवधू-सी बन वाचाल
कर संकेत बुलाती मौत भइया रे। 54

पत्नी आशिक संग निहाल
पति को पता न, पत्नी मौत भइया रे। 55

जीव असीमित किये हलाल
फिर भी रही ‘सुनामी’ मौत भइया रे। 56

फिर से वही ‘जुए’ की चाल
कुरुकुल बीच द्रौपदी मौत भइया रे। 57

रेप, फिरौती, छल, भूचाल
अखबारों की सुर्खी मौत भइया रे। 58

लखि माया मन भरे उछाल
कल को ‘खालीमुट्ठी-मौत’ भइया रे। 59

सबको फँसना है हर हाल
जाल पूरती मकड़ी मौत भइया रे। 60

जीवन सुख का क्षणिक उबाल
भय की ‘बारहमासी’ मौत भइया रे। 61

सूख गयी जब काया-डाल
कोयल जैसी कूकी मौत भइया रे। 62

रावण पाये मृत्यु अकाल
काल-विजेता की भी मौत भइया रे। 63

दिन के बाद रात का जाल
हँसी-ठहाके-चुप्पी-मौत भइया रे। 64

पूर्ण हुई जीवन की चाल
बेटा-नाती-पंती-मौत भइया रे। 65

मधुर दुग्ध जीवन फिलहाल
पड़ी दूध में मक्खी मौत भइया रे। 66

धीरे -धीरे शाम निढाल
होती गयी सुबह की मौत भइया रे। 67

जिसको बजा रहा है काल
वो खतरे की घंटी मौत भइया रे। 68

शिव का शव बनना हर हाल
लिये आग की कण्डी मौत भइया रे। 69

बेटी भागी, बनी छिनाल
बाप कहे अब ‘कुल’ की मौत भइया रे। 70

काया का मद कितने साल
साथ-साथ जब चलती मौत भइया रे। 71

जीवन बनता एक सवाल
जब ले उल्टी गिनती मौत भइया रे। 72

प्रहलादों के हिस्से ज्वाल
अग्नि-सहेली ‘होली’ मौत भइया रे। 73

भर ले तब तक जीव उछाल
जब तक रहे अजनवी मौत भइया रे। 74

कुछ दिन तक ये सरल सवाल
फिर है आड़ी-तिरछी मौत भइया रे। 75

थमती तुरत रक्त की चाल
पकड़े नब्ज जरा-सी मौत भइया रे। 76

तुझको देगी औंधा डाल
तीरंदाज-तोपची मौत भइया रे। 77

ले अन्तिम भी बूँद निकाल
बनी रक्त की प्यासी मौत भइया रे। 78

वह था बन तैराक निहाल
जिसकी लहरों में थी मौत भइया रे। 79

कब देखा पंछी ने जाल
दाना बनकर बिखरी मौत भइया रे। 80

जग माया लिपटे का जाल
माया से आजादी मौत भइया रे। 81

सुख में दर्दों का भूचाल
बनकर कम्पन आयी मौत भइया रे। 82

तू बन्दर-सा भरे उछाल
तेरे लिए मदारी मौत भइया रे। 83

किसने समझा यह जंजाल
किसने आकी-नापी मौत भइया रे। 84

सागर-तट पर देख कमाल
पूनम-रात चांदनी मौत भइया रे। 85

मरुथल बीच फैंककर ज्वाल
बन जाता सूरज भी मौत भइया रे। 86

जिनके पास न सच की माल
मिलनी उन्हें तामसी मौत भइया रे। 87

मौत कहे मत पूछ सवाल
आगे होगी किसकी मौत भइया रे। 88

लेती ब्रैड-बेकरी डाल
तन्दूरों की भट्टी मौत भइया रे। 89

चले मिलन की इच्छा पाल
सागर बीच नदी की मौत भइया रे। 90

वायुयान में बैठा लाल
थल को छोड़ हवाई मौत भइया रे। 91

जब ले डमरू-शूल निकाल
जीवन-दाता शिव भी मौत भइया रे। 92

तेरे ही फाले में डाल
खेले क्रूर कबड्डी मौत भइया रे। 93

पहलवान बन ठोंके ताल
तोड़े पसली-हड्डी मौत भइया रे। 94

‘टूटा मुस्कानों का जाल’
आ अधरों पर बोली मौत भइया रे। 96

सब कुछ है ‘जीरो’ हर हाल
हल करती यह गुत्थी मौत भइया रे। 99

बना आज हर धर्म सवाल
लिये दुनाली उगली मौत भइया रे। 100

जीत इसी की है हर हाल
चले जिधर भी गोटी मौत भइया रे। 101

दर्शक के मन में भूचाल
अभिनेता की नकली मौत भइया रे। 102

छन्छबद्ध चुटकुले निकाल
कवि ने की कविता की मौत भइया रे। 103

सास बहू से करे सवाल
कब आयेगी तेरी मौत, भइया रे। 104

जीवन की टूटी मणि-माल
सब रोयें पर हँसती मौत भइया रे। 105

बाजारों में लोग दलाल
होनी नैतिकता की मौत भइया रे। 106

जो करते धरती को लाल
उनको रचे तेवरी मौत भइया रे। 108
…………………………………………………………….
+रमेशराज, ईसा नगर, निकट थाना सासनीगेट, अलीगढ़-202001
मो.-9634551630

Language: Hindi
556 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
किसी महिला का बार बार आपको देखकर मुस्कुराने के तीन कारण हो स
किसी महिला का बार बार आपको देखकर मुस्कुराने के तीन कारण हो स
Rj Anand Prajapati
मैं यूं ही नहीं इतराता हूं।
मैं यूं ही नहीं इतराता हूं।
नेताम आर सी
सत्तावन की क्रांति का ‘ एक और मंगल पांडेय ’
सत्तावन की क्रांति का ‘ एक और मंगल पांडेय ’
कवि रमेशराज
!! मेरी विवशता !!
!! मेरी विवशता !!
Akash Yadav
आदि शक्ति माँ
आदि शक्ति माँ
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
उठे ली सात बजे अईठे ली ढेर
उठे ली सात बजे अईठे ली ढेर
नूरफातिमा खातून नूरी
कृपाण घनाक्षरी....
कृपाण घनाक्षरी....
डॉ.सीमा अग्रवाल
2680.*पूर्णिका*
2680.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अगर मुझे तड़पाना,
अगर मुझे तड़पाना,
Dr. Man Mohan Krishna
■ बच कर रहिएगा
■ बच कर रहिएगा
*Author प्रणय प्रभात*
Love is
Love is
Otteri Selvakumar
गांव अच्छे हैं।
गांव अच्छे हैं।
Amrit Lal
ना होगी खता ऐसी फिर
ना होगी खता ऐसी फिर
gurudeenverma198
तेरे आँखों मे पढ़े है बहुत से पन्ने मैंने
तेरे आँखों मे पढ़े है बहुत से पन्ने मैंने
Rohit yadav
आत्मविश्वास की कमी
आत्मविश्वास की कमी
Paras Nath Jha
बचपन, जवानी, बुढ़ापा (तीन मुक्तक)
बचपन, जवानी, बुढ़ापा (तीन मुक्तक)
Ravi Prakash
उसकी एक नजर
उसकी एक नजर
साहिल
देश हमारा भारत प्यारा
देश हमारा भारत प्यारा
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
Kabhi kabhi hum
Kabhi kabhi hum
Sakshi Tripathi
करम के नांगर  ला भूत जोतय ।
करम के नांगर ला भूत जोतय ।
Lakhan Yadav
मुद्दतों बाद खुद की बात अपने दिल से की है
मुद्दतों बाद खुद की बात अपने दिल से की है
सिद्धार्थ गोरखपुरी
प्रेम बनो,तब राष्ट्र, हर्षमय सद् फुलवारी
प्रेम बनो,तब राष्ट्र, हर्षमय सद् फुलवारी
Pt. Brajesh Kumar Nayak
ढूॅ॑ढा बहुत हमने तो पर भगवान खो गए
ढूॅ॑ढा बहुत हमने तो पर भगवान खो गए
VINOD CHAUHAN
Parents-just an alarm
Parents-just an alarm
Sukoon
ओ जानें ज़ाना !
ओ जानें ज़ाना !
The_dk_poetry
"कलम का संसार"
Dr. Kishan tandon kranti
ना देखा कोई मुहूर्त,
ना देखा कोई मुहूर्त,
आचार्य वृन्दान्त
कभी कभी खामोशी भी बहुत सवालों का जवाब होती हे !
कभी कभी खामोशी भी बहुत सवालों का जवाब होती हे !
Ranjeet kumar patre
تونے جنت کے حسیں خواب دکھائے جب سے
تونے جنت کے حسیں خواب دکھائے جب سے
Sarfaraz Ahmed Aasee
नवीन और अनुभवी, एकजुट होकर,MPPSC की राह, मिलकर पार करते हैं।
नवीन और अनुभवी, एकजुट होकर,MPPSC की राह, मिलकर पार करते हैं।
पूर्वार्थ
Loading...