Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Oct 2017 · 2 min read

दिवाली को मैंने बस यूं अकेले मनते ही देखा है

मैंने अब रिश्तो में कटुता देखी है
मन में कुंठा दिलों में उदासी देखी है
कहने को है परिवार बड़ा..
दिवाली को मैंने बस यूं अकेले मनते ही देखा है

स्वार्थ में है इंसान दुखी,मन में अहं की रेखा है
माफ़ी वो मांगे या मैं माँगू
मन में वैर पाले इंसान को मैंने देखा है
दिवाली को मैंने बस यूं अकेले मनते ही देखा है

अहं में एक दूसरे को बस नीचा दिखाते देखा है
टूट जाना मंजूर पर झुकते ना किसी को देखा है
ये “मैं” ही बस रिश्तो में लक्ष्मण रेखा है
दिवाली को मैंने बस यूं अकेले मनते ही देखा है

रिश्ता निभाने की पहल करे जो
उसे भी आंसू बहाते ही देखा है
अपनो की खुशी में खुद को जलाते ही देखा है
दिवाली को मैंने बस यूं अकेले मनते ही देखा है

माफ़ी मांग लेना और माफ़ कर देना
इक दूज़े को बस यूं ही गले से लगाना
मन में ना हो मैल..ना हो कोई झूठा फ़साना
मिलजुल कर बस सब खुशियाँ मनाना
ए दोस्त कुछ यूं तुम दिवाली मना जाना
सबके दिलों में घर कर जाना

स्वार्थ के लिये ना रिश्ते बनाना
मौका मिले तो सारथी बन जाना
दुख दूसरों के अपने बना जाना
घर के संग मन को भी अपने स्वच्छ कर जाना
कुछ इस तरह तुम दिवाली मनाना
मकसद हो बस खुशियाँ फ़ैलाना

न हो मन में कोई भी गांठ
ना ही हो कोई बदले की भावना
क्योंकि मैने अपनो को ही इस अग्नि में जलते देखा है
इस आग में अक्सर रिश्तो को मरते देखा है
आजकल दिवाली को मैंने बस यूं अकेले मनते ही देखा है
बस अकेले मनते ही देखा है
©® अनुजा कौशिक

Language: Hindi
503 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
आतंकवाद
आतंकवाद
नेताम आर सी
3204.*पूर्णिका*
3204.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मकरंद
मकरंद
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
इतना क्यों व्यस्त हो तुम
इतना क्यों व्यस्त हो तुम
Shiv kumar Barman
💐Prodigy Love-12💐
💐Prodigy Love-12💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
जिंदगी की बेसबब रफ्तार में।
जिंदगी की बेसबब रफ्तार में।
सत्य कुमार प्रेमी
अंधेरे आते हैं. . . .
अंधेरे आते हैं. . . .
sushil sarna
प्रेम छिपाये ना छिपे
प्रेम छिपाये ना छिपे
शेखर सिंह
इरशा
इरशा
ओंकार मिश्र
*
*"अवध के राम आये हैं"*
Shashi kala vyas
Jindagi ka safar bada nirala hai ,
Jindagi ka safar bada nirala hai ,
Sakshi Tripathi
आर्या कंपटीशन कोचिंग क्लासेज केदलीपुर ईरनी रोड ठेकमा आजमगढ़
आर्या कंपटीशन कोचिंग क्लासेज केदलीपुर ईरनी रोड ठेकमा आजमगढ़
Rj Anand Prajapati
मृत्यु पर विजय
मृत्यु पर विजय
Mukesh Kumar Sonkar
ये दुनिया थोड़ी टेढ़ी है, तू भी बगल कटारी रख (हिंदी गजल/गीति
ये दुनिया थोड़ी टेढ़ी है, तू भी बगल कटारी रख (हिंदी गजल/गीति
Ravi Prakash
किसके हाथों में थामो गे जिंदगी अपनी
किसके हाथों में थामो गे जिंदगी अपनी
कवि दीपक बवेजा
नूतन वर्ष
नूतन वर्ष
Madhavi Srivastava
तिलक-विआह के तेलउँस खाना
तिलक-विआह के तेलउँस खाना
आकाश महेशपुरी
रिश्ते से बाहर निकले हैं - संदीप ठाकुर
रिश्ते से बाहर निकले हैं - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
अमीरों का देश
अमीरों का देश
Ram Babu Mandal
मुद्रा नियमित शिक्षण
मुद्रा नियमित शिक्षण
AJAY AMITABH SUMAN
यह दुनिया भी बदल डालें
यह दुनिया भी बदल डालें
Dr fauzia Naseem shad
ज़िंदगी...
ज़िंदगी...
Srishty Bansal
यादों की शमा जलती है,
यादों की शमा जलती है,
Pushpraj Anant
********* आजादी की कीमत **********
********* आजादी की कीमत **********
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
उसका चेहरा उदास था
उसका चेहरा उदास था
Surinder blackpen
बस अणु भर मैं
बस अणु भर मैं
Atul "Krishn"
पुष्पों की यदि चाह हृदय में, कण्टक बोना उचित नहीं है।
पुष्पों की यदि चाह हृदय में, कण्टक बोना उचित नहीं है।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
तुम होते हो नाराज़ तो,अब यह नहीं करेंगे
तुम होते हो नाराज़ तो,अब यह नहीं करेंगे
gurudeenverma198
जीवन की अभिव्यक्ति
जीवन की अभिव्यक्ति
मनमोहन लाल गुप्ता 'अंजुम'
■ धूर्तता का दौर है जी...
■ धूर्तता का दौर है जी...
*Author प्रणय प्रभात*
Loading...