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12 Jun 2017 · 1 min read

छत पर चाँद

आज मेरी छत पर वो चाँद आया
उसको देख आँखों को सुकून आया

जब लबो पर तबस्सुम का मंजर छाया
पतझड़ के आलम में बसंत घिर आया

उसकी रानाइयाँ का तो क्या कहना
पेड़ पर बसंत औऱ दिल मे सर्द आया

मेरा दिल बिना उमंग तरंग के उदास था
देख दिल की बंजर जमी पर सावन छाया

मुसलसल अंधेरो ने मुझे घेरे रखा था
उस चाँद से जीवन में आफ़ताब छाया

ये तो सिर्फ चंद ही उदाहरण है ‘ऋषभ’
बैसे चाँद सूने से जीवन में हर महक लाया

रचनाकर ऋषभ तोमर

1 Like · 266 Views
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