?? सीखो प्रकृति से कुछ??
फूलों से तुम हँसना सीखो रे भाई।
कलियों से सीखो मुस्क़राना भाई।।
पेड़ों से सीखो सर्वस्व लुटाना रे तुम।
नदियों से सीखो रफ़्तार लगाना भाई।।
पर्वत से ऊपर उठना सीखो रे तुम।
फ़सलों से सीखो भूख मिटाना भाई।।
सागर से मेल मिलाप सीखो रे तुम।
चिड़ियों से सीखो चहचहाना भाई।।
चींटी से मेहनत करना सीखो रे तुम।
मकड़ी से सीखो घर बनाना भाई।।
झरनों से कलकल बहना सीखो रे तुम।
बुलबुल से सीखो गाना तराना भाई।।
चंन्द्र-सूर्य से मुसाफ़िरी सीखो रे तुम।
ख़ुशबू से सबके मन में भाना भाई।।
“प्रीतम” से प्रीत सीख लीजिए रे तुम।
हार से सीखिए गले मिल जाना भाई।।
राधेश्याम “प्रीतम” कृत
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