?? बादल दीवाना हो गया??
धरती की बेचैनी देखी,मानसून का आना हो गया।
छमछमाछम बरसा ऐसे,बादल दीवाना हो गया।।
प्रेम की बूँदें गिरी जो,धरती का दिल भी डोल गया। ऐसे बिखरी रूप की हरियाली,सारा जग नज़राना हो गया।।
तन की शोभा,मन की शोभा,प्रेम से फूले-फले।
जिसके हृदय प्रेम फला,हरदिन सुहाना हो गया।।
विरहाग्नि बुझ गई तन लागी,प्रेम-दीपक जला।
ऐसा फैला प्रेम-उजाला,रोशन ज़माना हो गया।।
पेड़ों से लिपटकर बैलें,प्रेम का खेल हैं खेलें।
फूलों से लद्द गई दीवानी,मौसम मस्ताना हो गया।।
आपको आना था यहाँ,हमको भी आना था यहाँ।
आप आए हम आए,मुलाक़ात का बहाना हो गया।।
ऐसी क्या ख़ता हुई हमसे,आप क्यों आए नहीं।
ज्येष्ठ बीता,अषाढ बीता,सावन का आना हो गया।।
आप जो गुज़रे चमन से,फूलों में रंग आ गए।
देखकर रंग फूलों का,भ्रमर दीवाना हो गया।।
बादल बन बरसा यादें,”प्रीतम”प्रिया के आँगन।
मन की हलचल कहे झूम,दिल दीवाना हो गया।।
राधेश्याम “प्रीतम” कृत रचना
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