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10 Oct 2016 · 1 min read

आकर राधे देख लो

आकर राधे देख लो तुम कलयुगी संसार
नारी का मान करे नही वो कैसे करेगा प्यार

तुम्हारे समर्पण पर कान्हा ने खोला ह्रदय द्दार
पर नहीं किसी को अब समर्पण की दरकार

इस कलयुग मे प्रेम का रूप बदलते देखो
स्वारथ के आगे निसदिन प्रेम रहा हार

कान्हा संग सदियो से तुम प्रेम मिसाल बनी बैठी हो
यहां टिकता नहीं प्रेम अब गुजरे दिन जब चार

Language: Hindi
506 Views
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