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9 Sep 2023 · 1 min read

*हॅंसते बीता बचपन यौवन, वृद्ध-आयु दुखदाई (गीत)*

हॅंसते बीता बचपन यौवन, वृद्ध-आयु दुखदाई (गीत)
————————————-
हॅंसते बीता बचपन यौवन, वृद्ध-आयु दुखदाई
1)
जैसे-जैसे उम्र बढ़ रही, ताकत कम हो जाती
चार कदम-भर चलने में ही, अति थकान है आती
जीना चढ़ना एक बार भी, समझो शामत आई
2)
हाथों से अब बोझ न उठता, यह अतिशय लाचारी
अब मस्तिष्क काम कम करता, सर है भारी-भारी
याद भूलने की बीमारी, बूढ़ों ने है पाई
3)
बात-बात पर भावुक है मन, यादों में खो जाता
चले गए हैं जो इस जग से, उन पर अश्रु बहाता
अंतिम दौर कटा बिस्तर पर, तबियत सुन घबराई
4)
चलते हुए हाथ-पैरों से, अंतिम क्षण तक दीखें
प्रखर बुद्धि के साथ हे प्रभो, सिखलाऍं-कुछ सीखें
चाह यही है पाऍं जग में, सुंदर सुखद विदाई
हॅंसते बीता बचपन यौवन, वृद्ध-आयु दुखदाई
—————————————
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

Language: Hindi
243 Views
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