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19 May 2017 · 1 min read

अश्रुनाद

. …. मुक्तक ….

भव- सिन्धु प्रलापित फेरे
लहरें सुनामि बन घेरे
भू- गर्भ प्रकम्पित होता
जब अश्रुनाद से मेरे

डा. उमेश चन्द्र श्रीवास्तव
लखनऊ

Language: Hindi
344 Views
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