के जब तक दिल जवां होता नहीं है।
गज़ल
1222………1222……..122
के जब तक दिल जवां होता नहीं है।
मुहब्बत का दिया जलता नहीं है।
करेंं भी प्यार कैसे ये बताओ,
किसी के दिल से दिल मिलता नहीं है।
न भीगे प्यार से दिल की जमीं गर,
ये गुलशन इश्क का खिलता नहीं है।
मिलूं मैं-तुम, तो हम बनकर रहेंगे,
तेरा मेरा यहां चलता नहीं है।
कहीं भी लुटा रही है आबरू अब,
नया कोई हुआ किस्सा नहीं है।
सभी चुप हैं, लगे ताले जुबां पर,
कोई भी बोल तक सकता नहीं है।
बनो हिटलर नहीं, बन जाओ प्रेमी,
के हिटलर चैन से मरता नहीं है।।
………✍️ सत्य कुमार प्रेमी