किसे कुछ काम नहीं रहता है,
बाण मां रा दोहा
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
ग़ज़ल गीत तन्हा......., ही गाने लगेंगे।
साथ है मेरे सफर में, ये काँटें तो अभी तक
इस आकाश में अनगिनत तारे हैं
साहित्यिक आलेख - पुस्तक विमर्श - मैला आँचल
*शुभ गणतंत्र दिवस कहलाता (बाल कविता)*
मैं पुरखों के घर आया था
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
है कोई तेवरी वाला जो... +शम्भुदयाल सिंह ‘सुधाकर’
-: ना ही चहिए हमें,प्रेम के पालने :-
जिस दिन कविता से लोगों के,
केशव तेरी दरश निहारी ,मन मयूरा बन नाचे
जो दूसरे को इज्जत देते हैं असल में वो इज्जतदार होते हैं, क्य