संघर्ष ज़िंदगी को आसान बनाते है
मैं अपने सारे फ्रेंड्स सर्कल से कहना चाहूँगी...,
फांसी का फंदा भी कम ना था,
कैलाश मानसरोवर यात्रा (पुस्तक समीक्षा)
कभी जिस पर मेरी सारी पतंगें ही लटकती थी
हम बेखबर थे मुखालिफ फोज से,
गुज़ारिश है तुमसे
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
सूरतों में ख़ूब होंगी शैख, गो हूर ए जन्नत
नए मौसम की चका चोंध में देश हमारा किधर गया
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
*जन्म-दिवस आते रहें साल दर साल यूँ ही*
वादे निभाने की हिम्मत नहीं है यहां हर किसी में,
हार से भी जीत जाना सीख ले।
छोटे-मोटे चोर, उचक्के, ठग, लुटेरे, उठाईगिरे भी बस उन्हें "फ़ॉ
आदि अनंत अनादि अगोचर निष्कल अंधकरी त्रिपुरारी।