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Tag: Manisha Manjari Hindi Poem
141 posts
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तुझे ढूंढने निकली तो, खाली हाथ लौटी मैं।
तुझे ढूंढने निकली तो, खाली हाथ लौटी मैं।
Manisha Manjari
ढलती हुई दीवार ।
ढलती हुई दीवार ।
Manisha Manjari
नज़रों में तेरी झाँकूँ तो, नज़ारे बाहें फैला कर बुलाते हैं।
नज़रों में तेरी झाँकूँ तो, नज़ारे बाहें फैला कर बुलाते हैं।
Manisha Manjari
ये आकांक्षाओं की श्रृंखला।
ये आकांक्षाओं की श्रृंखला।
Manisha Manjari
आज नए रंगों से तूने घर अपना सजाया है।
आज नए रंगों से तूने घर अपना सजाया है।
Manisha Manjari
दूरियां ये जन्मों की, क्षण में पलकें मिटातीं है।
दूरियां ये जन्मों की, क्षण में पलकें मिटातीं है।
Manisha Manjari
वस्रों से सुशोभित करते तन को, पर चरित्र की शोभा रास ना आये।
वस्रों से सुशोभित करते तन को, पर चरित्र की शोभा रास ना आये।
Manisha Manjari
इस नयी फसल में, कैसी कोपलें ये आयीं है।
इस नयी फसल में, कैसी कोपलें ये आयीं है।
Manisha Manjari
अखंड साँसें प्रतीक हैं, उद्देश्य अभी शेष है।
अखंड साँसें प्रतीक हैं, उद्देश्य अभी शेष है।
Manisha Manjari
धूमिल होती यादों का, आज भी इक ठिकाना है।
धूमिल होती यादों का, आज भी इक ठिकाना है।
Manisha Manjari
क्या है उसके संवादों का सार?
क्या है उसके संवादों का सार?
Manisha Manjari
निहारने आसमां को चले थे, पर पत्थरों से हम जा टकराये।
निहारने आसमां को चले थे, पर पत्थरों से हम जा टकराये।
Manisha Manjari
आज कृत्रिम रिश्तों पर टिका, ये संसार है ।
आज कृत्रिम रिश्तों पर टिका, ये संसार है ।
Manisha Manjari
सिंदूरी इस भोर ने, किरदार नया फ़िर मिला दिया ।
सिंदूरी इस भोर ने, किरदार नया फ़िर मिला दिया ।
Manisha Manjari
मेरे प्रेम की सार्थकता को, सवालों में भटका जाती हैं।
मेरे प्रेम की सार्थकता को, सवालों में भटका जाती हैं।
Manisha Manjari
तो मेरे साथ चलो।
तो मेरे साथ चलो।
Manisha Manjari
तंग गलियों में मेरे सामने, तू आये ना कभी।
तंग गलियों में मेरे सामने, तू आये ना कभी।
Manisha Manjari
निर्लज्ज चरित्र का स्वामी वो, सम्मान पर आँख उठा रहा।
निर्लज्ज चरित्र का स्वामी वो, सम्मान पर आँख उठा रहा।
Manisha Manjari
हमसाया
हमसाया
Manisha Manjari
फ़ितरत
फ़ितरत
Manisha Manjari
कोरा रंग
कोरा रंग
Manisha Manjari
चरित्रार्थ होगा काल जब, निःशब्द रह तू जायेगा।
चरित्रार्थ होगा काल जब, निःशब्द रह तू जायेगा।
Manisha Manjari
कुछ खामोशियाँ तुम ले आना।
कुछ खामोशियाँ तुम ले आना।
Manisha Manjari
खुले आँगन की खुशबू
खुले आँगन की खुशबू
Manisha Manjari
अपनेपन का मुखौटा
अपनेपन का मुखौटा
Manisha Manjari
आहटें तेरे एहसास की हवाओं के साथ चली आती हैं,
आहटें तेरे एहसास की हवाओं के साथ चली आती हैं,
Manisha Manjari
आयी थी खुशियाँ, जिस दरवाजे से होकर, हाँ बैठी हूँ उसी दहलीज़ पर, रुसवा अपनों से मैं होकर।
आयी थी खुशियाँ, जिस दरवाजे से होकर, हाँ बैठी हूँ उसी दहलीज़ पर, रुसवा अपनों से मैं होकर।
Manisha Manjari
नींव में इस अस्तित्व के, सैकड़ों घावों के दर्द समाये हैं, आँखों में चमक भी आयी, जब जी भर कर अश्रु बहाये हैं।
नींव में इस अस्तित्व के, सैकड़ों घावों के दर्द समाये हैं, आँखों में चमक भी आयी, जब जी भर कर अश्रु बहाये हैं।
Manisha Manjari
आहटें।
आहटें।
Manisha Manjari
ख्वाहिशें आँगन की मिट्टी में, दम तोड़ती हुई सी सो गयी, दरार पड़ी दीवारों की ईंटें भी चोरी हो गयीं।
ख्वाहिशें आँगन की मिट्टी में, दम तोड़ती हुई सी सो गयी, दरार पड़ी दीवारों की ईंटें भी चोरी हो गयीं।
Manisha Manjari
अब आये हो तो वो बारिश भी साथ लाना, जी भरकर रो कर, जिससे है हमें उबर जाना।
अब आये हो तो वो बारिश भी साथ लाना, जी भरकर रो कर, जिससे है हमें उबर जाना।
Manisha Manjari
बवंडरों में उलझ कर डूबना है मुझे, तू समंदर उम्मीदों का हमारा ना बन।
बवंडरों में उलझ कर डूबना है मुझे, तू समंदर उम्मीदों का हमारा ना बन।
Manisha Manjari
एक शाम ऐसी कभी आये, जहां हम खुद को हीं भूल जाएँ।
एक शाम ऐसी कभी आये, जहां हम खुद को हीं भूल जाएँ।
Manisha Manjari
कभी संभालना खुद को नहीं आता था, पर ज़िन्दगी ने ग़मों को भी संभालना सीखा दिया।
कभी संभालना खुद को नहीं आता था, पर ज़िन्दगी ने ग़मों को भी संभालना सीखा दिया।
Manisha Manjari
कट कर जो क्षितिज की हो चुकी, उसे मांझे से बाँध क्या उड़ा सकेंगे?
कट कर जो क्षितिज की हो चुकी, उसे मांझे से बाँध क्या उड़ा सकेंगे?
Manisha Manjari
दर्द की शर्त लगी है दर्द से, और रूह ने खुद को दफ़्न होता पाया है।
दर्द की शर्त लगी है दर्द से, और रूह ने खुद को दफ़्न होता पाया है।
Manisha Manjari
सवाल में ज़िन्दगी के आयाम नए वो दिखाते हैं, और जवाब में वैराग्य की राह में हमें भटकाते हैं।
सवाल में ज़िन्दगी के आयाम नए वो दिखाते हैं, और जवाब में वैराग्य की राह में हमें भटकाते हैं।
Manisha Manjari
सम्मान ने अपनी आन की रक्षा में शस्त्र उठाया है, लो बना सारथी कृष्णा फिर से, और रण फिर सज कर आया है।
सम्मान ने अपनी आन की रक्षा में शस्त्र उठाया है, लो बना सारथी कृष्णा फिर से, और रण फिर सज कर आया है।
Manisha Manjari
निखरे मौसम में भी, स्याह बादल चले आते हैं, भरते ज़ख्मों को कुरेद कर, नासूर बना जाते हैं।
निखरे मौसम में भी, स्याह बादल चले आते हैं, भरते ज़ख्मों को कुरेद कर, नासूर बना जाते हैं।
Manisha Manjari
जो रूठ गए तुमसे, तो क्या मना पाओगे, ज़ख्मों पर हमारे मरहम लगा पाओगे?
जो रूठ गए तुमसे, तो क्या मना पाओगे, ज़ख्मों पर हमारे मरहम लगा पाओगे?
Manisha Manjari
वजूद पे उठते सवालों का जवाब ढूंढती हूँ,
वजूद पे उठते सवालों का जवाब ढूंढती हूँ,
Manisha Manjari
दिल के टूटने की सदाओं से वादियों को गुंजाती हैं, क्यूँकि खुशियाँ कहाँ मेरे मुक़द्दर को रास आती है।
दिल के टूटने की सदाओं से वादियों को गुंजाती हैं, क्यूँकि खुशियाँ कहाँ मेरे मुक़द्दर को रास आती है।
Manisha Manjari
चल पड़ते हैं कभी रुके हुए कारवाँ, उम्मीदों का साथ पाकर, अश्क़ बरस जाते हैं खामोशी से, बारिशों में जैसे घुलकर।
चल पड़ते हैं कभी रुके हुए कारवाँ, उम्मीदों का साथ पाकर, अश्क़ बरस जाते हैं खामोशी से, बारिशों में जैसे घुलकर।
Manisha Manjari
हम सजदे में कंकरों की ख़्वाहिश रखते हैं, और जिंदगी सितारे हमारे नाम लिख कर जाती है।
हम सजदे में कंकरों की ख़्वाहिश रखते हैं, और जिंदगी सितारे हमारे नाम लिख कर जाती है।
Manisha Manjari
सिलसिले साँसों के भी थकने लगे थे, बेजुबां लबों को, रूह की खामोशी में थरथराना था।
सिलसिले साँसों के भी थकने लगे थे, बेजुबां लबों को, रूह की खामोशी में थरथराना था।
Manisha Manjari
सवाल सिर्फ आँखों में बचे थे, जुबान तो खामोश हो चली थी, साँसों में बेबसी का संगीत था, धड़कने बर्फ़ सी जमीं थी।
सवाल सिर्फ आँखों में बचे थे, जुबान तो खामोश हो चली थी, साँसों में बेबसी का संगीत था, धड़कने बर्फ़ सी जमीं थी।
Manisha Manjari
सुबह की किरणों ने, क्षितिज़ को रौशन किया कुछ ऐसे, मद्धम होती साँसों पर, संजीवनी का असर हुआ हो जैसे।
सुबह की किरणों ने, क्षितिज़ को रौशन किया कुछ ऐसे, मद्धम होती साँसों पर, संजीवनी का असर हुआ हो जैसे।
Manisha Manjari
नम पड़ी आँखों में सवाल फिर वही है, क्या इस रात की सुबह होने को नहीं है?
नम पड़ी आँखों में सवाल फिर वही है, क्या इस रात की सुबह होने को नहीं है?
Manisha Manjari
जानती हूँ मैं की हर बार तुझे लौट कर आना है, पर बता कर जाया कर, तेरी फ़िक्र पर हमें भी अपना हक़ आजमाना है।
जानती हूँ मैं की हर बार तुझे लौट कर आना है, पर बता कर जाया कर, तेरी फ़िक्र पर हमें भी अपना हक़ आजमाना है।
Manisha Manjari
सृष्टि के रहस्य सादगी में बसा करते है, और आडंबरों फंस कर, हम इस रूह को फ़ना करते हैं।
सृष्टि के रहस्य सादगी में बसा करते है, और आडंबरों फंस कर, हम इस रूह को फ़ना करते हैं।
Manisha Manjari
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