संसार का वर्तमान और भविष्य 'दर्शनशास्त्र' की शरण में आने से ही सुरक्षित और संरक्षित (The present and the future of the world is safe and protected only by taking refuge in 'Philosophy')
समस्त संसार में सर्वप्रथम जिज्ञासा,प्रश्न,तर्क,चिंतन, विचार और युक्ति करने के प्रमाण ऋग्वेद के 'नासदीय सूक्त', ' पुरुष सूक्त', 'हिरण्यगर्भ सूक्त' आदि में उपलब्ध होते हैं!युनानी, रोमन, चीनी आदि सभ्यताओं में...
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