Tag: दोहा
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*बात-बात में बात (दस दोहे)*
Ravi Prakash
*कोरोना- काल में शादियाँ( छह दोहे )*
Ravi Prakash
*शादी (पाँच दोहे)*
Ravi Prakash
नेता (पाँच दोहे)
Ravi Prakash
*वैराग्य (सात दोहे)*
Ravi Prakash
*पिता (सात दोहे )*
Ravi Prakash
*कागभुशुंडी जी नमन, काग-रूप विद्वान (कुछ दोहे)*
Ravi Prakash
*मांसाहार-शाकाहार : 12 दोहे*
Ravi Prakash
*रामराज्य में सब सुखी, सबके धन-भंडार (कुछ दोहे)*
Ravi Prakash
*जन्मभूमि के कब कहॉं, है बैकुंठ समान (कुछ दोहे)*
Ravi Prakash
*मृत्यु : चौदह दोहे*
Ravi Prakash
*मायावी मारा गया, रावण प्रभु के हाथ (कुछ दोहे)*
Ravi Prakash
*ले औषधि संजीवनी, आए रातों-रात (कुछ दोहे)*
Ravi Prakash
*जय सीता जय राम जय, जय जय पवन कुमार (कुछ दोहे)*
Ravi Prakash
*जमानत : आठ दोहे*
Ravi Prakash
*माँ : दस दोहे*
Ravi Prakash
*दावत : आठ दोहे*
Ravi Prakash
*रामचरितमानस विशद, विपुल ज्ञान भंडार (कुछ दोहे)*
Ravi Prakash
छह दोहे
Ravi Prakash
*न्याय-व्यवस्था : आठ दोहे*
Ravi Prakash
*पेंशन : आठ दोहे*
Ravi Prakash
*रामचरितमानस में अयोध्या कांड के तीन संस्कृत श्लोकों की दोहा
Ravi Prakash
*तुलसी तुम्हें प्रणाम : कुछ दोहे*
Ravi Prakash
*चली राम बारात : कुछ दोहे*
Ravi Prakash
*सीता-स्वयंवर : कुछ दोहे*
Ravi Prakash
*विश्वामित्र नमन तुम्हें : कुछ दोहे*
Ravi Prakash
*विनती है यह राम जी : कुछ दोहे*
Ravi Prakash
*दोहा*
Ravi Prakash
*दफ्तर में साहब और बाबू (कुछ दोहे)*
Ravi Prakash
दोहा
Ravi Prakash
*रामचरितमानस का पाठ : कुछ दोहे*
Ravi Prakash
*वृद्ध-आश्रम : आठ दोहे*
Ravi Prakash
*सरस्वती जी दीजिए, छंद और रस-ज्ञान (आठ दोहे)*
Ravi Prakash
दोहा
Ravi Prakash
*शरीर (कुछ दोहे)*
Ravi Prakash
*तुष्टीकरण : पाँच दोहे*
Ravi Prakash
*कविता कम-बातें अधिक (दोहे)*
Ravi Prakash
मोबाइल जब से चला, वार्ता का आधार
Ravi Prakash
बोर्ड परीक्षाऍं बनीं, ज्यों जी का जंजाल
Ravi Prakash
जाते-जाते भी नहीं, जाता फागुन माह
Ravi Prakash
*चैत : 13 दोहे*
Ravi Prakash
*होली का हवन (दस दोहे, एक मुक्तक)*
Ravi Prakash
बच्चे बोले दो दिवस, खेलेंगे हम रंग
Ravi Prakash
होली : नौ दोहे
Ravi Prakash
मोबाइल से हो रहे, अब सारे संवाद (सात दोहे)
Ravi Prakash
*नया अमृत उद्यान : सात दोहे*
Ravi Prakash
*जन्म-मरण : नौ दोहे*
Ravi Prakash
*गीता - सार* (9 दोहे)
Ravi Prakash
*फाग का रंग : बारह दोहे*
Ravi Prakash
*तन तो बूढ़ा हो गया, जिह्वा अभी जवान (आठ दोहे)*
Ravi Prakash