Tag: मनीषा मंजरी
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निर्लज्ज चरित्र का स्वामी वो, सम्मान पर आँख उठा रहा।
Manisha Manjari
घर की चाहत ने, मुझको बेघर यूँ किया, की अब आवारगी से नाता मेरा कुछ ख़ास है।
Manisha Manjari
हमसाया
Manisha Manjari
फ़ितरत
Manisha Manjari
कोरा रंग
Manisha Manjari
चरित्रार्थ होगा काल जब, निःशब्द रह तू जायेगा।
Manisha Manjari
कुछ खामोशियाँ तुम ले आना।
Manisha Manjari
खुले आँगन की खुशबू
Manisha Manjari
अपनेपन का मुखौटा
Manisha Manjari
आहटें तेरे एहसास की हवाओं के साथ चली आती हैं,
Manisha Manjari
आयी थी खुशियाँ, जिस दरवाजे से होकर, हाँ बैठी हूँ उसी दहलीज़ पर, रुसवा अपनों से मैं होकर।
Manisha Manjari
नींव में इस अस्तित्व के, सैकड़ों घावों के दर्द समाये हैं, आँखों में चमक भी आयी, जब जी भर कर अश्रु बहाये हैं।
Manisha Manjari
आहटें।
Manisha Manjari
हाल-ए-दिल जब छुपा कर रखा, जाने कैसे तब खामोशी भी ये सुन जाती है, और दर्द लिए कराहे तो, चीखों को अनसुना कर मुँह फेर जाती है।
Manisha Manjari
जिस्म तो बस एक जरिया है, प्यार दो रूहों की कहानी।
Manisha Manjari
ख्वाहिशें आँगन की मिट्टी में, दम तोड़ती हुई सी सो गयी, दरार पड़ी दीवारों की ईंटें भी चोरी हो गयीं।
Manisha Manjari
बवंडरों में उलझ कर डूबना है मुझे, तू समंदर उम्मीदों का हमारा ना बन।
Manisha Manjari
एक शाम ऐसी कभी आये, जहां हम खुद को हीं भूल जाएँ।
Manisha Manjari
कभी संभालना खुद को नहीं आता था, पर ज़िन्दगी ने ग़मों को भी संभालना सीखा दिया।
Manisha Manjari
कट कर जो क्षितिज की हो चुकी, उसे मांझे से बाँध क्या उड़ा सकेंगे?
Manisha Manjari
दर्द की शर्त लगी है दर्द से, और रूह ने खुद को दफ़्न होता पाया है।
Manisha Manjari
सवाल में ज़िन्दगी के आयाम नए वो दिखाते हैं, और जवाब में वैराग्य की राह में हमें भटकाते हैं।
Manisha Manjari
सम्मान ने अपनी आन की रक्षा में शस्त्र उठाया है, लो बना सारथी कृष्णा फिर से, और रण फिर सज कर आया है।
Manisha Manjari
निखरे मौसम में भी, स्याह बादल चले आते हैं, भरते ज़ख्मों को कुरेद कर, नासूर बना जाते हैं।
Manisha Manjari
जो रूठ गए तुमसे, तो क्या मना पाओगे, ज़ख्मों पर हमारे मरहम लगा पाओगे?
Manisha Manjari
वजूद पे उठते सवालों का जवाब ढूंढती हूँ,
Manisha Manjari
दिल के टूटने की सदाओं से वादियों को गुंजाती हैं, क्यूँकि खुशियाँ कहाँ मेरे मुक़द्दर को रास आती है।
Manisha Manjari
चल पड़ते हैं कभी रुके हुए कारवाँ, उम्मीदों का साथ पाकर, अश्क़ बरस जाते हैं खामोशी से, बारिशों में जैसे घुलकर।
Manisha Manjari
हम सजदे में कंकरों की ख़्वाहिश रखते हैं, और जिंदगी सितारे हमारे नाम लिख कर जाती है।
Manisha Manjari
सिलसिले साँसों के भी थकने लगे थे, बेजुबां लबों को, रूह की खामोशी में थरथराना था।
Manisha Manjari
सवाल सिर्फ आँखों में बचे थे, जुबान तो खामोश हो चली थी, साँसों में बेबसी का संगीत था, धड़कने बर्फ़ सी जमीं थी।
Manisha Manjari
सुबह की किरणों ने, क्षितिज़ को रौशन किया कुछ ऐसे, मद्धम होती साँसों पर, संजीवनी का असर हुआ हो जैसे।
Manisha Manjari
नम पड़ी आँखों में सवाल फिर वही है, क्या इस रात की सुबह होने को नहीं है?
Manisha Manjari
जानती हूँ मैं की हर बार तुझे लौट कर आना है, पर बता कर जाया कर, तेरी फ़िक्र पर हमें भी अपना हक़ आजमाना है।
Manisha Manjari
सृष्टि के रहस्य सादगी में बसा करते है, और आडंबरों फंस कर, हम इस रूह को फ़ना करते हैं।
Manisha Manjari
क्यों बीते कल की स्याही, आज के पन्नों पर छीटें उड़ाती है।
Manisha Manjari
सपने जब पलकों से मिलकर नींदें चुराती हैं, मुश्किल ख़्वाबों को भी, हक़ीक़त बनाकर दिखाती हैं।
Manisha Manjari
निःशब्दता हीं, जीवन का सार होता है।
Manisha Manjari
जज़्बातों की धुंध, जब दिलों को देगा देती है, मेरे कलम की क़िस्मत को, शब्दों की दुआ देती है।
Manisha Manjari
कैसे तय करें, उसके त्याग की परिपाटी, जो हाथों की लक़ीरें तक बाँट चली।
Manisha Manjari
रक्तरंजन से रणभूमि नहीं, मनभूमि यहां थर्राती है, विषाक्त शब्दों के तीरों से, जब आत्मा छलनी की जाती है।
Manisha Manjari
ये दुनिया इश्क़ को, अनगिनत नामों से बुलाती है, उसकी पाकीज़गी के फ़ैसले, भी खुद हीं सुना जाती है।
Manisha Manjari
ये हमारे कलम की स्याही, बेपरवाहगी से भी चुराती है, फिर नये शब्दों का सृजन कर, हमारे ज़हन को सजा जाती है।
Manisha Manjari
हिम्मत से हौसलों की, वो उड़ान बन गया।
Manisha Manjari
जिसकी फितरत वक़्त ने, बदल दी थी कभी, वो हौसला अब क़िस्मत, से टकराने लगा है।
Manisha Manjari
ये अनुभवों की उपलब्धियां हीं तो, ज़िंदगी को सजातीं हैं।
Manisha Manjari
दूरी रह ना सकी, उसकी नए आयामों के द्वारों से।
Manisha Manjari
हाथों को मंदिर में नहीं, मरघट में जोड़ गयी वो।
Manisha Manjari
गंतव्यों पर पहुँच कर भी, यात्रा उसकी नहीं थमती है।
Manisha Manjari
कुछ पन्ने बेवज़ह हीं आँखों के आगे खुल जाते हैं।
Manisha Manjari