उसको ख़ुद से ही ये गिला होगा ।
मास्टर जी का चमत्कारी डंडा🙏
और कितना तू रोएगी जिंदगी ..
घर से निकले जो मंज़िल की ओर बढ़ चले हैं,
मेरा हमेशा से यह मानना रहा है कि दुनिया में जितना बदलाव हमा
गुनगुनाने यहां लगा, फिर से एक फकीर।
कुंडलिया
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
माँ वीणा वरदायिनी, बनकर चंचल भोर ।
आकांक्षा पत्रिका समीक्षा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
यूँ जो तुम लोगो के हिसाब से खुद को बदल रहे हो,
यदि तुमने किसी लड़की से कहीं ज्यादा अपने लक्ष्य से प्यार किय
वक्त (प्रेरणादायक कविता):- सलमान सूर्य