shikshak divas **शिक्षक दिवस **
**शिक्षक दिवस **
ज्ञान का दीप,
नव-दृष्टि का दान,
तिमिर से युद्ध रत ,
वह शिक्षक महान।
तटस्थ नहीं, विचारों का योद्धा,
मानव प्रगति का सिपाही।
शब्दों के शस्त्र से करता प्रहार,
संस्कारों की मिट्टी में बोता विचार।
वह गुरु नहीं,
एक चलती फिरती क्रांति है,
जो हर पीढ़ी में बीजता,
विवेक और मिटाता भ्रांति है।
उसकी कक्षा सीमित नहीं दीवारों से,
हर अंश, हर पन्ना,भर देता है जोश ,
एक नयी विचारधारा का है उद्घोष ।
तर्क की तलवार और विचारों की ढाल,
शिक्षक का अस्त्र नहीं,
बल्कि उसकी पहचान बेमिसाल ।
वह सिखाता नहीं,
वह रचता है,
नए सपनों का आकाश,
नए विचारों का सूरज।
अंधकार से निकलकर,
हर शिष्य में जगाता है
‘असीमित’ प्रकाश।
वह विचारों का समुद्र है,
आशाओं का आधार है ,
जीवन की नाव ,
का खेवनहार है ।
हर शिक्षक एक नायक है,
प्रगति का पथ, आशा की भोर ,
अज्ञान के तमस से निकलकर,
हम बढ़ें उज्ज्वल भविष्य की ओर।
इस शिक्षक दिवस पर,
हम धन्यवाद नहीं,
अपितु करते हैं वंदन
उनके हर विचार के बीज का,
करे पल्लवित तन और मन ।
शिक्षक, तू है नवयुग की पताका,
तू ही प्रगति का दीपक
सदा प्रकाशित,
सदा अमर।
~डॉ मुकेश असीमित