आँखों पर ऐनक चढ़ा है, और बुद्धि कुंद है।
बावजूद टिमकती रोशनी, यूं ही नहीं अंधेरा करते हैं।
*युगों-युगों से देश हमारा, भारत ही कहलाता है (गीत)*
अति आत्मविश्वास
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
अपने घर में हूँ मैं बे मकां की तरह मेरी हालत है उर्दू ज़बां की की तरह
Whenever My Heart finds Solitude
मैं अक्सर उसके सामने बैठ कर उसे अपने एहसास बताता था लेकिन ना
तेवरी में रागात्मक विस्तार +रमेशराज
हज़ार ग़म हैं तुम्हें कौन सा बताएं हम
* मणिपुर की जो घटना सामने एक विचित्र घटना उसके बारे में किसी
नील पदम् NEEL PADAM
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
कितने दिन कितनी राते गुजर जाती है..
देह माटी की 'नीलम' श्वासें सभी उधार हैं।
यह कौनसा आया अब नया दौर है