Shekhar Chandra Mitra Tag: ग़ज़ल/गीतिका 115 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Shekhar Chandra Mitra 18 Feb 2023 · 1 min read हल्लाबोल सर उठाके हल्ला बोल आंख मिलाके हल्ला बोल... (१) तानाशाहों के सामने मुट्ठी बांध के हल्ला बोल... (२) तू ज़ुल्मत के इस दौर में मशाल जलाके हल्ला बोल... (३) दुनिया... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · गीत 347 Share Shekhar Chandra Mitra 18 Feb 2023 · 1 min read समय की गांठें मैं जो खुल कर बोल रहा हूं एक भारी ख़तरा मोल रहा हूं... (१) आग उगलती नज़्में लिख कर माहौल में गरमी घोल रहा हूं... (२) दरबारों से किनारा करके... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · गीत 203 Share Shekhar Chandra Mitra 16 Feb 2023 · 1 min read मार नहीं, प्यार करो तू मार नहीं, बस प्यार कर एक बार नहीं, सौ बार कर... (१) उठ दिल किसी का जीत ले उससे अपना दिल हार कर... (२) तलवार या बंदूक से नहीं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · गीत 1 430 Share Shekhar Chandra Mitra 15 Feb 2023 · 1 min read सर्वे भवन्तु सुखिन: यही प्रार्थना करें हम रोज मिल-जुलकर रहें सारे लोग... (१) सभी हों सच्चे सभी हों अच्छे सभी सुखी हों सभी निरोग... (२) जिसे हो प्यास उसे दें पानी जिसे हो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · गीत 276 Share Shekhar Chandra Mitra 15 Feb 2023 · 1 min read सुखिया मर गया सुख से कल सुखिया मर गया सुख से पिछले चार दिनों की भूख से... (१) पिट के पुलिस की लाठी से डर के गूंडों की बंदूक से... (२) कैसे बेटी की शादी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · गीत · हास्य-व्यंग्य 494 Share Shekhar Chandra Mitra 14 Feb 2023 · 1 min read प्यार के लिए संघर्ष बस प्यार-प्यार करते हैं दिल ठंडी आहें भरते हैं दिल... (१) यार के लिए जूझे बिना ही हार से क्यों डरते हैं दिल... (२) जीने के मौसम में भी कायर... Hindi · ग़ज़ल · ग़ज़ल/गीतिका · गीत 333 Share Shekhar Chandra Mitra 13 Feb 2023 · 1 min read बगावत का बिगुल इश्क़ सदियों से बदनाम है थोड़ी रूसवाई और सही लोगों की नज़र में हुस्न की ऐसी बेहयाई और सही... (१) ज़ात से लेकर मज़हब तक सभी दुश्मन हैं जवानी के... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · गीत 298 Share Shekhar Chandra Mitra 13 Feb 2023 · 1 min read मछली के बाजार आज दिल्ली में दरबार बा पूरा देश में हाहाकार बा एकरा कवनो चिंता नाहीं आन्हर-बहिर सरकार बा... (१) देखल जाला ना तमाशा खाली होला शोर-शराबा लागेला कि संसद नाहीं इंहा... Bhojpuri · ग़ज़ल/गीतिका · गीत 175 Share Shekhar Chandra Mitra 11 Feb 2023 · 1 min read पैसे का खेल हाय पैसा हाय पैसा क्या-क्या दिन दिखाए पैसा हाय पैसा... (१) पैसा कोई नहीं खाता लेकिन सबको खाए पैसा हाय पैसा... (२) पुलिस-मीडिया लीडर-प्लीडर सबको कितना गिराए पैसा हाय पैसा...... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · गीत 1 691 Share Shekhar Chandra Mitra 10 Feb 2023 · 1 min read घुट रहा है दम क़दम अगर हैं जम गए तो रास्ता चले घुट रहा है दम यहां अब तो हवा चले... (१) उलट-पलट होती रहे तख्त और ताज में हम ज़िंदा हैं कि मूर्दादिल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · गीत 1 453 Share Shekhar Chandra Mitra 9 Feb 2023 · 1 min read अंतिम इच्छा तेरी बांहों में यदि मर जाता तो जीते जी ही मैं तर जाता... (१) तन-मन-धन जीवन अपना सब नाम तेरे मैं कर जाता... (२) तेरे रसवंती होठ छूकर अंतर्घट तक... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 169 Share Shekhar Chandra Mitra 8 Feb 2023 · 1 min read दुआ बिछड़े हुए दिलों को मिला दो, मेरे मालिक बिखरे हुए फूलों को खिला दो, मेरे मालिक... (१) मूर्दा हो गए जो दुनिया की बेरुखी से उन्हें भी प्यार देकर जिला... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · गीत 300 Share Shekhar Chandra Mitra 7 Feb 2023 · 1 min read हुस्न की देवी से हमने मांगा है केवल तुम्हें तकदीर से अब तुम निकल आओ जरा तस्वीर से... (१) हम कभी न हो पाएं ताकि तुमसे दूर हमें बांध लो अपनी बांहों की जंजीर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · गीत 295 Share Shekhar Chandra Mitra 7 Feb 2023 · 1 min read अग्निपरीक्षा यह प्रेम तो अग्नि-परीक्षा है इससे हंसकर गुजरना पड़ता है... (१) राख की ढ़ेरी होने तक तिल-तिल कर जलना पड़ता है... (२) जी-जी कर मरना पड़ता है मर-मर कर जीना... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · गीत 1k Share Shekhar Chandra Mitra 7 Feb 2023 · 1 min read किसी से मत कहना आजकल यहां पर तो दिन में भी रात है किसी से मत कहना ये अंदर की बात है... (१) सरकार तो केवल अमीरों के साथ है किसी से मत कहना... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · गीत · हास्य-व्यंग्य 198 Share Shekhar Chandra Mitra 4 Feb 2023 · 1 min read मुहब्बत की किताब मैं सुबह-सुबह मुहब्बत की किताब लिखने बैठ गया ख़्वाब में उसका ख़त आया ज़वाब लिखने बैठ गया... (१) उसके सुर्खी से भरे हुए गोरे-गोरे से मुखड़े को शबनम में नहाया... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · गीत 237 Share Shekhar Chandra Mitra 1 Feb 2023 · 1 min read कुर्सीनामा युद्ध में कुर्सी दंगा में कुर्सी खेल बा सगरी कुर्सी के... (१) मरते दम ले मिटेला नाहीं झगड़ा-झूगड़ी कुर्सी के... (२) ई दल छोड़अ ऊ दल पकड़अ धक्का-मुक्की कुर्सी के...... Bhojpuri · ग़ज़ल/गीतिका · गीत 462 Share Shekhar Chandra Mitra 28 Jan 2023 · 1 min read नया फरमान किसी ख़ैर-ख़्वाह ने अभी मुझे सुनाया फ़रमान सरकारी है तुम ऐसे कलम से मत खेलो क्योंकि यह तलवार दोधारी है... (१) जो अवाम का मर्सिया नहीं, हुक़्मरान का कसीदा गाए... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 361 Share Shekhar Chandra Mitra 22 Jan 2023 · 1 min read चिट्ठी पहुंचे भगतसिंह के सरदार भगतसिंह देख लअ आके देसवा के एक बार... (१) पूंजि-पतियन के दलाल बनल बा आजकल के सरकार... (२) जनता सही तअ केतना सही महंगाई के मार... (३) निजी-करण के... Bhojpuri · ग़ज़ल/गीतिका 1 263 Share Shekhar Chandra Mitra 21 Jan 2023 · 1 min read आह्वान हे युग-कृष्ण भारत बचा... (१) प्रेम भूल क्रांति सीखा... (२) बांसुरी फेंक सुदर्शन उठा... (३) गीत छोड़ गीता सुना... (४) रास त्याग कर व्यूह रचा... (५) मधुवन त्याग कुरुक्षेत्र आ...... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 456 Share Shekhar Chandra Mitra 16 Jan 2023 · 1 min read चंदा की डोली उठी आज सीने में कुछ टूट रहा है बहुत मेरा दम घुट रहा है... (१) फिर गूंज रही कोई शहनाई शायद कहीं डोला उठ रहा है... (२) जिससे किसी का घर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 191 Share Shekhar Chandra Mitra 8 Nov 2022 · 1 min read आख़िरी ग़ुलाम जिस्म की हो या ज़ेहन की तुम तोड़ डालो हर ज़ंजीर! खोखली इबादत से नहीं, मेहनत से बनती तक़दीर!! सरकार भरोसे भारत का अब कुछ नहीं होने वाला नौजवानों को... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 442 Share Shekhar Chandra Mitra 27 Aug 2022 · 1 min read दुआ कीजिएगा आप कभी मत किसी का बुरा कीजिएगा अगर हो सके तो सबका भला कीजिएगा... (१) अपनी बीवी और बच्चों के साथ दुश्मन भी खुश रहे यह दुआ कीजिएगा... (२) करतूतें... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 560 Share Shekhar Chandra Mitra 10 Jun 2022 · 1 min read तोहार राय मायने रखेला उजला-उजला बादल औरी नीला-नीला आसमान पर! लिखले बानी केतना ग़ज़ल पढ़ लीहअ तू चान पर!! दुनिया भर के काम से फूर्सत कबो निकाल के! भेजिहअ आपन राय ज़रूर तू हमरा... Bhojpuri · ग़ज़ल/गीतिका 140 Share Shekhar Chandra Mitra 3 Jun 2022 · 1 min read भगतसिंह की कुर्बानी सुनो वक़्त की-ललकार नौजवानों! बढ़ा जा रहा-अंधकार नौजवानों!! (१) कहीं कुर्बानी-वीर भगतसिंह की चली जाए न-बेकार नौजवानों!! (२) तुम्हारे सामने-यह देश का हाल आज तुमको-धिक्कार नौजवानों!! (३) जिसे आम जनता... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 97 Share Shekhar Chandra Mitra 2 Jun 2022 · 1 min read दो टूक लिख तू सच लिख और हक़ लिख कबीर-सा दो टूक लिख... (१) सभ्यता के चादर में रखा गया जो ढंक लिख... (२) अब वर्जित हरेक फल अच्छी तरह से चख लिख...... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 2 96 Share Shekhar Chandra Mitra 1 Jun 2022 · 1 min read अधूरी कहानी प्यार की तुमको भी हमारी जवानी याद आएगी जो रह गई अधूरी कहानी याद आएगी... (१) पहली बार हमने देखा था जब तुमको जीवन भर वो रात सुहानी याद आएगी... (२) सावन... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 218 Share Shekhar Chandra Mitra 25 May 2022 · 1 min read भविष्य है अंधकार में देश का भविष्य है अंधकार में पूरी तरह आपकी सरकार में... (१) देखकर किसी को आ जाए शर्म जो छपा हुआ रहता अख़बार में... (२) ईमान से सस्ती कोई चीज़... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 2 427 Share Shekhar Chandra Mitra 25 May 2022 · 1 min read क़लम जो बंदूक बनी सुन ओए भगतसिंह-ओए भगतसिंह याद करके तुम्हें दिल-रोए भगतसिंह... (१) तुम जैसे यारों के-यार को खोकर हम अपना सब कुछ-खोए भगतसिंह... (२) हम ले आएंगे-एक और इंकलाब अब चाहे जो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 97 Share Shekhar Chandra Mitra 13 May 2022 · 1 min read बाल मज़दूर हम ज़िंदगी एआन गुजारअ तानी कवनो कर्ज़ा पुरान उतारअ तानी.... जाने-अंजाने भईल बा जवन आपन गलती पिछला सुधारअ तानी... ख़ून-पसीना बहाके आपन दुनिया के तक़दीर संवारअ तानी... शायद कवनो मदद... Bhojpuri · ग़ज़ल/गीतिका 103 Share Shekhar Chandra Mitra 6 May 2022 · 1 min read चंदा के डोली उठल दिल हमार कवनो का दिल ना रहे! कि प्यार के तहरा काबिल ना रहे!! ई लाल-लाल होंठ ई बांह गोर-गोर क़िस्मत के हमरा हासिल ना रहे!! चाहे दुनिया उठावे जेतना... Bhojpuri · ग़ज़ल/गीतिका 1 188 Share Shekhar Chandra Mitra 6 May 2022 · 1 min read इंसानियत की चीखें मैं अपने ज़मीर को कैसे बदनाम करूं अब अपनी गैरत को कैसे रूसवा करूं! इंसानियत की चीखें बिल्कुल अनसुनी करके अपने आपको आख़िर कैसे गज़लख्वां करूं!! तेरे हुस्न की कशिश... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 300 Share Shekhar Chandra Mitra 1 May 2022 · 1 min read खुल कर जी ले माटी का पुतला है एक तू कोई देवता नहीं जी सके तो जी ले आज कल का कुछ पता नहीं... अपनों से खौफ और बेगानों से शर्म क्या प्यार से... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 144 Share Shekhar Chandra Mitra 23 Apr 2022 · 1 min read भारत के लोग लोग ये डरे-डरे! जी रहे मरे-मरे!! ख़ून के आंसू को पी रहे भरे-भरे!! गिन रहे सांसें बस सेज पर पड़े-पड़े!! काम इनके छोटे-छोटे नाम लेकिन बड़े-बड़े!! बाहर से सजे-धजे भीतर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 336 Share Shekhar Chandra Mitra 16 Apr 2022 · 1 min read धीमी-सी मौत सोचो कि आज तक क्या करते रहे हैं हम! एक धीमी-सी मौत मरते रहे हैं हम!! इज्जत से-दौलत से ताक़त से-शोहरत से अपना खोखलापन भरते रहे हैं हम! एक धीमी-सी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 100 Share Shekhar Chandra Mitra 13 Apr 2022 · 1 min read अंबेडकर से चिढ़ अम्बेडकर के नाम से इतनी चिढ़ क्यों है, दोस्त? तुझे शिक्षा और ज्ञान से इतनी चिढ़ क्यों है, दोस्त? अपने अभागे देश और समाज के लिए उनके नेक काम से... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 104 Share Shekhar Chandra Mitra 8 Apr 2022 · 1 min read आधुनिक द्रोणाचार्य कुछ तो शर्म अब करो द्रोण! पाप का घड़ा मत भरो द्रोण! दलित चेतना है क्रांति चेतना इस चेतना से ज़रा डरो द्रोण! ऊब चुका है तुमसे यह देश चुल्लू... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 132 Share Shekhar Chandra Mitra 29 Mar 2022 · 1 min read इज़हार दिल लोगे कि जां लोगे! मेरे होने के तुम क्या लोगे!! सिर से पैर तक क़ातिल या यह शोख अदा लोगे!! दिलकश और रूह अफ़ज़ा या रंगीन फिज़ा लोगे!! ये... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 279 Share Shekhar Chandra Mitra 1 Mar 2022 · 1 min read बहुजन क्रांति अरे, यह तो सरासर बगावत है! ख़ुद जिल्लेइलाही से अदावत है!! इस ज़ुल्मत के निज़ाम के ख़िलाफ़ एक गुस्ताख़ी-एक हिमाकत है!! अवाम का हक़ या इंसाफ़ मांगना क़यामत से पहले... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 177 Share Shekhar Chandra Mitra 23 Feb 2022 · 1 min read रोज़गार चाहिए बहुत हुईं बेकार की बातें! शुरू करो रोज़गार की बातें!! (१) राग दरबारी बनीं आजकल टीवी और अख़बार की बातें!! (२) अपना गौरव खो चुकीं अब इस झूठी सरकार की... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 256 Share Shekhar Chandra Mitra 18 Feb 2022 · 1 min read क़लम के सिपाही कुछ ऐसे मंज़र आज-कल सामने हैं थाम कर कलम हम मोर्चे पर तने हैं... (१) देश की बागडोर जिन्हें दी गई थी हाय, उन्हीं के हाथ लहू में सने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 176 Share Shekhar Chandra Mitra 18 Feb 2022 · 1 min read कुर्सी ना बची जबले हमार ग़ज़ल रही तहरा नींद में खलल रही... (१) ये झोपड़ी के राख पर कबले खड़ा ऊ महल रही... (२) जबले तनको कीचड़ बा तबले झील में कमल रही...... Bhojpuri · ग़ज़ल/गीतिका 204 Share Shekhar Chandra Mitra 17 Feb 2022 · 1 min read सत्ता को चुनौती भारी ख़तरा मोल रहा हूं मैं जो खुलकर बोल रहा हूं... (१) आग उगलती नज़्में लिखकर माहौल में गरमी घोल रहा हूं... (२) दरबारों से मुंह मोड़कर आंदोलनों में डोल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 385 Share Shekhar Chandra Mitra 14 Feb 2022 · 1 min read एकतरफा प्यार जब मुझे अपनाने से तूने इंकार किया ख़ुद ही को यार बनाया ख़ुद ही से प्यार किया... जिन रातों में आने का वादा नहीं था कोई उनमें भी अक्सर मैंने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 228 Share Shekhar Chandra Mitra 11 Feb 2022 · 1 min read वह इंकलाब जो उधार है ऐ देश, तुझपे क़र्ज़ है जवानी भगतसिंह की बेकार जाएगी क्या कुर्बानी भगतसिंह की... (१) मूर्दों के बीच रहकर हो जाऊं मैं न मूर्दा दिल में आग लगाती है कहानी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 298 Share Shekhar Chandra Mitra 31 Jan 2022 · 1 min read भगतसिंह की मां तुम रोना नहीं, मां! तुम रोना नहीं, मां!! ये आंसुओं के मोती तुम खोना नहीं, मां!! हर सच्चे आदमी को मिलता यही ईनाम! दाग़ अपने दिल के तुम धोना नहीं,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 285 Share Shekhar Chandra Mitra 26 Jan 2022 · 1 min read छात्र आंदोलन नौजवानों का विद्रोही व्यवहार होना चाहिए जीना है तो मरने को तैयार होना चाहिए। ( १) कोई लाश नहीं हम कि लहरों में डोला करें अब आर होना चाहिए या... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 187 Share Shekhar Chandra Mitra 19 Jan 2022 · 1 min read इश्क़ का चाबुक हाय, इश्क़ ने ऐसा चाबुक मारा दिल हो गया लहूलुहान हमारा! वैसा हो ना कभी किसी दुश्मन का भी आज जैसा हुआ अंज़ाम हमारा! जीना तो ख़ैर मुश्किल है ही... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 321 Share Shekhar Chandra Mitra 16 Jan 2022 · 1 min read अंबेडकर को याद करो ज़रा अंबेडकर को याद करो खुदकुशी नहीं, इंकलाब करो... (१) तुम तख्त और ताज फंदों से अपने देश को आज़ाद करो... (२) जेहनी तौर पर बीमार हैं जो ठीक से... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 178 Share Shekhar Chandra Mitra 8 Jan 2022 · 1 min read ख़ून के एक बूंद रह गईल बाटे बहुत कम वक़्त! अब्बो सम्भल जो रे कमबख्त!! (१) मजलूम जनता अब जागअ तिया! उलट जाई ताज पलट जाई तख्त!! (२) जेतने संगीन गुनाह तें कईले सज़ा... Bhojpuri · ग़ज़ल/गीतिका 341 Share Page 1 Next