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19 Jan 2022 · 1 min read

इश्क़ का चाबुक

हाय, इश्क़ ने ऐसा
चाबुक मारा
दिल हो गया
लहूलुहान हमारा!
वैसा हो ना कभी
किसी दुश्मन का भी
आज जैसा हुआ
अंज़ाम हमारा!
जीना तो ख़ैर
मुश्किल है ही
मरना भी नहीं
आसान हमारा!
नींद और चैन
चुराकर पल में
चला गया
मेहमान हमारा!
हम को फेंक कर
इस दोजख में
कहां सोया
भगवान हमारा!
जिसको खूने-
दिल से लिखा है
नगमा वही
गुमनाम हमारा!
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra

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