शशि शर्मा "मंजुलाहृदय" Tag: मुक्तक 21 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid शशि शर्मा "मंजुलाहृदय" 5 Aug 2020 · 1 min read मुक्तक इन ग़मों ने तो खुशी का मतलब बताया है। ज़माने ने सभी को मातम में भी सताया है। ग़मगीन को हँसा लूँ वो हिम्मत दे मेरे खुदा!, ज़िन्दगी ने इक... Hindi · मुक्तक 6 10 411 Share शशि शर्मा "मंजुलाहृदय" 29 Jul 2020 · 1 min read "बंदगी लिखूंगी" तुम्हारा साथ मिले गर तो मौत को ज़िन्दगी लिखूंगी। जंगल के सफर को भी जन्नत-ए-बाशिन्दगी लिखूंगी। काफिर कहती है दुनियां ताउम्र मुझे परवाह नहीं , मां तेरे दामन और पिता... Hindi · मुक्तक 12 16 307 Share शशि शर्मा "मंजुलाहृदय" 29 Jul 2020 · 1 min read "ख़्वाहिशें लिखूं" जिंदगी! तेरी आज़माइशें ख़तम हो, मेरी ख़्वाहिशें लिखूँ। बिजली की आतिशें ख़तम हो, रेत पर कुछ बारिशें लिखूँ। कमबख़्त जलती दोपहरी में झुलस रहें तेरे नाज़ुक तलवे, खुदा का रहमों... Hindi · मुक्तक 8 3 259 Share शशि शर्मा "मंजुलाहृदय" 15 Jun 2020 · 1 min read "अर्थात बदल जाता है " वक्त बदल जाता है हर हालात बदल जाता है। अर्थ बदल जाता है हर अर्थात बदल जाता है। गुजरता है जब तूफान सब कुछ मिटाकर, शख़्स बदल जाता है जज़्बात... Hindi · मुक्तक 4 1 241 Share शशि शर्मा "मंजुलाहृदय" 12 Jun 2020 · 1 min read आदत रखो बेवजह ही खूब मुस्कुराने की आदत रखो। जो जले उन्हें और जलाने की ताकत रखो। चलो निरन्तर मंजिल आ गले लग जाएगी, साथ में हौसला और खुदा की इबादत रखो।... Hindi · मुक्तक 6 1 487 Share शशि शर्मा "मंजुलाहृदय" 4 Jun 2020 · 1 min read रो लिया करती हूँ। हांँ सच है कभी-कभी रो लिया करती हूँ। खुद को ढूढ़ खुद में खो लिया करती हूँ। यूं तो ताल्लुक नहीं है कोई नींद से अब, जागती आँखों से ही... Hindi · मुक्तक 2 4 243 Share शशि शर्मा "मंजुलाहृदय" 4 Jun 2020 · 1 min read तू ही कह ए लेखनी! तू ही कह ए लेखनी! तुझे कैसे हाथ लगाना छोड़ दूं? रगो से बहते लहू में कैसे शब्द-भाव बहाना छोड़ दूं? जीवन के बलिदानों की कोई नीति-रीति तो होगी ना,... Hindi · मुक्तक 3 4 272 Share शशि शर्मा "मंजुलाहृदय" 2 Jun 2020 · 1 min read दर्द की भाषा दर्द की भी अपनी एक भाषा होती है। हर चोट की अपनी परिभाषा होती है। आह गवाह है पीड़ा में नासूर को भी, किसी के दवा-दुआ की आशा होती है।... Hindi · मुक्तक 3 1 285 Share शशि शर्मा "मंजुलाहृदय" 2 Jun 2020 · 1 min read वकालत न दे। जो झूठ की पैरवी करे मुझे वो वकालत न दे। सच शर्मशार करे वो न्यायाधीश,अदालत न दे। कटे सिर मंजूर झूठे लफ्ज अदा न करुं मौला, खामखा़ फ़जीलत से मेरे... Hindi · मुक्तक 2 3 206 Share शशि शर्मा "मंजुलाहृदय" 2 Jun 2020 · 1 min read मज़दूर दूर का सफर है पर खुद के हौसले से पार कर जाएंगे। गिरते-उठते, थमते-चलते, मंजिल तक पहुँच ही जाएंगे। मज़दूर हैं साहब! हमें आदत हैं गहरे-गहरे चोटोंं की, छालों का... Hindi · मुक्तक 2 196 Share शशि शर्मा "मंजुलाहृदय" 1 Jun 2020 · 1 min read "एक काम कर" कर न कर कुछ बस तू एक काम कर। तेरे हाथों में ये मेरा हाथ रख थाम कर। जो दे ग़म सर झुका करु क़बूल ए खुदा!, कम से कम... Hindi · मुक्तक 2 227 Share शशि शर्मा "मंजुलाहृदय" 1 Jun 2020 · 1 min read "ज़िन्दगी के हर रंग से" जिंदगी के हर रंग से नहाना तो पड़ेगा। कड़वा-तीखा हर स्वाद खाना तो पड़ेगा। कहते है आसान नहीं मुहँ मोड़कर जाना, रिश्ता जैसा भी हो निभाना तो पड़ेगा। -शशि "मंजुलाहृदय" Hindi · मुक्तक 3 2 228 Share शशि शर्मा "मंजुलाहृदय" 31 May 2020 · 1 min read "वो माँ है " मुझ तक आती हर बद्दुआ को बे-असर किया है। जागते-सोते हर घड़ी मेरी ही तो फिकर किया है। हम न होते गर उसके आँचल की छाँव न होती, वो 'माँ'... Hindi · मुक्तक 3 2 368 Share शशि शर्मा "मंजुलाहृदय" 8 May 2020 · 1 min read बैर नहीं है। "सच है कि मेरा किसी से बैर नहीं हैं। सब अपने हैं कोई भी तो गैर नहीं है। सख्त हूं क्योंकि मौत दहलीज पर है , लापरवाही से जिदंगी की... Hindi · मुक्तक 1 2 402 Share शशि शर्मा "मंजुलाहृदय" 7 May 2020 · 1 min read समय काश सब कर लिया होता समय से समय रहते। वो समय बीत गया तो फिर हम आज न कहते। जाने क्यों मुड़ गया रास्ता मंजिल के करीब से, वक्त कहाँ... Hindi · मुक्तक 3 338 Share शशि शर्मा "मंजुलाहृदय" 7 May 2020 · 1 min read एतराज़ आज भी खुश हूं मैं लोगो को बहुत एतराज़ है। टूट गई पर बिखरी नहीं इसका एक ही राज़ है। हर सुबह एक ही बात याद रखकर जगती हूं, आज... Hindi · मुक्तक 3 2 210 Share शशि शर्मा "मंजुलाहृदय" 7 May 2020 · 1 min read " सजा़वार " भरोसा कर उसकी बातों पर, हम गुनाहगार हो गये। बदली उसने अपनी फितरत, हम खतावार हो गये। यूं तो समयानुसार कई शक्लें हैं उसके किरदारों की, उसकी कमियां छिपाकर, हम... Hindi · मुक्तक 2 1 167 Share शशि शर्मा "मंजुलाहृदय" 5 May 2020 · 1 min read "विधान" एक एक करके शाख से सूखे पत्ते झड़ गए। नवीन पत्ते फनगे और फिर धीरे से बढ़ गए। उत्थान और पतन तो विधान है विधाता का, वो भी मिटे जो... Hindi · मुक्तक 2 1 203 Share शशि शर्मा "मंजुलाहृदय" 5 May 2020 · 1 min read ताल बदल ली। हर सुर बदला मैने, हर लय-ताल बदल ली। उजाले को चिराग़ बदला, मशाल बदल ली। बस जो बदली मैं ही बदली ए जिदंगी!!, तूने तो मेरे दुःख में, तेरी हर... Hindi · मुक्तक 4 4 208 Share शशि शर्मा "मंजुलाहृदय" 4 May 2020 · 1 min read "करतब आजमाया जाए" चल बन्दे कुछ कर कि अपना करतब आजमाया जाए। आसमान को जमीं और जमीं को आसमां बनाया जाए। कौन कहता है आग नहीं होती है दरिया के भीतर, चल आग... Hindi · मुक्तक 3 4 282 Share शशि शर्मा "मंजुलाहृदय" 4 May 2020 · 1 min read आंँखो में झाँक कर देखो। हँसती आँखो में झाँककर देखो कोई आँसू कहीं छुपा होगा। पलको के नीचे ताककर देखो कोई सैलाब कहीं दबा हैगा। पूछो उससे इतना खामोश क्यों रहता है आजकल वो, लाज़मी... Hindi · मुक्तक 3 4 166 Share