Comments (4)
5 May 2020 07:41 PM
Superb✍️
शशि शर्मा "मंजुलाहृदय"
Author
5 May 2020 09:38 PM
Thanks
जिंदगी के सफर में हमसफर बनते गए बिछड़ते गए।
रिश्ते बनते गए बिगड़ते गए दोस्त बनते गये भूलते गए।
खुशियों की महफिलें सजती रहीं बिखरती रहींं।
गमों का कारवां रुकता रहा चलता रहा मंजिलें आतींं रही जाती रहींं।
इस बदलती जिंदगी में हर शै बदलती रही पर मेरी हस्ती ना बदलने पाई गुजरते वक्त जैसी थी वैसी ही रही।
श़ुक्रिया !
सुन्दर कृति ??
धन्यवाद!