संजीवनी गुप्ता Language: Hindi 45 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid संजीवनी गुप्ता 24 Sep 2024 · 4 min read पटरी पटरी! हां, रेल की पटरी। कभी आड़ी, कभी तिरछी तो कभी सीधी। देश के महानगरों, शहरों और अन्य भू - भागों को जोड़ती हुई नदी-नालों और खेतों से गुजरती हुई... Hindi · कहानी 1 40 Share संजीवनी गुप्ता 17 Aug 2024 · 1 min read बस एक कहानी ..... कहानी है यह -- एक सपने की, एक हौसले की, एक उड़ान की। कहानी है यह -- एक भावना की, त्याग और समर्पण की, एक मर्म हृदय की। कहानी है... Hindi · कविता 4 4 68 Share संजीवनी गुप्ता 15 Jul 2024 · 1 min read फितरत यूं रंग बदलती फितरत देख इंसा की, गिरगिट भी एक बारगी शर्मा जाए। रहबर समझ अपना जिसका थामा हाथ, वही निकला आस्तीन का सांप। अपनी खुद की फितरत जानवरों में... Hindi · कविता 4 4 82 Share संजीवनी गुप्ता 5 May 2024 · 1 min read फकीरा मन बन फकीरा घूमे मन इधर - उधर, पीर पराई सबकी मांगे ये उधार, रोक ना इसे, इसमें कर सुधार। संवेदनशील हृदय पी हलाहल कहलाये शिवाय, तन बने शिवालय, मन देवालय।... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 81 Share संजीवनी गुप्ता 2 May 2024 · 1 min read संवेदना भावनाओं का अंबार है मानव, राग, द्वेष, हिंसा का गुबार है मानव। खंगाले जरा खुद के भीतर तो, संवेदनाओं का विस्तार है मानव। भरते हुए विभिन्न प्रकार की भावनाएं, उकेरा... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 75 Share संजीवनी गुप्ता 28 Mar 2024 · 1 min read सच की मौत कहते हैं झूठ के पांव नहीं होते, फिर भी वह जड़ें जमाने की कोशिश करता है। बार – बार पकड़े जाने पर भी, सच पर एक नया इल्जाम लगा कर,... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 127 Share संजीवनी गुप्ता 28 Mar 2024 · 1 min read सत्य चला .... कुछ जगा – जगा सा है, कुछ थका – थका सा है। सब धुआं – धुआं सा है, बादलों में छिपे सूरज की तरह, सत्य आज ढका – ढका सा... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 5 2 153 Share संजीवनी गुप्ता 12 Jan 2024 · 1 min read नवचेतना सघन अंधियारी रात है, घोर सन्नाटा साथ है। गहरी नींद तज जाग हे युवक, धरा पर विपदा आन भारी है। तू अटल, तू अभेद्य, तू अंगारा, फिर क्यों तुझमें घोर... Hindi · कविता 1 196 Share संजीवनी गुप्ता 13 Nov 2023 · 1 min read पथिक मुझसे है पर मेरा नहीं। तू रचना सृष्टि की, तू अंश ईश्वर का, तू गीत अपनी अधरों का, तू ताल अपनी लय का, तू चिंतन अपनी मानस का। उंगली पकड़... Hindi · कविता 19 16 360 Share संजीवनी गुप्ता 29 Sep 2023 · 1 min read हमारी लता दीदी हर गुरूर से दूर तू, भारत का इक नूर तू। रोशन हुआ दिल का चिराग, तपिश ऐसी तेरी आवाज की। खुमारी न उतरी आज तक, सुरूर ऐसी तेरी आवाज की।... Hindi · कविता 7 248 Share संजीवनी गुप्ता 25 Sep 2023 · 1 min read विनायक की विनय स्वीकार निमंत्रण सहर्ष तुम्हारा, पहुंचा मैं तुम्हारे द्वार। तोड़ अपनी गुल्लक, तोड़ अपनी जमापूंजी, किया तुमने मेरा आदर और सत्कार। सजाया मंडप, चढ़ाया प्रसाद, बनाये नाना प्रकार के पकवान, और... Hindi · कविता 5 2 143 Share संजीवनी गुप्ता 14 Sep 2023 · 1 min read हिंदी भारत है एक, भाषाएं अनेक, जैसे रिश्तों में चाची, मामी, मौसी, ताई, पर मां तो मां होती है। सभी आदरणीय, सभी हमें स्मरणीय, पर मां तो पूज्यनीय होती है। सभी... Hindi 4 2 108 Share संजीवनी गुप्ता 13 Aug 2023 · 1 min read तिरंगे की व्यथा आजादी का पर्व है, पर आज नहीं गर्व है। सर नहीं झुका सलामी में, झुका है यह बदनामी में। तिरंगा पूछे सवाल है, सूझता नहीं जवाब है। पहुंचाया मेरी शान... Hindi · कविता 4 4 161 Share संजीवनी गुप्ता 25 Jul 2023 · 1 min read ये दिल मांगे मोर लम्बी काली स्याह रातें, गुज़र जाती हैं आंखों में। वो पल - पल खतरा झेलते हैं, लम्हा - लम्हा हमारा सुरक्षित करते हैं। कतरा - कतरा ख़ून का दे, शहीद... Hindi · कविता 5 2 184 Share संजीवनी गुप्ता 13 Jul 2023 · 1 min read इल्जाम रिश्तों के रिश्तों के चौराहे पर, तोहमतों के अंबार पर खड़ा हूं। भाई ने इल्जाम लगाए सो लगाए, लगाए इल्जाम पिता ने भी। पत्नी ने इल्जाम लगाए सो लगाए, लगाए इल्जाम मां... Hindi · कविता 3 225 Share संजीवनी गुप्ता 13 Jun 2023 · 1 min read कुछ तो है कुछ तो है वरना यूं ही नहीं महफिलों में तेरी नामौजूदगी में तेरा ज़िक्र होता और तेरी मौजूदगी में तुझे छिप कर देखना होता। कुछ तो है वरना यूं ही... Poetry Writing Challenge · कविता 2 139 Share संजीवनी गुप्ता 13 Jun 2023 · 1 min read रातें रात अभी जवान है, बीत गई शराब और शबाब में,। रात अभी जवान है, बीत गई आहें भरने और तारे गिनने में। रात अभी जवान है, बीत गई थपकियों और... Poetry Writing Challenge · कविता 3 104 Share संजीवनी गुप्ता 13 Jun 2023 · 1 min read तलाश तलाश में निकला है हर मनुष्य यहां तलाश किसी को रोटी की, तो किसी को आशियाने की। तलाश किसी को अपनों की, तो किसी को सपनों की। तलाश किसी को... Poetry Writing Challenge · कविता 4 4 234 Share संजीवनी गुप्ता 13 Jun 2023 · 1 min read विश्वासघात सांस टूटी तो क्या टूटी, असल में टूटा वह विश्वास जो हर सांस के साथ था। घात लगाकर विश्वासघात करना तो गैरों की फितरत है, विश्वास जीत कर घात करना... Poetry Writing Challenge · कविता 1 2 225 Share संजीवनी गुप्ता 13 Jun 2023 · 1 min read सवाल कर सवाल कर, उंगलियां उठें तो उठें, सवाल कर, आंखें लाल दिखायें तो दिखायें, सवाल कर, तेरी नियत पर शक हो तो हो, सवाल कर, तेरी इज्जत की धज्जियां उड़े तो... Poetry Writing Challenge · कविता 2 213 Share संजीवनी गुप्ता 13 Jun 2023 · 1 min read ख्वाहिश नज़रों की प्यास है, तुझे देखने की आस है। दूरियां नज़दीकियां बन जाएं, आज चाह यही राहों की भी है। दिल की धड़कनें बेताब हैं, यह शोर आज़ बादलों में... Poetry Writing Challenge · कविता 1 287 Share संजीवनी गुप्ता 13 Jun 2023 · 1 min read बदलाव नासूर बन चुका है चाय - पानी का चलन, घातक बन गया है ऐसे ही होता है का कथन। आतंक बन चुका है सब चलता है का खयाल, समाज में... Poetry Writing Challenge · कविता 1 174 Share संजीवनी गुप्ता 13 Jun 2023 · 1 min read सच की मौत कहते हैं झूठ के पांव नहीं होते, फिर भी वह जड़ें जमाने की कोशिश करता है। बार - बार पकड़े जाने पर भी, सच पर एक नया इल्जाम लगा कर,... Poetry Writing Challenge · कविता 1 222 Share संजीवनी गुप्ता 13 Jun 2023 · 1 min read कुछ तो है..… कुछ तो है वरना यूं ही नहीं महफिलों में तेरी नामौजूदगी में तेरा ज़िक्र होता और तेरी मौजूदगी में तुझे छिप कर देखना होता। कुछ तो है वरना यूं ही... Hindi · कविता 1 199 Share संजीवनी गुप्ता 13 Jun 2023 · 1 min read बिटिया चली ससुराल नैनों में भर के नीर, हृदय में लेकर पीर, बिटिया चली उस तीर। बचपन की किलकारी, आंगन की फुलवारी, ओसारे की खिलवारी, घर की चारदीवारी, सब छोड़ पिछवारी, बिटिया चली... Poetry Writing Challenge · कविता 1 309 Share संजीवनी गुप्ता 13 Jun 2023 · 1 min read मेरा शहर मेरे शहर को यह क्या हो गया है, पहले भी यह भागता था, जागता था, चमचमाता था, पर लुभाता था। पहले लोकल ट्रेनों में होती थी बातें, पड़ोस के चर्चे,... Poetry Writing Challenge · कविता 1 261 Share संजीवनी गुप्ता 13 Jun 2023 · 1 min read वैशाख नंदन लक्ष्मण का आम आदमी कुछ बने न बने, पर मूर्ख ज़रूर बनता है। सालों से सरकारें विकास के नाम पर, टैक्स ले मूर्ख बनाती आ रही हैं। लेकिन हद तो... Poetry Writing Challenge · हास्य-व्यंग्य 1 227 Share संजीवनी गुप्ता 13 Jun 2023 · 1 min read पिता उसकी बाजुओं में था जोर, उसका सीना था फौलादी। डटा रहा वह निर्भीक, लड़ता रहा हर तूफान से। डूबती कश्ती का माजी बन, लाया सफीने को साहिल तक। उसके मेहनत... Poetry Writing Challenge · कविता 1 102 Share संजीवनी गुप्ता 13 Jun 2023 · 1 min read यादें फिसलती रेत नहीं, है यह फिसलता हुआ लम्हा, सिमटा जिसमें यादों का खजाना है। पिरोया जिसे हमने पल - पल की मोतियों से, बिठाया जिसे हमने पलकों पर, गुनगुनाया जिसे... Poetry Writing Challenge · कविता 1 100 Share संजीवनी गुप्ता 13 Jun 2023 · 1 min read कीमत अच्छा है हीरा अपनी कीमत नहीं जानता, वरना खुद निकल पड़ता बाज़ार में अपने को बेचने। अच्छा है बच्चा अपनी मासूमियत पर गुमान नहीं करता, वरना निकल पड़ता चालाकों की... Poetry Writing Challenge · कविता 1 88 Share संजीवनी गुप्ता 13 Jun 2023 · 1 min read मजदूर हाथों की लकीरों को देख, हम नहीं लिखते तकदीरों को। अपना हाथ जगन्नाथ मान, लगा देते हैं अपनी जान। हम खेतों में, हम खदानों में, हम फैक्ट्रियों में, हम गंदी... Poetry Writing Challenge · कविता 1 95 Share संजीवनी गुप्ता 13 Jun 2023 · 1 min read विचार सूरज का तेज मुझमें, शमशीरों की ताकत मुझमें, बाहुबली का बल मुझमें, सत्य की प्रखरता मुझमें। मैं ही मीरा की भक्ति, मैं ही दुर्गा की शक्ति, मैं ही साधक की... Poetry Writing Challenge · कविता 1 82 Share संजीवनी गुप्ता 13 Jun 2023 · 1 min read आनंद उन्होंने कहा शहर में आनंद मेला है, सो हम भी आनंद से भाव विभोर हो, पहुंचे आनंद के मेले में। पता चला अब आनंद दिल में नहीं, जेब में बसता... Poetry Writing Challenge · हास्य-व्यंग्य 1 222 Share संजीवनी गुप्ता 13 Jun 2023 · 1 min read मोहब्बतनामा बड़े प्यार से पतिदेव आए और बोले, प्रिये आज वैलेंटाइन डे है। कड़छी हाथ में लिए मुड़कर मैंने कहा, क्याऽऽ, मोहब्बत के भी दिन होते हैं, कैटेगरी होती है ये... Poetry Writing Challenge · कविता 1 164 Share संजीवनी गुप्ता 13 Jun 2023 · 1 min read हमने देखा है हमने देखा है क्या लाए थे क्या लेकर जाओगे, कहने वालों को तिजोरी भरते हुए। हमने देखा है राम - नाम जपने वालों को, बगल में छुरी रखते हुए। हमने... Poetry Writing Challenge · कविता 1 146 Share संजीवनी गुप्ता 13 Jun 2023 · 1 min read दोस्त एक दोस्त वो होते हैं, जिनके साथ हम बड़े होते हैं। और एक दोस्त वो होते हैं, जिनके साथ हम बूढ़े होते हैं। एक दोस्त के साथ छड़ी खाते हैं,... Poetry Writing Challenge · कविता 1 196 Share संजीवनी गुप्ता 12 Jun 2023 · 1 min read कीमत सपनों की थी एक छोटी सी बस्ती, पर बड़े अरमानों वाली। अरमान था शहर बनने का, ख्वाब था चकाचौंध का, भागते - दौड़ते दिन का, और जागती हुई रातों का। आखिर सपना... Poetry Writing Challenge · कविता 1 222 Share संजीवनी गुप्ता 12 Jun 2023 · 1 min read बस यूं ही रहने दो बस यूं ही रहने दो बिखरी हुई लटों को, बस यूं ही रहने दो बिस्तर की सिलवटों को, बस यूं ही रहने दो बर्तनों का ढेर, बस यूं ही रहने... Poetry Writing Challenge · कविता 1 161 Share संजीवनी गुप्ता 12 Jun 2023 · 1 min read हारता बचपन एक पौधा था, पनप न सका। धरती के आंचल ने उसे सींचा था, सूरज की किरणों ने उसे पाला था। बड़े अरमान से हुआ दाखिला, बड़े हौसले से वह भी... Poetry Writing Challenge · कविता 1 144 Share संजीवनी गुप्ता 12 Jun 2023 · 1 min read आस थकी आंखें तकती रह गईं, आशा की लौ धीमी पड़ गई, सांसों की गति कहीं अटक गई, पर तुम नहीं आए। तुम तो चले अपने पथ पर, पाया अपना लक्ष्य।... Poetry Writing Challenge · कविता 1 289 Share संजीवनी गुप्ता 12 Jun 2023 · 1 min read सत्य चला... कुछ जगा - जगा सा है, कुछ थका - थका सा है। सब धुआं - धुआं सा है, बादलों में छिपे सूरज की तरह, सत्य आज ढका - ढका सा... Poetry Writing Challenge · कविता 1 204 Share संजीवनी गुप्ता 23 Sep 2022 · 1 min read हिंदी भारत है एक, भाषाएं अनेक, जैसे रिश्तों में चाची, मामी, मौसी, ताई, पर मां तो मां होती है। सभी आदरणीय, सभी हमें स्मरणीय, पर मां तो पूज्यनीय होती है। सभी... Hindi · कविता 1 120 Share संजीवनी गुप्ता 18 Aug 2022 · 1 min read विचार सूरज का तेज मुझमें, शमशीरों की ताकत मुझमें, बाहुबली का बल मुझमें, सत्य की प्रखरता मुझमें। मैं ही मीरा की भक्ति, मैं ही दुर्गा की शक्ति, मैं ही साधक की... Hindi · कविता 1 188 Share संजीवनी गुप्ता 12 Aug 2022 · 1 min read बस यूं ही रहने दो ----- बस यूं ही रहने दो बिखरी हुई लटों को, बस यूं ही रहने दो बिस्तर की सिलवटों को, बस यूं ही रहने दो बर्तनों का ढेर, बस यूं ही रहने... Hindi · कविता 1 125 Share संजीवनी गुप्ता 9 Aug 2022 · 1 min read सत्य चला.... कुछ जगा - जगा सा है, कुछ थका - थका सा है, सब धुआं - धुआं सा है, बादलों में छिपे सूरज की तरह, सत्य आज ढका - ढका सा... Hindi · कविता 1 144 Share