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12 Jun 2023 · 1 min read

हारता बचपन

एक पौधा था, पनप न सका।
धरती के आंचल ने उसे सींचा था,
सूरज की किरणों ने उसे पाला था।
बड़े अरमान से हुआ दाखिला,
बड़े हौसले से वह भी लगा रहा।
पर लाखों की भीड़ थी,
और कुशाग्रता की बाढ़ भी।
वह बेचारा पिछड़ गया,
दौड़ में कहीं अटक गया।
अव्वलों का एक झोंका,
उसे पीछे ठेल गया।
जानलेवा प्रतियोगिता,
आखिर अपना रंग दिखा गई।
एक आवाज थी, दब गई ,
एक रवानी थी, थम गई।
एक सपना था, टूट गया,
एक और बचपन हार गया,
प्रतियोगिता फिर जीत गई।

Language: Hindi
1 Like · 129 Views
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