Rambali Mishra 616 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Rambali Mishra 14 Apr 2025 · 1 min read प्यार *जीवन रूपी किताब का प्यार नामक अध्याय* यह जीवन इक ग्रंथ है,लिखता प्रिय अध्याय. मधुर शब्द शिव भाव हो,इसका मधु अभिप्राय.. बार-बार मन कर रहा,चले लेखनी रोज. प्रीतियुक्त अध्याय हो,रसमय... 24 Share Rambali Mishra 10 Nov 2024 · 1 min read अखिर रिश्ता दिल का होता *अखिर रिश्ता दिल का* अखिर रिश्ता दिल का होता। दिल का रिश्ता मोहक होता। जिस रिश्ते में धन की माया। ऐसा रिश्ता कभी न टिकता। रिश्ते में बाजरवाद यदि। ऐसा... 1 1 129 Share Rambali Mishra 5 Nov 2024 · 1 min read शायरी *शायरी (प्रेम मिलेगा)* प्रेम मिलेगा निश्चित जानो। बात अटल यह निश्चित मानो। हो पावन संकल्प अपरिमित। प्रेम राह को निश्चित ठानो। धोखा देने में धोखा है। धोखे को निश्चित पहचानो।... 2 156 Share Rambali Mishra 4 Nov 2024 · 1 min read रिश्ते *रिश्ते* रिश्ते सब सामाजिक बंधन। प्रिय रिश्तों का हो अभिनंदन।। जिनको रिश्ते लगते प्यारे। वे मानव अनुपम प्रिय न्यारे।। सामाजिक सम्बन्ध निराला। इसमें अमृत की है हाला।। जो रिश्ते को... 1 126 Share Rambali Mishra 4 Nov 2024 · 1 min read दूरी अच्छी है *दूरी अच्छी है* दूर रहो तुम उस मानव से जिसके विकृत भाव विचार। निकट खड़ा हो वह करता है गंदी हरकत मिथ्याचार । दूषित वृत्ति विषैली बोली में मरघट का... 2 121 Share Rambali Mishra 2 Nov 2024 · 2 min read शायरी *शायरी* (*खंडित हृदयविदारक*) खंडित हृदयविदारक घटना का वर्णन दुखदायी है। है मायूस सदा मन अपना हृदय नहीं सुखदायी है। रोते मन को ठौर नहीं है दृश्य दुखी कर देता है।... 1 173 Share Rambali Mishra 30 Oct 2024 · 1 min read मदिरा सवैया *मदिरा सवैया* प्रेम परायण श्याम वही प्रिय सुन्दर मोहक भाव रखे। स्नेहिल मित्र बना सबका वह मोदक माखन नित्य चखे। जागत सोवत नित्य प्रसन्न सदा दिल से मधु वाक्य भखे।... 1 136 Share Rambali Mishra 29 Oct 2024 · 1 min read आत्मा की गूंज *आत्मा की गूंज* आतमा की गूंज में सुगंध की बयार है। निर्विकार भव्य शुद्ध पावनी बहार है। आत्म ज्ञान प्रेम रत्न देव धर्म दिव्य है। ब्रह्म रूप सत्व सत्य नित्य... 2 1 125 Share Rambali Mishra 27 Oct 2024 · 1 min read सच्ची दोस्ती यह कविता सच्ची दोस्ती की भावना को बहुत सुंदर तरीके से व्यक्त करती है। कवि डॉ. रामबली मिश्र ने इस कविता में दोस्ती के महत्व और उसकी पवित्रता को दर्शाया... 1 137 Share Rambali Mishra 26 Oct 2024 · 1 min read सोच *सोच* चला घेरने जो स्वयं घिर गया। चला मारने जो स्वयं मर गया। मिला कर्म का फल बहुत दुखनुमा। ग़ज़ब रो रहा आज सब हर गया। बुरी सोच में नित... 1 114 Share Rambali Mishra 26 Oct 2024 · 1 min read प्रेम तत्व *प्रेम तत्व* अपने प्रिय से नित बात करो। दुख कष्ट कलेश विकार हरो। प्रिय को नित देख सदा खुश हो। अति शांति विनोद महा सुख हो। कवि रत्न डॉ0 रामबली... 1 81 Share Rambali Mishra 21 Oct 2024 · 1 min read सवैया *दुर्मिल सवैया* सच में बतला दिल से प्रिय रे कुछ बात छिपाय नहीं रखना। रहना दिल खोल सदा सखि रे प्रिय प्रीति बनी सदा हँसना। तुम हो अभिजात सुजात सुखांत... 1 83 Share Rambali Mishra 19 Oct 2024 · 1 min read रोता हुआ जंगल *रोता हुआ जंगल* आज जंगल अकेला हो गया है।आसपास कोई नहीं दिखायी दे रहा है।चारोंतरफ सन्नाटा और उदासी।कोई बात करनेवाला नहीं।कभी वृक्षों से प्रेम करनेवाला,हँस कर मिलने और बात करने... 1 158 Share Rambali Mishra 6 Oct 2024 · 1 min read विवेक *विवेक* विवेक जागता रहे इसे सदा जगाइए। कभी अनीति भाव को निकट नहीं बुलाइए। कपट रहे हृदय नहीं सदैव स्वच्छ भावना। सदैव न्याय मित्रता असत्य की न कामना। रहे सहर्ष... 2 113 Share Rambali Mishra 4 Oct 2024 · 1 min read भारतीय नारी *भारतीय नारी* समस्त सृष्टि लोक में स्वयं सुवर्ण नायिका। समग्र भूमिका महान दिव्य लोक गायिका। विशाल वक्ष दिव्य चक्षु स्नेह भव्य सौम्यता। विराट भू-धरा समान स्वच्छ व्योम रम्यता। सराहनीय शुद्ध... 1 125 Share Rambali Mishra 2 Oct 2024 · 1 min read पितृ पक्ष *पितृ पक्ष (दोहे)* पितरों के सम्मान से,होता है उत्थान। उनकी बातें गुन सदा,सदा बढ़ाना ज्ञान।। एक वर्ष में पंच दस,दिवस पितृ का पक्ष। इन्हीं दिनों में पूज लो,बनो आत्म का... 1 114 Share Rambali Mishra 2 Oct 2024 · 1 min read दोहे *गांधी और लालबहादुर शास्त्री (दोहे)* गांधी- शास्त्री दिव्य धन,दोनों भारत रत्न। राष्ट्रवाद के हेतु वे ,करते रहे प्रयत्न।। इक आजादी के लिए,किया सदा संघर्ष। इक भारत को ले गया, अतिशय... 1 216 Share Rambali Mishra 1 Oct 2024 · 1 min read तस्वीर *तस्वीर (दोहे)* मुखड़े पर मुस्कान प्रिय,आँखों में मधु प्यार। घूंघट से है छलकता,मोहक शिष्टाचार।। अति अनुपम छवि देखकर,मन में उठता भाव। मिले सदा सत्संग का, दिव्य लाभ प्रिय छांव।। ऐसे... 1 97 Share Rambali Mishra 30 Sep 2024 · 1 min read मजदूर की व्यथा *मजदूर की व्यथा* नैतिकता को कुचल कर,पूँजीवाद निहाल। कैसे शोषक वर्ग की,होगी बंद कुचाल?? मानवता के हनन का,कैसे होगा अंत? मौन पड़े सब लोग हैं,सदा निरुत्तर संत।। श्रमिक-गरीबों का रहा,है... 1 193 Share Rambali Mishra 30 Sep 2024 · 1 min read दुनिया धूल भरी लगती है *दुनिया धूल भरी लगती है* धूल-धूल ही चौतरफा है। मन मलीन सुख-शांति सफा है।। दुख की आँधी चलती देखा। ईर्ष्या अग्नि दहकती देखा।। है छल-क्षद्म यहाँ बहुतायत। दुष्प्रवृत्ति का बढ़ता... 1 148 Share Rambali Mishra 29 Sep 2024 · 1 min read कनक मंजरी छंद *कनक मंजरी छंद* *कुल 23 वर्ण,* *प्रथम 4 वर्ण लघु,6 भगण,अंत में एक गुरु अनिवार्य* अतिशय प्रेम जहाँ बरसे हरि कृष्ण वहाँ मुरलीधर हैं। मुकुट सदा अति शोभित मस्तक गावत... 1 152 Share Rambali Mishra 28 Sep 2024 · 1 min read सभ्यता *सभ्यता* सभ्यता अमूल्य है इसे सदा सजाइये। सद्विचार ज्ञान से इसे सदा निखारिये। भौतिकी विकास हो सदैव ज्ञान दिव्य हो। धर्म स्वस्थ सत्य हो सदैव भाव भव्य हो। उन्नयन स्वराष्ट्र... 1 93 Share Rambali Mishra 27 Sep 2024 · 1 min read सजल *सजल* सदा पास रहना नहीं दूर जाना। दिलेरी दिखाना हृदय को सजाना। सदा स्नेह का रस बरसता रहे बस। सुमन बन गमकना सदा मुस्कराना। तुम्हारे हृदय से बहे प्रेम धारा।... 1 160 Share Rambali Mishra 27 Sep 2024 · 1 min read सजल *सजल* तुझे देख मन खुश हो जाता। तेरा दर्शन सदा लुभाता। तुम्हीं एक प्रिय मोहक निर्मल। सच्चाई की राह बताता। जब तुम मिलते नहीं कभी तो। दिल में हरदम कष्ट... 1 169 Share Rambali Mishra 26 Sep 2024 · 1 min read प्रेम *प्रेम (मदिरा सवैया)* प्रेम वही मधु पावन है जिससे नहिं स्वार्थ कभी टपके। निर्मलता अति माधुर भावन कोमलता मृदुता चमके। व्यापकता भरपूर यहाँ नहिं तुच्छ विचार कभी फटके। अंत न... 2 130 Share Rambali Mishra 26 Sep 2024 · 1 min read मालती सेवैया *मालती सवैया* ब्राह्मण धर्म पवित्र पुनीत पढ़ो इसको यह है शिवचारी। आदर से समझो इसको यह पंथ दिखावत है हितकारी। पावन धाम यही रचता सबके प्रति मोहक मंगलकारी। दिव्य प्रभाव... 1 105 Share Rambali Mishra 26 Sep 2024 · 1 min read मदिरा सवैया *मदिरा सवैया* पावन संत समागम है यह स्वर्ग समान पवित्र सदा। जो करता सत संग बने वह मोहक सज्जन इत्रशुदा। हो जिसको प्रिय निर्मल भावन मानव उत्तम भव्य बने। वंदन... 1 110 Share Rambali Mishra 23 Sep 2024 · 1 min read अब *अब* आओ अब कुछ तो हो जाए। स्वर्गिक जगती में खो जाएं।। यह जीवन की मोहक चाहत। इससे मन असीम सुख पावत।। तुम्हीं प्रेम प्रिय अनुपम लेखा। मधुर हृदय आकाश... 1 110 Share Rambali Mishra 23 Sep 2024 · 1 min read जीवन की भागदौड़ *जीवन की भागदौड़ (दोहे)* तन -मन और समाज की,खातिर भागमभाग। मृगमरीचिका इस जगत,के प्रति अति अनुराग।। आवश्यकतायें बढ़ गयीं,सदा अधिक की भूख। दौड़-दौड़ कर हांफता,जाता मानव सूख।। मनोकामना बलवती,पूरी कभी... 1 88 Share Rambali Mishra 22 Sep 2024 · 1 min read सच्चा प्यार *सच्चा प्यार (वीर रस)* बातें दिल को मोहित करती,जब होता है सच्चा प्यार। मधुरिम सुन्दर सब कुछ गमके,उत्तम होगा यदि दिलदार। प्रेम रसीला अति मनभावन,हर पल प्यारे देते नाच। जीवन... 1 93 Share Rambali Mishra 21 Sep 2024 · 1 min read शुभांगी छंद *शुभांगी छंद* विरले मनुजा,इस लोक दिखें, जो अति उत्तम,निर्मल हैं। अधिकांश यहाँ,दुख दानव हैं,पाप भरा मन,छल-बल है। विकृत मानस,दूषित नस -नस,घोर विनाशक,हैं जग में। विष नाग बने,चलते रहते,रक्तिम भावन,है रग... 1 147 Share Rambali Mishra 20 Sep 2024 · 1 min read सावन की बारिश *सावन की बारिश (त्रिभंगी छंद)* सावन की बारिश,मन की ख्वाहिश,उर-आँगन को,तृप्त करो। अहसास कराओ,दिल बहलाओ,मेरे प्यारे,याद करो। बारिश की बूँदों,से तन भींगे,मन अति हर्षित,हो जाये। सावन की रातें,प्रियमय बातेँ,मधुर मास... 1 167 Share Rambali Mishra 19 Sep 2024 · 1 min read सावन *सावन (गीत)* सावन में शंकर आयेंगे सावन में। जन - जन को भस्म लगाएंगे सावन में। शंकर बिना कहाँ मन लागे? शिवशंकर से ही जग जागे। आयें भोले नाथ धरा... 1 72 Share Rambali Mishra 19 Sep 2024 · 1 min read गुस्सा *गुस्सा (दोहे)* गुस्सा गागर पाप का,फुट करे विध्वंस। आत्मघात का पुंज यह,जैसे रावण -कंस।। क्रूर भाव अति दुष्टता,मन में गंद विचार। दुखदायी अनहित करे,गुस्सा कंटक तार।। गुस्सा करता जो मनुज,वही... 1 140 Share Rambali Mishra 17 Sep 2024 · 1 min read साथ *साथ* आजीवन यह साथ रहेगा। रत्ती भर यह नहीं घटेगा।। प्रेम मधुर संवाद दिखेगा। अन्तहीन इतिहास लिखेगा।। हर पल होगा मोहक मादक। दिल में भावन मधुरिम जब तक।। प्रीति रहेगी... 1 81 Share Rambali Mishra 17 Sep 2024 · 1 min read कुसंग *कुसंग* डरो सदा कुसंग से जहर सदा इसे समझ। रहो न पास में कभी दिखे कदा नहीं सहज। करे सदैव गन्दगी कुबुद्धि का शिकार है। बुरा सदैव सोचता विशेष भूमि... 1 97 Share Rambali Mishra 16 Sep 2024 · 1 min read समय का प्रवाह *समय का प्रवाह* प्रवाह काल चक्र का अनादि अन्तहीन है। रुके कभी नहीं बढ़े सदा भविष्यगीन है। चले सदैव एक ही दिशा नया-नया करे। बदल रहा समग्र को कहीं हरे... 1 134 Share Rambali Mishra 12 Sep 2024 · 1 min read हिन्दी अनुपम प्यारी रानी *हिन्दी अनुपम प्यारी रानी* हिन्दी अनुपम प्यारी रानी। सावित्री की प्रेम कहानी।। सत्यवान का यह शिव दर्शन। विश्ववाद साहित्य शुभासन।। सर्व काल में दिव्य अजेया। दिव्य मार्ग दर्शिका सुश्रेया।। पावन... 1 174 Share Rambali Mishra 11 Sep 2024 · 1 min read हिन्दी दिवस *हिन्दी दिवस* बिन हिन्दी के मन पागल है। हिन्दी बिन मानव घायल है।। हिन्दी अति प्रिय मोहक भाषा। मानवता की यह परिभाषा।। हिन्दी में चन्दन कानन है। पुरुषोत्तम इसका आनन... 1 85 Share Rambali Mishra 11 Sep 2024 · 1 min read राधा *राधा* है राधा अति प्रेम दिवानी। बनी हुई कान्हा की रानी।। कृष्ण लिये तुझको lझूमेगा। हर क्षण प्रिय मस्तक चूमेगा। तेरे बिना कृष्ण आधा है। तूने कृष्णा को साधा है।।... 1 79 Share Rambali Mishra 9 Sep 2024 · 1 min read अवकाश के दिन *अवकाश के दिन* धर्म कर्म में वक्त बिताता। माँ दुर्गा को याद दिलाता।। हे माँ!मुझको छोड़ न देना। अपनी गोदी में भर लेना।। कुछ दूरी पर रामेश्वर हैं। दर्शन देते... 1 108 Share Rambali Mishra 3 Sep 2024 · 1 min read कनक मंजरी छंद *कनक मंजरी छंद* चार चरण,23 वर्ण,हर चरण में प्रथम 4 लघु, 6 भगण, अंत में 1 दीर्घ अनिवार्य। मधुरिम सुन्दर मोहक रागिनि भाव प्रधान सदा सुखदा। अतिशय शांत रसायन भावुक... 333 Share Rambali Mishra 3 Sep 2024 · 1 min read शैतान मन *शैतान मन* जब तक मन में है शैतानी। तब तक वृत्ति अशुभ की रानी।। मन में खुराफात बसता है। गलत काम उत्तम लगता है।। अधम समझ का निर्माता है। गंदी... 1 139 Share Rambali Mishra 2 Sep 2024 · 1 min read प्रियतम *प्रियतम (शुभांगी छंद)* प्रियतम कब से,चाह रहा है,तुझको करना,मस्ताना। तुझे रिझा कर,खुश कर देता,हो जाते हो,दीवाना। प्रियतम तेरे,साथ रहेगा,सब कुछ देगा,सच कहता। कभी नहीं वह,तुझको त्यागे,एक तुम्हीं में,मन रहता। साथ... 1 150 Share Rambali Mishra 2 Sep 2024 · 1 min read कहाँ हो? *कहाँ हो?* तुझको तन-मन ढूढ़ता,बहुत विकल है आज। क्या जानें तुम हो कहाँ,हो कर अति नाराज?? नहीं मिलोगे क्या कभी,नहिं होगा दीदार? क्या मंशा है मित्र जी,रूठ गया क्या प्यार??... 1 164 Share Rambali Mishra 2 Sep 2024 · 1 min read शैतानी दिमाग *शैतानी दिमाग(सरसी छंद)* गाली दे कर खुश होता है,बने बहादुर वीर। जलता हरदम विद्वानों से,कायर दूषित चीर। बुद्धिहीन कलुषित गँवार है,अंदर-बाहर गंध। जिह्वा पर गन्दगी विराजे,आँखों से है अंध। मरियल-सड़ियल... 1 161 Share Rambali Mishra 1 Sep 2024 · 1 min read गुरु महिमा *गुरु महिमा (दुर्मिल सवैया)* गुरु ब्रह्म समान महान सुजान विधान सुचालक ज्ञान भरें। अरुणोदय मोहक भाव प्रकाश सदा तिमिरांचल नष्ट करें। शिव मानव -सा रमते रहते चलते कहते गुरु ज्ञान-... 1 123 Share Rambali Mishra 31 Aug 2024 · 1 min read अधूरा नहीं *अधूरा नहीं* अधूरा नहीं पूर करना प्रिये। गली से नहीं दूर रहना प्रिये। तुम्हारी मुलाकात में रस भरा। तुझे देखकर मन हमेशा हरा। तुम्हीं एक मेरे सितारे सदा। परम दिव्य... 1 213 Share Rambali Mishra 31 Aug 2024 · 1 min read जब-जब *जब-जब (वीर रस)* जब-जब आयेंगे धरती पर,तब-तब लेंगें प्रभु का नाम। काम करेंगे यही समझकर,ईश्वर के हैं सारे काम। मन में प्रभु जी सदा रहेंगे,काम करेंगे हो हरि गान। मस्ती... 1 168 Share Rambali Mishra 31 Aug 2024 · 1 min read नारी *नारी (वीर रस)* कोमल कली सहज नारी है,सदा समर्पित शुद्ध विचार। बच्चों की सेवा - रक्षा कर,उनमें भरती शुभ संस्कार। भोजन देती कपड़े सिलती,सुख सुविधा का रखती ख्याल। बनी हुई... 1 123 Share Page 1 Next