राजेश 'ललित' Tag: कविता 92 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid राजेश 'ललित' 18 Jun 2023 · 1 min read पिता जी पिता जी ------------- ऐ पिता जी ओ पिता जी क्यों रूठे से हो पिता जी? इधर देखते कभी उधर देखते रहते क्यों अनमने पिता जी ! ऐ पिता जी ओ... Hindi · कविता 1 2 438 Share राजेश 'ललित' 9 Jun 2023 · 1 min read श्राप ‘श्राप’ ——————- मर गई हैं आत्मा हम देह लिये घूम रहे है आत्मा फिर ढूँढ लेगी अपना घर हम देह के लिये ढूँढ लेंगे फिर नई मरी हुई आत्मा आत्मा... Poetry Writing Challenge · कविता 302 Share राजेश 'ललित' 9 Jun 2023 · 1 min read गाँव बना शहर गाँव बना शहर ----------------------- मैं आया था गाँव घूमने मुझे यहाँ पर शहर मिला बड़ा ही बेसिरपैर मिला मैनें ढूँढी कच्ची झोपड़ियां फूस की छतें खुला आँगन साँझा चूल्हा साँझी... Poetry Writing Challenge · कविता 2 274 Share राजेश 'ललित' 8 Jun 2023 · 1 min read यादों की गली यादों की गली ------------- यादों की गली में जरा देखना झांक के मिलेंगे तुम्हें कुछ दिन उजले कुछ दिन धुँधले कुछ अमावस की स्याह काली रातें कुछ पूर्णिमा की चमकती... Poetry Writing Challenge · कविता 1 2 536 Share राजेश 'ललित' 8 Jun 2023 · 1 min read "पड़ाव" "पड़ाव" ----------------- उम्र का पड़ाव एक और आया माथे पर बड़ गयी एक लकीर चेहरे पर खिंच गई,झुर्री एक और दाँतों में से कुछ हुये कम कंधों पर बोझ नहीं... Poetry Writing Challenge · कविता 1 127 Share राजेश 'ललित' 7 Jun 2023 · 1 min read उमस भरा दिन उमस भरा दिन ----------------- चल उठ ए सी छोड़ निकल ओ विकल आषाढ़ का दिन चढ़ आया है जरा धूप की तपिश महसूस कर हवा में नमी महसूस कर कुछ... Poetry Writing Challenge · कविता 397 Share राजेश 'ललित' 6 Jun 2023 · 1 min read एक थैली के चट्टे बट्टे ! एक थैली के चट्टे बट्टे ! ----------------- एक थैली थी मैली सी कुचैली सी पुरानी थी लगता था समय का बोझ अब सह न पायेगी साथ पड़े थे कुछ चट्टे... Poetry Writing Challenge · कविता 1 387 Share राजेश 'ललित' 5 Jun 2023 · 1 min read सुबह का भूला सुबह का भूला -------------- सुबह ही, का घर से निकला। भूल गया, घर का रास्ता। घर था जहां, नहीं है वहां, भटक गया, मैं या घर।। कभी इधर , कभी... Poetry Writing Challenge · कविता 155 Share राजेश 'ललित' 4 Jun 2023 · 1 min read ज़िंदा है झील ज़िंदा है झील --------------------------- मर गई थी बरसों पहले फिर से ज़िंदा हो गई झील बरसे थे घन झमाझम जम के झील में पानी लबों तक भर के बस कमी... Poetry Writing Challenge · कविता 79 Share राजेश 'ललित' 2 Jun 2023 · 1 min read आईना आईना ---------------------- आईने को कौन दिखाए आईना? हररोज आती हैं; कई छवियां नई, पर कोई भी, टिकती नही ! आईना फिर रहा अकेला का अकेला ढूंढता कोई साथी नया जिसने... Poetry Writing Challenge · कविता 249 Share राजेश 'ललित' 31 May 2023 · 1 min read मरी हुई आत्मा (देश की बेबस बेटियों को समर्पित) ------------- मरी हुई आत्मा ------------ मेरी आत्मा मर चुकी है पहले ठीक थी एक घटना घटी मैने आत्मा को मारना बेहतर समझा मेरे पड़ोसी... Poetry Writing Challenge · कविता 73 Share राजेश 'ललित' 29 May 2023 · 1 min read संक्षिप्त यात्रा मृत्युलोक की संक्षिप्त यात्रा मृत्युलोक की ------------- पैदा हुआ बहुत रोया बहुत हंसा ख़ूब खाया जी भर कर सोया थोड़ा बड़ा हुआ शिक्षा पाई दीक्षा पाई काम किया विवाह किया परिवार हुआ... Poetry Writing Challenge · कविता 255 Share राजेश 'ललित' 27 May 2023 · 1 min read ठग जिंदगी ठग जिंदगी --------------- लो जिंदगी ने फिर से मुझे ठग लिया झूठ बोल कर ले गई सारी ख़ुशियों कि लौटा दूंगी सारी ख़ुशियाँ कुछ समय के बाद और भी हैं... Poetry Writing Challenge · कविता 1 58 Share राजेश 'ललित' 24 May 2023 · 1 min read लोकतंत्र पिंजरे में बंद लोकतंत्र पिंजरे में बंद ------------------ लोकतंत्र पिंजरे में बंद है सोने का पिंजरा है. अधर में लटका है हीरे मोती जड़े हैं इसमें तोते को ला कर पटका है नयी... Poetry Writing Challenge · कविता 130 Share राजेश 'ललित' 22 May 2023 · 1 min read मौन- मौन मौन -मौन -------------- मौन मौन, अब तो बोलो। कुछ हल्के रह गये शब्द, थोड़ा वज़न डालो इनमें, ज़रा अब तोलो। नहीं ,वही कुछ भाव भरो; अब बोलो, मौन मौन-----! राजेश... Poetry Writing Challenge · कविता 1 202 Share राजेश 'ललित' 21 May 2023 · 1 min read साया ढूंढते हैं ! साया ढूंढते हैं ! ----------------- पहले जंगल जलाया अब पेड़ का साया ढूंढते हैं! पहले बाग उजाॾा; अब फूलों में सुगंध ढूंढते हैं! क्या है उनके मन में? वे खुद... Poetry Writing Challenge · कविता 2 252 Share राजेश 'ललित' 18 May 2023 · 1 min read कोरोना कोरोना ---------------------- शहर सभी शमशान हो गये। गाँव ही सब सुनसान हो गये।। घर में ही अंजान हो गये। गली रास्ते वीरान हो गये।। लाशों के बाग़बान हो गये। बाज़ार... Poetry Writing Challenge · कविता 11 7 187 Share राजेश 'ललित' 17 May 2023 · 1 min read मत-गणना मत-गणना ----------------- मत-गणना जारी है। रुझान आने शुरू हो गये हैं। ऊंट भी करवट बदलने लगे हैं। कभी इस करवट कभी उस करवट। बयान बहादुर म्यानों में बयानों की तलवार... Poetry Writing Challenge · कविता 13 2 218 Share राजेश 'ललित' 16 May 2023 · 1 min read रंग भरें रंग भरें --------------- आओ बसंत रंग भरें प्रकृति में तुम्हारी इस कूची से पृथ्वी के कैनवस पर रंग भरें हरियाली भरें ठिठुरती सर्दी में देखो तो सरसों पीली पीली झूम... Poetry Writing Challenge · कविता 11 2 130 Share राजेश 'ललित' 16 May 2023 · 1 min read बसंत में हिस्सा बसंत में हिस्सा ----------------- मुझे भी चाहिये बसंत में अपना हिस्सा कुछ खिलते हुये फूल पीली पीली सरसों जाती हुई शीत शरीर में थोड़ा गर्म होता रक्त मेरे पक्ष में... Poetry Writing Challenge · कविता 9 1 101 Share राजेश 'ललित' 15 May 2023 · 1 min read नानी-नानी नानी-मानी --------------- नानी नानी ------------ कल तक मां थी आज बन गई नानी ओ कियानु तुझे अब कौन सुनाऊं कहानी ? कहां से लाऊं? कहीं का राजा? कहां से लाऊं?... Poetry Writing Challenge · कविता 8 1 288 Share राजेश 'ललित' 14 May 2023 · 1 min read मां- एक अहसास मां- एक अहसास ----------------------- मां --------- माँ तुम आज नहीं पास पर तुम्हारा अहसास फिर से है आस पास आज बहुत मन है करूं तुमसे बात तुम्हारी गोद रखूं सर... Poetry Writing Challenge · कविता 8 1 298 Share राजेश 'ललित' 11 Nov 2022 · 1 min read क्षणिकायें दो क्षणिकायें पहली बेअसर दुआयें दूसरी स्वामी दीन दयालु जी के गोलोक गमन पर हैं:--- -------------------- क्षणिकायें -------------- तुम्हारी दुआओं की अब ज़रूरत ही न रही बद्ददुआओं का असर इतना... Hindi · कविता 9 3 196 Share राजेश 'ललित' 6 Jul 2022 · 1 min read क्षणिकायें-पर्यावरण चिंतन क्षणिकाएँ --------------- पर्यावरण दिवस चिंतन -------------- जंगल ----------- टूटी टहनियों से, पेड़ बनता है कोई! कटे पेड़ों से, जंगल अटा पड़ा है। पेड़ों से बनायें दरवाज़े , खुलेंगे को हवा... Hindi · कविता 10 5 517 Share राजेश 'ललित' 4 Feb 2022 · 1 min read सत्य का साथ सत्य का साथ ------------------------ सत्य का साथ नहीं छोड़ूँगा झूठ की बांह हर समय मरोड़ूंगा यह राह नहीं आसान मैं जानता हूं पांव हो जायें लहुलुहान और मंजिल मिले न... Hindi · कविता 8 5 584 Share राजेश 'ललित' 6 May 2021 · 1 min read मुंह ढकिये कोरोना ने सब के मुँह ढक दिये। जैसे किसी को मुँह दिखाने लायक़ ही नहीं रहे। हमें हर काम अपने मुंह ढक कर करने हैं। इसपर एक नये क्लेवर की... Hindi · कविता 10 1 377 Share राजेश 'ललित' 14 Feb 2021 · 1 min read प्रेम प्रेम ----------- नफ़रतों के जंगल में प्रेम अग्न हुआ मन हुलसा तन झुलसा राख में से निकलेगा वो प्रेम का नवांकुर कभी तो देखना तुम ----------- राजेश'ललित' Hindi · कविता 10 10 345 Share राजेश 'ललित' 27 Jan 2021 · 1 min read क्षणिकायें क्षणिकायें ---------------------- मैने जब सुनी दिल की आवाज सुनी; दुनिया की सुनता, तो दीवाना होता::राजेश'ललित' ------ मुझसे मेरा हाल न पूछो, मुझसे मेरी ख़ता न पूछो: वजूद मेरा चुरा लिया... Hindi · कविता 7 2 446 Share राजेश 'ललित' 27 Jan 2021 · 1 min read भूख का गणित भूख का गणित ---------- पेट पर हाथ रख कर वह भूख पालता रहा जहां तक संभव था भूख को टालता रहा गाड़ी आई वह जा चढ़ा जब तक भूख थी... Hindi · कविता 7 354 Share राजेश 'ललित' 27 Jan 2021 · 1 min read भूख का गणित भूख का गणित ---------- पेट पर हाथ रख कर वह भूख पालता रहा जहां तक संभव था भूख को टालता रहा गाड़ी आई वह जा चढ़ा जब तक भूख थी... Hindi · कविता 7 1 294 Share राजेश 'ललित' 26 Jan 2021 · 1 min read क्षणिकायें सर्दी की धूप ------------- मेरा आँगन और मै , दोनों ही परेशान हैं! धूप के न आने से!! मैने कंबल ओढ़ा, आँगन ने कोहरा, रात सिकुड़ती रही, ठिठुरती रही, कभी... Hindi · कविता 8 2 431 Share राजेश 'ललित' 26 Sep 2020 · 1 min read किस्से किस्से ————— सारे शहर में घूम घूम कर! झूठे क़िस्से :सच्चे क़िस्से! दीवारों के कान खड़े है? मन में कहे ही सुन लेते हैं! ऐसे क़िस्से:वैसे किस्से! हवा ज़हरीली बह... Hindi · कविता 11 2 514 Share राजेश 'ललित' 7 Sep 2020 · 1 min read काठ की हांडी आज की कविता ‘काठ की हांडी’में काठ की हांडी आम आदमी का प्रतीक है जिसको बार बार प्रयोग करके फेंक दिया जाता है।वैसे ‘काठ की हांडी चढै न बारंबार’एक लोकोक्ति... Hindi · कविता 6 2k Share राजेश 'ललित' 22 Aug 2020 · 1 min read आषाढ के दिन आषाढ के दिन ——————- मन की उमस बहुत हुआ ताप बस अब तो बरस खुले बहाव के दिन कटोरा भर अभाव के दिन आषाढ़ के दिन छत से उड़ी तिरपाल... Hindi · कविता 9 10 662 Share राजेश 'ललित' 21 Aug 2020 · 1 min read दोस्त दोस्त ——— दोस्त हो तो कहो दिल में पड़ी परतें खोलो कुछ कही कुछ मनकही कुछ अनकही दोस्त हो तो फूँको एक सिगरेट छल्लों के झरोखों से देखो मीठी यादों... Hindi · कविता 9 7 725 Share राजेश 'ललित' 5 Sep 2019 · 1 min read खोदा पहाड़ यह कविता कुछ गाँव के लोगों के सामूहिक प्रयास से पहाड़ों को खोद कर एक रास्ता बनाने को लेकर लिखी है।जब आप सरकार और उसकी संस्थाओं से गुहार लगा थक... Hindi · कविता 4 426 Share राजेश 'ललित' 10 Jul 2019 · 1 min read महफ़िल महफ़िल ----------———- ये वक़्त की महफ़िल है जनाब सब आयेंगे मिलने वाले तुम भी आना घर पर ही रख आना अपना अभिमान अपना ग़रूर अगली बार मिलो थोड़ी गर्माहट अपने... Hindi · कविता 4 317 Share राजेश 'ललित' 20 Apr 2019 · 1 min read तलाश अभी जारी है सोलहवीं लोकसभा के चुनाव आ गये। नेता अपने घर से निकल कर मंचो पर सजने लगे हैं।उनकी इन बातों से उपजी यह कविता:- ---------------------------------------- तलाश जारी है -------------------------------------------- पाँच बरस... Hindi · कविता 5 1 568 Share राजेश 'ललित' 10 Apr 2019 · 1 min read आ गये राजे महाराजे चुनावी सरगर्मी मे अपनी राह बनाती कविता -------------------------------------------------------------- आज के राजे-महाराजे ----------------------- आ गये आज के राजे-महाराजे ढोल बजाते सजा कर अपने अपने खोमचे ढेर सारे लेकर वादे खटी मीठी... Hindi · कविता 6 1 389 Share राजेश 'ललित' 3 Apr 2019 · 1 min read शब्द ' ----------------------------- शब्दों मत रुको कुछ कहो निरर्थक सा मत पड़े रहो शिला सी अल्हड़ नदी सा बहो वक्त के अनुसार बदलो अंदाजे बयां कुछ नया हो हाँ, तेवर रखो... Hindi · कविता 6 1 593 Share राजेश 'ललित' 19 Dec 2018 · 1 min read क्षणिकायें क्षणिकायें अक्सर लिखता हूं:लिखने की प्रेरणा मगर कवि बंधुओं और पाठकवृंद से मिलती है।आज की क्षणिका प्रस्तुत है --------------------------------------- "क्षणिका" ----------------------------------------- मत ढूंढो चांद को अमावस की रात है क्योंकि... Hindi · कविता 6 1 267 Share राजेश 'ललित' 13 Dec 2018 · 1 min read इज्जत बचाती एक लड़की आजके समय बेटियां कहीं भी सुरक्षित नहीं है,इस संदर्भ में अपने विचार इस कविता के माध्यम से कहने का प्रयास किया है। ---------------------------------------------------------------------------- "इज्ज़त बचाती एक लड़की" ---------------------------------------------------------------------------- स्कूल जाती... Hindi · कविता 7 2 308 Share राजेश 'ललित' 30 Nov 2018 · 1 min read मां तपस्विनी --------------------------------------------- 'मां तपस्विनी' ----------------------------------------------- है कहां? वो घर तपोवन? सिकुड़ गया, घर का आंगन। कहीं किसी कोने में, तपस्विनी सी बैठी है; थकी मांदी नैनन मे नींद भरी है, चूल्हा,चौका,... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 9 21 645 Share राजेश 'ललित' 30 Nov 2018 · 1 min read मां तपस्विनी यह कविता मां के अथक परिश्रम और निस्वार्थ भाव से सेवा करते हुए परिवार को एकजुट रखने का प्रयास करते हुए कठिन तपस्या करती है पर बदले में कुछ भी... Hindi · कविता 6 5 434 Share राजेश 'ललित' 30 Nov 2018 · 1 min read मां तपस्विनी यह कविता मां के अथक परिश्रम और निस्वार्थ भाव से सेवा करते हुए परिवार को एकजुट रखने का प्रयास करते हुए कठिन तपस्या करती है पर बदले में कुछ भी... Hindi · कविता 6 2 279 Share राजेश 'ललित' 2 May 2018 · 1 min read "जी तो रहा हूँ " "जी तो रहा हूँ " ---------------- जी तो रहा हूँ मगर ऐ ज़िंदगी तुझसे कटा कटा सा हूँ ध्यान से पढ़ना ज़रा ये खबर अख़बार फटा फटा सा हूँ मत... Hindi · कविता 5 1 257 Share राजेश 'ललित' 7 Feb 2018 · 1 min read बवाना की आग "बवाना की आग" ------------------------ बवाना की आग सब जल गया बची सिर्फ राख ही राख कुछ बेक़सूर लाशें कुछ लाचार सिसकियाँ दमघोटू आवाज़ें स्याह दीवारें किसे पुकारें कुछ कान में... Hindi · कविता 5 2 270 Share राजेश 'ललित' 21 Jan 2018 · 1 min read 'बसंत आ गया' शरद ऋतु में गर्मी की आहट अर्थात बसंत आने का संकेत।कुछ संकेत प्रकृति भी देती है।इसी से निकली'बसंत आ गया' -------------------------- "बसंत आ गया" ------------------------- बौरा गये हैं आम हर... Hindi · कविता 4 602 Share राजेश 'ललित' 20 Dec 2017 · 1 min read अरे,ग़रीबी ! सदियों से ग़रीबी और अमीरी के बीच खाई पाटने की कोशिश की जा रही है पर इसमें सफलता नहीं मिल पाई।ग़रीब और ग़रीबी हाथ में हाथ थामे अब तक शायद... Hindi · कविता 5 1 330 Share राजेश 'ललित' 12 Nov 2017 · 1 min read "धुँध " प्रदूषण के चलते आज पृथ्वी के अस्तित्व पर ख़तरा मँडरा रहा है।हवा का स्तर इतना ख़तरनाक हो गया है कि साँस लेना मतलब ज़हर लेना है और हम हल ढूँढने... Hindi · कविता 4 675 Share Page 1 Next