Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 May 2023 · 1 min read

साया ढूंढते हैं !

साया ढूंढते हैं !
—————–
पहले जंगल जलाया
अब पेड़ का साया ढूंढते हैं!
पहले बाग उजाॾा;
अब फूलों में सुगंध ढूंढते हैं!
क्या है उनके मन में?
वे खुद नहीं जानते !
लड़ते हैं;झगड़ते हैं
फिर नये संबंध ढूंढते हैं !

बस्ती बसाई थी जिसने;
जला डाला खुद ही;
दुनिया के दिखावे को;
उसी बस्ती के निशाँ ढूंढते हैं।

दुनियां बदलने का,
दम भरते थे वो;
न बदल सके खुद
को कभी;
कहने को अदब,
का सबब,ढूंढते हैं

अंधेरे में भटकते रहे
जो उम्र भर;
जला के झोपड़ी ग़रीब की
रौशनी में उसकी
खोया अपना साया ढूंढते हैं।
————
राजेश’ललित’

Language: Hindi
2 Likes · 215 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मेरे जैसे तमाम
मेरे जैसे तमाम "fools" को "अप्रैल फूल" मुबारक।
*Author प्रणय प्रभात*
सेहत या स्वाद
सेहत या स्वाद
विजय कुमार अग्रवाल
अक्सर मां-बाप
अक्सर मां-बाप
Indu Singh
बेटा तेरे बिना माँ
बेटा तेरे बिना माँ
Basant Bhagawan Roy
I am Yash Mehra
I am Yash Mehra
Yash mehra
जब बूढ़ी हो जाये काया
जब बूढ़ी हो जाये काया
Mamta Rani
"तब पता चलेगा"
Dr. Kishan tandon kranti
ख्वाबों के रेल में
ख्वाबों के रेल में
Ritu Verma
*औषधि (बाल कविता)*
*औषधि (बाल कविता)*
Ravi Prakash
संस्कार का गहना
संस्कार का गहना
Sandeep Pande
सौतियाडाह
सौतियाडाह
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
राम काव्य मन्दिर बना,
राम काव्य मन्दिर बना,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
*स्वप्न को साकार करे साहस वो विकराल हो*
*स्वप्न को साकार करे साहस वो विकराल हो*
पूर्वार्थ
शुभ दिवाली
शुभ दिवाली
umesh mehra
जो धधक रहे हैं ,दिन - रात मेहनत की आग में
जो धधक रहे हैं ,दिन - रात मेहनत की आग में
Keshav kishor Kumar
अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं
अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
"एकान्त चाहिए
भरत कुमार सोलंकी
जलाना आग में ना ही मुझे मिट्टी में दफनाना
जलाना आग में ना ही मुझे मिट्टी में दफनाना
VINOD CHAUHAN
रक्तदान
रक्तदान
Dr. Pradeep Kumar Sharma
कब तक बरसेंगी लाठियां
कब तक बरसेंगी लाठियां
Shekhar Chandra Mitra
रमेशराज के देशभक्ति के बालगीत
रमेशराज के देशभक्ति के बालगीत
कवि रमेशराज
कलियुग
कलियुग
Prakash Chandra
हमें क़िस्मत ने
हमें क़िस्मत ने
Dr fauzia Naseem shad
वो सुहानी शाम
वो सुहानी शाम
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
आज जब वाद सब सुलझने लगे...
आज जब वाद सब सुलझने लगे...
डॉ.सीमा अग्रवाल
हम कितने नोट/ करेंसी छाप सकते है
हम कितने नोट/ करेंसी छाप सकते है
शेखर सिंह
भोर पुरानी हो गई
भोर पुरानी हो गई
आर एस आघात
मेरी आँखों में देखो
मेरी आँखों में देखो
हिमांशु Kulshrestha
आशिकी
आशिकी
साहिल
औरत का जीवन
औरत का जीवन
Dheerja Sharma
Loading...