राजेश 'ललित' Tag: कविता 92 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 राजेश 'ललित' 22 Oct 2017 · 1 min read "मजमा" चुनाव नज़दीक आते ही नेता "मजमा" लगाना शुरु कर देते हैं। विभिन्न वायदे फेंकते हैं,आश्वासन उछालते हैं;जो नेता लोगों को आकर्षित करता है जिस पर अधिक ताली बजती है वही... Hindi · कविता 4 546 Share राजेश 'ललित' 29 Sep 2017 · 1 min read लफ़्ज़ो में न दफ्नाओ दो क्षणिकायें अलग अलग संदर्भों में प्रस्तुत हैं आशा है पसंद आयेंगी। ------------------ लफ़्ज़ों में न दफ्नाओ --------------- लफ़्ज़ों में न दफ्नाओ मेरे जज़्बातों को कहना है अभी बहुत कुछ... Hindi · कविता 5 1 233 Share राजेश 'ललित' 29 Sep 2017 · 1 min read लफ़्ज़ो में न दफ्नाओ दो क्षणिकायें अलग अलग संदर्भों में प्रस्तुत हैं आशा है पसंद आयेंगी। ------------------ लफ़्ज़ों में न दफ्नाओ --------------- लफ़्ज़ों में न दफ्नाओ मेरे जज़्बातों को कहना है अभी बहुत कुछ... Hindi · कविता 5 1 239 Share राजेश 'ललित' 19 Aug 2017 · 1 min read मुस्कुराती रहो मोनालिसा तेज़ी से बदलती हुई दुनिया में घटनाओं के प्रति हम उदासीन होते जा रहे हैं जैसे हमारे घर में लगी टी वी के उपर मोनालिसा की तस्वीर:- ------------------------- "मुस्कुराती रहो... Hindi · कविता 5 1 222 Share राजेश 'ललित' 12 Aug 2017 · 1 min read मरती धरती वैज्ञानिकों के बार बार चेतावनी देने के पश्चात् भी पर्यावरण में सुधार होने की बजाय हानि ही हो रही है ,जिससे धरती पर जीवन को ख़तरा हो गया है।पानी ,जंगल... Hindi · कविता 5 2 467 Share राजेश 'ललित' 4 Aug 2017 · 1 min read अकेलापन भी साथी अकेलापन भी साथी ----------------------- आज अकेलेपन को ही बना लेते हैं साथी फिर चलते हैं तन्हाईयों में फिर देखते हैं क्या कहती हैं ख़ामोशियाँ चुपके से उदासियाँ रहेंगी या लौट... Hindi · कविता 4 1 249 Share राजेश 'ललित' 3 Aug 2017 · 1 min read इंतज़ार मत करना "इंतज़ार मत करना" ------------------------- इंतज़ार मत करना अब मेरा थक गये हैं पाँव मुश्किल है चलना मोड़ अभी भी बहुत हैं ज़िंदगी के याद कर लेना कभी हो सके मेरे... Hindi · कविता 4 518 Share राजेश 'ललित' 23 Jul 2017 · 1 min read "दम लगा के हई शा" "दम लगा के हई शा" -------------------- दम लगा के हईशा हिम्मत न हार थक मत अब चल उठ जा चल उठ मत घुट घुट घुट कर मर जाएगा हाथ कुछ... Hindi · कविता 4 584 Share राजेश 'ललित' 5 Jul 2017 · 1 min read "जले हाथ" "जले हाथ" --------------- डालोगे ग़र हाथ पराई आग में हाथ फिर अपने ही जला करते है कितना लगाओ तुम गले दुश्मन को अपने भी यहाँ नहीं कम छला करते हैं... Hindi · कविता 4 1 548 Share राजेश 'ललित' 2 Jul 2017 · 1 min read उलझे धागे "उलझे धागे"मन की उलझन को धागों की उधेड़बुन की तरह सुलझाने का प्रयास कर रही है।कैसे आप पढ़ कर प्रतिक्रिया दें। ----------------------- उलझे धागे" --------------------- कभी खोले हैं उलझे धागे... Hindi · कविता 4 1 415 Share राजेश 'ललित' 23 Jun 2017 · 1 min read थका थका दिन अकेलेपन से व्यथित मन कोई साथी ढूँढ रहा है।पर जब उसे अपने आप से बात करने की फ़ुर्सत नहीं तो कोई दूसरा क्यों करे:- ------------------------ "थके थके दिन" ------------------ थके... Hindi · कविता 4 492 Share राजेश 'ललित' 14 Jun 2017 · 1 min read क्षणिका "क्षणिका" ------------------- पहले भी अजमाया था अब भी अाज़मा ले वैसे का वैसा हूँ जैसा पहले था अब भी वैसा हूँ क्या करूँ आदत से मज़बूर हूँ । बदले तुम... Hindi · कविता 4 290 Share राजेश 'ललित' 10 Jun 2017 · 1 min read प्रयोग करो:फेंक दो कभी कभी यूँ लगता है कि कुछ लोग आप के साथ आप को निजी स्वार्थ के लिये इस्तेमाल करते है और फिर भूल जाते हैं जैसे कोई पान कार्य चूस... Hindi · कविता 4 249 Share राजेश 'ललित' 30 May 2017 · 1 min read "बहेलिया" अभी उतर प्रदेश में एक बेटी के साथ छेड़खानी की घटना में जो कुछ सरेराह हुआ उसने अंत:कर्ण झझकोर दिया।उसी घटना का परिणाम;- ------------------------- "बहेलिया" हे रे बहेलिया मत पकड़... Hindi · कविता 4 278 Share राजेश 'ललित' 29 May 2017 · 2 min read "मन का चोर" "मन का चोर" दो भागों में रची कविता है जिसमें एक बाहरी चोर और दूसरी कविता में चोर भीतर का ही है पर एक बात जो दोनों में है वह... Hindi · कविता 4 437 Share राजेश 'ललित' 25 May 2017 · 1 min read "सच की गुंजाईश " आजकल सच को भी अपनी "सत्यता" की गवाही तलाशनी पड़ती है।सत्य के अवसर तलाशती कविता:- --------------------- "सच की गुंजाईश" ------------------------- जब भी झूठ बोलता हूँ पकड़ा जाता हूँ । ढूँढता... Hindi · कविता 4 285 Share राजेश 'ललित' 19 Mar 2017 · 1 min read "लघु कविता" "लघु कविता" ------------------- नये घाव की क्या है जल्दी पुराना तो भरने दो अभी उमर है जो भी बाकी मिल जायेगा नसीब में घाव ही तो है दे देना जी... Hindi · कविता 4 746 Share राजेश 'ललित' 13 Mar 2017 · 1 min read "हमदर्द" कभी कभी होता है हम किसी भी जानने वाले से हम अपना दु:ख दर्द बाँटना चाहते हैं कोई हमदर्द बनाना चाहते हैं। -----------------"हमदर्द"----------------- कुछ दर्द तुम हमसे कहो कुछ दर्द... Hindi · कविता 4 1 931 Share राजेश 'ललित' 4 Mar 2017 · 1 min read "झूठ" " झूठ" कलयुग का महत्वपूर्ण तत्व है।सत्य कितना संभाल कर रखना पड़ता है।देखें कैसा लगता है यह "झूठ" आप को; -------------------------------- "झूठ" ------------------------------- जा रहा हूँ कब लौटूँगा ? कह... Hindi · कविता 4 527 Share राजेश 'ललित' 25 Feb 2017 · 1 min read "फाग" हर त्यौहार हम सब अपनों के साथ मनाना चाहते हैं;जो बच्चे दूर हैं काम में संलग्न होने की वजह से नहीं आ पाते।माँ -बाप की इच्छा क्या है: --------------------- फाग"... Hindi · कविता 4 441 Share राजेश 'ललित' 18 Feb 2017 · 1 min read बचपन बचपन में बचपन खोना कौन चाहता है?कुछ बच्चों को रोज़ देखता हूँ ;मेहनत करके कमाते हुये बच्चे अच्छे नहीं लगते?स्कूल जाने और खेलने खाने की उम्र में ये सब करना---------?... Hindi · कविता 4 578 Share राजेश 'ललित' 5 Feb 2017 · 1 min read "बिजूका" "बिजूका" ------------------------- जानते नहीं , क्या होता, बिजूका? एक टाँग , पर खड़ा हुआ, बाँहें पसारे, मटकी का सिर लटकाये, सदा मुस्कराये, पराली का शरीर, चीथड़े लगा कोट, खेत जैसे... Hindi · कविता 4 1 1k Share राजेश 'ललित' 5 Feb 2017 · 1 min read "क्षणिका" "क्षणिका" ------------------------- अन्जान राहों का मुसाफ़िर हूँ न राह कटी न ज़िंदगी, पहुँचेंगे कहीं तो, कटे कटे, खरामा खरामा*। ----------------------- राजेश"ललित"शर्मा २८-१-२०१७ ---------------------- खरामा:-धीरे धीरे Hindi · कविता 4 326 Share राजेश 'ललित' 29 Jan 2017 · 1 min read "क्षणिका" दोस्ती कभी नहीं मिटती;दबी रहती है,मन के भीतर मौक़ा मिलते ही छलक जाती है:- -------------------- "क्षणिका" ------------------------ दोस्त का संदेश आया कुछ ठहाके गूँज गये ज़हन में, कुछ गालियाँ उछलीं,... Hindi · कविता 4 1 358 Share राजेश 'ललित' 28 Jan 2017 · 1 min read "क्षणिका" क्या कुछ कहने के लिये शब्द ज़रूरी हैं?नहीं न---! ------------------------- "क्षणिका" ---------------------- लिखनी थी चिट्ठी उनको; शब्द हो गये गुम, और मैं गुमसुम; कोरा काग़ज़ हूँ ; क्या भेजूँ ?... Hindi · कविता 4 1 272 Share राजेश 'ललित' 27 Jan 2017 · 1 min read "क्षणिका" कभी कभी किसी के हँसने को या रोने को कोई वजह बता कर टालने की कोशिश करते हैं पर वस्तुस्थिति कुछ और होती है ,देखें कैसे:- —————————— "क्षणिका" ------------------------- मेरी... Hindi · कविता 4 256 Share राजेश 'ललित' 25 Jan 2017 · 1 min read "वजूद" देखें क्या हाल हो गया आदमी का रोटी कमाने में।क्या मैनें ठीक कहा? पढ़िये और बताइये :- ------------------------- "क्षणिका" "वजूद" ------------------------- वजूद मेरा खा गया शहर यह तेरा; पत्थर सा,... Hindi · कविता 4 1 199 Share राजेश 'ललित' 24 Jan 2017 · 1 min read "अन्याय" न्याय की आशा में लाखों लोग न्यायलय के चक्कर लगाते रह जाते हैं।मैं समझता हूँ यह उन लोगों रे साथ "अन्याय"है जो ग़रीब हैं।आप भी राय दें:- ------------------------- "अन्याय" -------------------------... Hindi · कविता 4 249 Share राजेश 'ललित' 23 Jan 2017 · 1 min read "पोरस" "पोरस"रो नयी पीढ़ी शायद नहीं जानती,जिसने सिकंदर जैसे योद्धा का न केवल सामना किया अपितु हार के बावजूद उसकी आँखो में आँखे डाल कर उससे बराबरी का हक़ लेने में... Hindi · कविता 5 1 422 Share राजेश 'ललित' 20 Jan 2017 · 1 min read "बेटी की बेटी" प्रस्तुत कविता मेरी बेटी के यहाँ बेटी के जन्म के कुछ दिनों के बाद आनायास ही निकली क़लम से,उसकी निश्छल मुस्कान देख कर।आप भी पढ़िये:- ------------------------- "नातिन" देखी तुमने मेरी... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 4 369 Share राजेश 'ललित' 20 Jan 2017 · 1 min read "दु:ख" दु:ख का मतलब सुख का जाना।दु:ख को किस प्रकार अभिव्यक्ति मिली है,बताईये ; ------------------------- "दु:ख" ------------------------- ढूँढ लिया मैंने अपना पता, हे,रे सुख! तू जा, रहूँगा, अब, मैं, सदा के... Hindi · कविता 4 233 Share राजेश 'ललित' 18 Jan 2017 · 1 min read "औक़ात" "औक़ात" ------------------------- मुझे है पता, मेरी औक़ात, तू बता ? क्या है तेरी जात* कितनी जायदाद ? है मेरे पास ! दो गज ज़मीन, कपड़ा दो हाथ। है तेरे पास,... Hindi · कविता 4 376 Share राजेश 'ललित' 7 Jan 2017 · 1 min read "क्षणिका" "क्षणिका" ------------------------- हवाओं ने फैलायी, थी तेरी आने की, ख़ुशबु , इंतज़ार भी किया, ताउम्र मैंने , संदेश हवा का, बस झूठा निकला ---------------------- राजेश"ललित"शर्मा Hindi · कविता 4 482 Share राजेश 'ललित' 5 Jan 2017 · 1 min read "क्षणिका" "क्षणिका" ---------------------- अब नहीं , बोलूंगा कभी, सत् । खुल जायेगा, झूठ सारा, परत दर परत। ------------------------- राजेश"ललित"शर्मा ------------------------ Hindi · कविता 4 414 Share राजेश 'ललित' 3 Jan 2017 · 1 min read "किताब" "किताब" ------------------------- आँख बंद, कर या न कर। खुली किताब हूँ , पढ़ या न पढ़ । यूँ ही समझ जाओगे, सफ़ा दर सफ़ा*। हर्फ़ दर हर्फ़ *। ------------------------- सफ़ा... Hindi · कविता 4 510 Share राजेश 'ललित' 3 Jan 2017 · 1 min read "क्षणिका" "क्षणिका" ------------------------- अब नहीं , बोलूंगा कभी, सत् । खुल जायेगा, झूठ सारा, परत दर परत। ------------------------- राजेश"ललित"शर्मा Hindi · कविता 4 424 Share राजेश 'ललित' 31 Dec 2016 · 1 min read "दबे मज़दूर दबे" साल की अंतिम कविता थोड़ी दु:खद है;पर शायद साल को और उन लाचार मज़दूरों को श्रद्धांजली ही नव वर्ष को तर्पण है। ------------------------- "दबे मज़दूर दबे" ------------------------- दबे हुए मज़दूर... Hindi · कविता 4 214 Share राजेश 'ललित' 29 Dec 2016 · 1 min read "हिसाब" "हिसाब" ------------------- हिसाब----? क्या-------? मुझे सब है पता, हाशिये पर , होगा सिर्फ़ /मेरा नाम। देनदारियाँ होंगी सारी की सारी, सिर्फ़ मेरे /नाम ; भरे होंगे हाशिये । चुकाऊँगा सब;... Hindi · कविता 4 246 Share राजेश 'ललित' 28 Dec 2016 · 1 min read "हद" "हद " ----------- मुझे बता , कहाँ तक, है मेरी हद। तुम्हें भी, मालूम होनी चाहिये; तुम्हारी हद। तो तय है! बँटवारा ?हा----! देखना, लकीर में, वो जो, खींची गई,... Hindi · कविता 4 529 Share राजेश 'ललित' 27 Dec 2016 · 1 min read "दो क्षणिकाएँ " "क्षणिका" ---------------------------------------------- मैं ही निकला, कुछ कमअक्ल; वो आया, और समझा गया, मुझे! मेरी ही, बात का मतलब? ------------------------- ---- "क्षणिका"-------- ——----------------------- वो जो दो पल थे ख़ुशी के; पास... Hindi · कविता 4 1 574 Share राजेश 'ललित' 25 Dec 2016 · 1 min read "पोरस" "पोरस" ------------------------- जानता हूँ , सिकंदर हो तुम; तुम अपने जहाँ के। पर हूँ , पोरस मैं भी; जीवन में अपने; छोड़ूंगा नहीं, युद्ध का मैदान, अंत तक, जब तक,... Hindi · कविता 4 548 Share राजेश 'ललित' 24 Dec 2016 · 1 min read "बचे खुचे रिश्ते" बचे खुचे रिश्ते" ------------------------ "बाक़ी सब शहर बसे बचे खुचे गाँव में बुढ़े की खाट बिछी नीम की छांव में बूढ़ी का चूल्हा जला मुँडेर पे कौआ बोला काँव काँव... Hindi · कविता 4 236 Share Previous Page 2