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13 Mar 2017 · 1 min read

“हमदर्द”

कभी कभी होता है हम किसी भी जानने वाले से हम
अपना दु:ख दर्द बाँटना चाहते हैं कोई हमदर्द बनाना चाहते हैं।
—————–“हमदर्द”—————–

कुछ दर्द
तुम हमसे कहो
कुछ दर्द
हम तुम्हें सुनायें
रखें सर अपना
इक दूसरे के कांधों पर
थोड़ा रोयें
शायद हो जाये
मन हल्का करें
कुछ देर को सही
दर्द भूल कर हम
हमदर्द बन जायें।
———————-
राजेश”ललित”शर्मा
९-३-२०१७
७:०७—-सांय
——————
क्षणिका”
——————–
वो नाराज़ हैं मुझसे,
अच्छा है,
अब पता चला
वही मेरा अपना है
————————-
राजेश”ललित”शर्मा

Language: Hindi
4 Likes · 1 Comment · 926 Views
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