ईश्वर दयाल गोस्वामी Tag: कविता 52 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid ईश्वर दयाल गोस्वामी 2 Aug 2024 · 1 min read अगर आप आदमी हैं तो / (नईकविता) अगर आप आदमी हैं तो पानी आपको भिगो नहीं सकता; आग आपको जला नहीं सकती; लेकिन हवा आपको सुखा सकती है, अगर आप आदमी हैं तो । पत्थर आपको चोटिल... Hindi · कविता 4 465 Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 15 Jun 2023 · 1 min read चंद्रयान-3 / (समकालीन कविता) अब बदलेंगे मिथक, परिवर्तित होंगीं चंद्रमा पर सदियों-सदियों से प्रचलित कहावतें । शुरू होगा एक बार फिर देश-दुनिया के काव्य-मंचों पर चंद्रमा पर केंद्रित समकालीन आलाप । लेखकों की मेज... Hindi · कविता 8 8 354 Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 1 May 2022 · 3 min read जीवन एक कारखाना है / जीवन एक कारख़ाना है, हम सब हैं इसके मज़दूर । छोटे, बड़े और मझले । गंदे, स्वच्छ और धुँधले । अच्छे, बुरे, बहुत अच्छे । झूठे और बहुत सच्चे ।... Hindi · कविता 15 22 627 Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 8 Feb 2022 · 1 min read सिगरेट क्या है ? सिगरेट क्या है ? आकाश छूने की आकांक्षा में जलते अधरों से उड़ता बदरंग, सर्पीला धुआँ, क्या कहा ... महत्वाकांक्षा नहीं, बिलकुल नहीं, तो फिर सिगरेट क्या है ? कागज़... Hindi · कविता 10 10 617 Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 30 Mar 2021 · 3 min read पहले कवि की पहली कविता / विद्रोही था पहला कवि वह, करुणा - स्वर से उपजा गान । प्रतिकारात्मक कटु - शब्दों में, बह निकली कविता अनजान । इस कविता में नयन - बिंदु ने, लिया... Hindi · कविता 9 17 867 Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 10 Jan 2021 · 1 min read भारत-भारती हिंदी / मेरे प्रिय समस्त भारत वासियों व अप्रवासी भारतीयों को विश्व हिंदी दिवस की शुभकामना स्वरूप प्रस्तुत हैं कुछ काव्य-सुमन - भारत-भारती हिंदी / हृदय सरिता प्रवाहित है, नयन-तट पर खिले... Hindi · कविता 7 10 519 Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 4 Dec 2020 · 1 min read सरस्वती वंदना / माँ ! मेरे निर्धन होंठों को, शब्दों का धनवान बना दे। खट्टी , कड़वी है ये जिव्हा, इसको रस की खान बना दे ।। स्वर अनुगुंजित हों वीणा के, मन... Hindi · कविता 8 14 511 Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 8 Oct 2020 · 2 min read शील भंग की नई ख़बर है / (समसामयिक कविता) गरम-गरम है , ताज़ी-ताज़ी, शील भंग की नई ख़बर है । सच्चाई है या-कि झूठ है, कुछ तो है, जो इधर-उधर है ।। रेप हुआ है , टेप हुआ है,... Hindi · कविता 7 6 396 Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 20 Apr 2020 · 1 min read पालघर हत्याकांड अब हम और बर्दाश्त नहीं करेंगे धर्म निर्पेक्षता की गंदी गाली ; अब हम और सुनना नहीं चाहते डरे हुए तथाकथित विद्वानों के मूर्खता भरे वक्तव्य ; अब हम और... Hindi · कविता 7 8 504 Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 9 Nov 2019 · 1 min read राम यानि भारत, भारत यानि राम भारत की न्याय प्रक्रिया को कोटिशः साधुवाद करती हुई प्रस्तुत हैं स्वरचित कुछ पँक्तियाँ - भारत यानि राम, राम यानि भारत / "ये माना कुछ दिलों में कुछ भरम है... Hindi · कविता 6 4 326 Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 29 Jun 2019 · 2 min read ग्रीष्म और श्रम (समकालीन कविता) ग्रीष्म का स्पर्श अब, आनंद नहीं है अमराई का । तपती आशाओं पर छिड़का महँगाई का नमक है । कोई अवसर दिखता नहीं है आदमी की करतूत में ; कि... Hindi · कविता 9 8 572 Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 24 May 2019 · 1 min read ग़ज़ल समसामयिक प्रस्तुत है वर्तमान जीत पर आधारित एक समसामयिक ग़ज़ल ग़ज़ल / दुनिया को नई राह बताने का शुक़्रिया । हर सिम्त जीत दर्ज़ कराने का शुक़्रिया ।। दाढ़ी को धन्यवाद... Hindi · कविता 4 2 316 Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 26 Nov 2017 · 1 min read त्रासदी (युवा मित्र के अकस्मात दुखद निधन पर अर्पित काव्य-श्रद्धांजलि ) त्रासदी/ उस क्षण कैसा लगता है ? जब वृक्ष बनने से पहले ही उखड़ जाए कोई रसीले फलों बाला पौधा... Hindi · कविता 4 2 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 3 Nov 2017 · 1 min read मित्रता कभी-कभी, ऐंसा लगता है; फुदक-फुदक कर, चहक-चहक कर, उड़ जाऊँ, गौरैया जैसा । गुनगुनाऊँ, गीत गाऊँ, आम्र की शाखा पर बैठी कोयल जैसा । थिरक-थिरक कर, नाच उठूँ मै ;... Hindi · कविता 4 3 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 26 Jun 2017 · 2 min read आव बैठ ले मजले कक्का (बुंदेली कविता) आव बैठ ले मजले कक्का हते कहाँ तुम ? तुमसें मिलें जमानों हो गव । ऊँसई सूके कुआ बाबरी , ऊँसई नदिया नारे । बिखरे हैं रसगुल्ला जलेबी, डरे करैया... Hindi · कविता 6 6 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 18 Jun 2017 · 1 min read श्रद्धांजलि आखिर! दाग ही दिए ग्रेनेड जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने सेना के शिविर में सोते हुए जवानों पर । 14 जवान ज़िन्दा जले 20 हुए घायल । फिर भी हम अभी... Hindi · कविता 4 2 973 Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 17 Apr 2017 · 1 min read उठ मेरी बेटी बकरियाँ मिनमिनाती हुई जाने लगीं ज़ंगल की ओर ; रोज़ की तरह समझाती हुईं समय की पाबंदी का अर्थ । बजने लगे पहट से लौटती भैंसों के गले के घंटे... Hindi · कविता 6 2 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 11 Apr 2017 · 1 min read यह नगरी है (५) यह नगरी है , नेताओं की , आकाओं की । बस-स्टेंड इनके पापा का , जिसे बनाया इनने दफ़्तर । लंबी ऊंची पहुंच बताकर , ख़ुद ही ख़ुद को कहते... Hindi · कविता 4 2 985 Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 9 Apr 2017 · 1 min read यह नगरी है (४) यह नगरी है , भक्तों की , परम विरक्तों की । बगुले जैसा ध्यान लगाते । फिर भी मछली पकड़ न पाते । यज्ञ कराते भजन कराते । रामायण का... Hindi · कविता 3 2 919 Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 8 Apr 2017 · 1 min read यह नगरी है (३) यह नगरी है , संतों की , परम महंतों की । जटा-जूट लम्बे-चौड़े हैं । पर विचार इनके भौंड़े हैं । तिलक है लम्बा चिंतन छोटा । धर्म-कर्म सब इनका... Hindi · कविता 4 2 988 Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 7 Apr 2017 · 1 min read यह नगरी है (२) यह नगरी है , सिद्धों की, परम प्रसिद्धों की । कान खड़े रहते हैं जिनके , परनिंदा हरक्षण सुनने को । नाक सदा जो पेंनी रखते , गंध घृणा की... Hindi · कविता 5 4 827 Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 7 Apr 2017 · 1 min read यह नगरी है (१) यह नगरी है , बुद्धों की , परम प्रबुद्धों की । मुर्गे की जो टांग खींचते , सदा सत्य से आंख मींचते । वियर- बार में मंजन करते , कटुता... Hindi · कविता 4 2 961 Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 1 Apr 2017 · 1 min read सापेक्षता (समकालीन कविता) तुम, आधे-अधूरे नहीं, परिपूर्ण हो, सम्पूर्ण हो । क्योंकि- तुम्हारे पास हाथ हैं , पांव हैं , नाक है, कान हैं, आंखें हैं । यहां तक कि- उन्नत कल्पनाओं को... Hindi · कविता 4 2 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 30 Mar 2017 · 1 min read बाल उमंग ( बाल कविता) आज गेंद-सा , मैं उछलूंगा । आगे बढ़ने को दौड़ूंगा । बड़ी खाईंयां , मैं लांघूंगा । जीवन को अब, मैं जानूंगा । पापा से यह , गेंद मंगाई ।... Hindi · कविता 4 2 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 28 Mar 2017 · 1 min read नवरात्रि के आगमन पर आ रही हैं कल से मैया । प्यारी मैया , सबकी मैया । कल से होंगे रतजगे । भगतें होंगी , भजन भी होंगे । दारू बाले दारू छोड़ेंगे नवदिन... Hindi · कविता 3 2 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 27 Mar 2017 · 1 min read पीड़ा पीड़ा जब भी आई है , नहीं किसी को भाई है । हर्षित होकर कोई न उठता , अतिथि पीड़ा के स्वागत में , फिर भी पीड़ा करती रहती ,... Hindi · कविता 3 2 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 21 Feb 2017 · 1 min read वसंत का स्पर्श वसंत का स्पर्श अब आनंद नहीं है आदमी की आँखों में । 'जले पर छिड़का गया नमक है ।' कोई आशा बाकी नहीं है आदमी के भीतर सोये आदमी के... Hindi · कविता 3 2 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 31 Jan 2017 · 1 min read अपने बेटे के लिए ( समकालीन कविता ) बेटे ! मेरी रफ़्तार के लिए तब्दील होते थे दुनियाँ की तमाम रफ़्तारों में मेरे पिता । कई बार सुख का तमाम आनंद महसूस करने के बाबजूद दुख के महासमुद्र... Hindi · कविता 4 4 3k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 14 Dec 2016 · 1 min read कचरे का ढेर कमाया , ठीक कमाया और बहुत कमाया ; नाम भी , धन भी । अपनी कला से किया लोगों का मनोरंजन भी । नगर-नगर गलियों-गलियो में खूब मचाई धूम ।... Hindi · कविता 3 6 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 12 Dec 2016 · 1 min read जंगली और पालतू कुत्ते की मित्रता (व्यंग्य- कविता) जंगल से इक आया कुत्ता । बूटी मुँह में दाबे कुत्ता । उसे देखकर भौंका कुत्ता । जंगल के फिर उस कुत्ते को, इस कुत्ते ने मित्र बनाया । मालिक... Hindi · कविता 4 8 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 21 Nov 2016 · 1 min read समझौता लड़की, बीड़ी की टोकरी लिए जाती है, कारख़ाने रोज़-ब-रोज़ । ठेकेदार घूरता है उसे श्वान की तरह, ताकता है, उसकी देहयष्टि । जैसे कि- लड़की बीड़ी है, या बीड़ी ही... Hindi · कविता 3 4 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 19 Nov 2016 · 1 min read अपेक्षायें भाईयों-बहिनों को चाहिए, भाई ज़िम्म़ेवार। माता-पिता को पुत्र पूरा। समाज को इंसान जो जिए दूसरों के लिए । देश को चाहिए सच्चा देशभक्त । मित्रों को चाहिए मित्रता अनपेक्षित सहयोग... Hindi · कविता 2 10 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 16 Nov 2016 · 1 min read तुम और पक्षी तुम्हें अच्छी नहीं लगती, पक्षियों की स्वच्छंद उड़ान, क्योंकि-तुम उड़ ही नहीं सकते। तुम्हें भाता नहीं है, पक्षियों का निडर होकर चहकना । क्योंकि-तुम जहाँ गंभीर हो, वहाँ महज़ दिखावा... Hindi · कविता 2 6 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 15 Nov 2016 · 1 min read किवाड़ या भय ये केवल किवाड़ नहीं हैं । ये जब बोलते हैं , तो सहम जाती है माँ । ये जब हिलते हैं तो ठिठक-से जाते हैं पिता । इनका बंद रहना... Hindi · कविता 5 18 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 14 Nov 2016 · 1 min read जीने का ढंग जब कभी भी देखता हूँ , इस फैले आकाश में करते हुए स्वच्छंद विचरण पक्षियों के झुण्ड को । तो,मन कुछ चाहता है,सीखना , मसलन एकता , या केवल एकता... Hindi · कविता 2 4 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 13 Nov 2016 · 1 min read आदमी से हटकर यदि हम , कुछ पाना चाहते हैं तो वह यह कि- हम पाना नहीं चाहते अपने ही भीतर खोया हुआ आदमी. । यदि हम कुछ करना चाहते हैं, तो यह... Hindi · कविता 2 2 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 13 Nov 2016 · 1 min read आदमी (3) राशन ख़रीदने किसी कठारख़ाने की दूकान पर, जो लगी हो लम्बी-सी कतार । किस चीज की है वह कतार , यह कुछ-कुछ समझ में आने बाली बात है । प्रमाणपत्र... Hindi · कविता 2 2 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 13 Nov 2016 · 1 min read आदमी (2) भूगोल पर धुआँ फूँकता ले जाना चाहता है विज्ञान को , एक सख्स़़ आकाश तक। जिसे हम आदमी के नाम से जानते हैं । और वह आदमी बेख़बर है पूरी... Hindi · कविता 2 4 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 13 Nov 2016 · 1 min read आदमी (1) श्याम-पट पर अक्षरों की तरह चमकदार नहीं है आदमी । आदमी अब अक्षरों पर श्याम-पट की तरह काला और उपयोग के बाद दीवाल पर किसी कील के सहारे टाँगे गए... Hindi · कविता 2 2 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 12 Nov 2016 · 1 min read हरे रामा , हरे कृष्णा उम्र ज्यों-ज्यों बढ़ रही है। वुद्धि-सी कुछ आ रही है। यूँ लगे जैसे कि- मुरली , कान में कुछ गा रही है । कर्म-पथ की राह कान्हा , मन को... Hindi · कविता 2 6 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 10 Nov 2016 · 1 min read प्रधानमंत्री या सेवक मेरे नहीं है कोईआगे। मेरे नहीं है कोईपीछे। भारतमाता की रक्षा में, इसीलिए हूँ आगे-आगे । पीछे केवल प्यार आपका, जो मुझको संबल देता है, यही भरोसा , यही प्यार... Hindi · कविता 3 2 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 10 Nov 2016 · 1 min read कभी-कभी कभी-कभी ढोना पड़ती है पृथ्वी अपने ही कंधों पर । अपने लिए नहीं, समाज की रक्षा के लिए । कभी-कभी बाँधना पड़ता है आकाश को भी सीमाओं में । क्षितिज... Hindi · कविता 4 4 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 8 Nov 2016 · 1 min read खाँसी खाँसी वास्तव में खाँसी नहीं है, प्रतीपगमन है भावनाओं का । यानि - सिर्फ़ आगे बढ़ना , या सिर्फ़ पीछे मुड़ना । खाँसी,खाँसी नहीं प्रकार है , जैसे- मेरी खाँसी... Hindi · कविता 2 2 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 8 Nov 2016 · 1 min read प्रेम (3) कितना ज़रूरी है, किसी कली को पनपने के लिए, किसी और कली का फूल बनना , फिर मुरझाना और फिर डाली से विलग होकर भूमि पर गिर, नष्ट कर देना... Hindi · कविता 2 2 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 8 Nov 2016 · 1 min read प्रेम (2) तुम्हें पाना ही सब नहीं है । जीवन सार्थक भी नहीं होता मात्र तुम्हें पाने भर से । बल्कि-बहुत कुछ त्यागना ,सहना और खोना पड़ता है, तुम्हें पाने के बाद... Hindi · कविता 2 2 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 8 Nov 2016 · 1 min read प्रेम (1) बात कविता की हो, या जीवन के किसी भी पहलू की । हर क्षण की शुऱुआत से पहले ज़िक्र तुम्हारा होता है। तुम्हें पाये बिना या तुम्हें खोजे बिना ,... Hindi · कविता 3 4 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 8 Nov 2016 · 1 min read संघर्ष जब , गहरी ख़मोशी में तब्द़ील होती है, बच्चों की किलकारी । जब , गिरने लगता है स्वेद, माँ के शांत माथे से । जब , गीला करती हैं धरा... Hindi · कविता 2 6 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 7 Nov 2016 · 1 min read क्षणिकाएँ (1) मानव-जीवन , ज्यों-सरिता है। आँसू त्यों- पूरी कविता है। (2) मानव-जीवन सागर है । भरी ज्ञान की गागर है। गोता लेते गोता-खोर । बाकी चोरी करते चोर । (3)... Hindi · कविता 1 8 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 7 Nov 2016 · 1 min read वेदना वीणा-सी झंकृत होती, आवाज माँ की , अब सहमी हुई है,दो बरस से । माथे से बहता स्वेद, और पैरों में पड़े हुए छालों के साथ, पच्चीस कोस पर होता... Hindi · कविता 2 6 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 7 Nov 2016 · 1 min read लापरवाह माली बेशक ! जिस तरह खिलना चाहिए उस तरह अब नहीं, खिल रही हैं कलियाँ । फूलों की मधुर गंध से वंचित हैं, आज गलियाँ। इसलिए-नहीं कि-बाग में कोई माली नहीं... Hindi · कविता 2 4 1k Share Page 1 Next