महेश चन्द्र त्रिपाठी Language: Hindi 137 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid महेश चन्द्र त्रिपाठी 15 May 2024 · 1 min read धन्यवाद की महिमा धन्यवाद की महिमा न्यारी अलादीन का यह चिराग है जो तन-मन को शीतल कर दे यह ऐसी दैवीय आग है धन्यवाद देने वाले का नहीं पास से कुछ जाता है... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 7 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 15 May 2024 · 1 min read मैंने पहचान लिया तुमको जीवनाधार तुम कहलाते तुम मेरे सपनों में आते तुम मेरे उरपुर के वासी तुम मुझसे कविता लिखवाते जब भी तुम दर्शन देते हो मेरी पीड़ा हर लेते हो मेरे नयनों... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 7 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read परमेश्वर की वार्ता धरती से ज्यादा माँ सहिष्णु गतिवान वायु से ज्यादा मन पत्थर के हृदय नहीं होता मछली सोती है खोल नयन सबसे बढ़कर है धर्म दया मन-कल्मष को त्यागना स्नान जो... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 17 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read आओ अच्छाई अपनाकर अच्छे विचार अच्छे भावों, को जन्म दिया करते हैं अच्छे भावों से भरकर हम, सत्कर्म किया करते हैं बुरे विचार बुरे भावों से , जब हमको भर देते हैं अवसादित... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 16 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read मजेदार है जीवन मजेदार है जीवन अपना, जीवन जीना है आसान परमात्मा की अनुकम्पा से, हम पर बरस रहे वरदान शरण गहें हम परमात्मा की, इससे बड़ा न कोई ज्ञान वह चाहता तभी... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 15 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read उषा का जन्म जब हुआ उषा का जन्म, मृदुल- शीतल-सुरभित समीर डोली मुर्गे की बाँग सुनाई दी सुन पड़ी धतूरे की बोली विहगों ने त्याग बसेरा निज कलरव से जग को जगा दिया... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 12 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read अर्थ काम के लिए अर्थ काम के लिए निरन्तर, होते बड़े-बड़े अपराध। हर सम्बन्ध गौण हो जाता, अपना ही बन जाता ब्याध।। मायापति की माया समझें, यही सिखाता हमको धर्म, यह सारी वसुधा कुटुम्ब... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 18 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read हमें पकड़ते नहीं हमें पकड़ते नहीं दुर्व्यसन, हम ही इन्हें पकड़ते हैं। ढोंग छोड़ने का करके हम, प्रतिपल इन्हें जकड़ते हैं।। अपनी लाख बुरी आदत के, दुर्गुण तो गाते हैं हम। लेकिन इच्छाशक्ति... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 18 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read मैं अकूत धन का स्वामी मैं अकूत धन का स्वामी हूं मैं हूं विश्व-विजेता मेरे जैसा अन्य न कोई मैं युग का नचिकेता मेरा वार्तालाप प्रकृति के कण-कण से होता है जगतपिता मेरे मानस में... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 15 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read नव पल्लव आए नव पल्लव आए तन तरु में जब पतझड़ से अवकाश मिला रोमांचित रोमावली अजिर उर उपवन में नव कुसुम खिला 💐 फिर से नूतन आशा जागी लगता उपलब्धि पुनः सम्भव... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 14 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read हैं भण्डार भरे हैं भण्डार भरे दाता के, होते कभी न खाली। जिसने जितनी दौलत मांगी, उसने उतनी पा ली।। प्रभु के पास प्रचुरता धन की, इच्छित धन मिल जाता। देने वाला हर... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 19 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read मुझ पर करो मेहरबानी मुझ पर करो मेहरबानी तुम मेरी ओर न हेरो मेरी पीठ, पीठ रहने दो अपना हाथ न फेरो तुम जिसका सिर सहलाते हो शुभाशीष देते हो प्रायः पागल हो जाता... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 14 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read आकर्षण का नियम आकर्षण का नियम, प्रेम का नियम कहा जाता है। जो करता है प्रेम, प्रेम से वह सब कुछ पाता है।। प्रेम-भाव से सराबोर जो, वह अजेय बन जाता। उसके ऊपर... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 15 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read हम रोते नहीं हम रोते नहीं, न रोयेंगे हम हॅंस-हॅंस हर दुख धोयेंगे हम कभी न होंगे शोकमग्न हम साथ सुखों के सोयेंगे हम सुख-दुख में रहते हैं सम मरने से कभी न... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 13 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read प्रेषित करें प्रणाम जीवन में हम काम वह करें जिससे हमें मिले आनन्द। जिससे उचट-उचट जाता मन उसको करना कर दें बन्द।। काम डूबकर कर पायेंगे यदि वह करना हमें पसन्द। और तभी... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 14 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read जीवन है अनमोल जीवन है अनमोल और साॅंसें हैं सीमित अतः ज़रूरी है सुकीर्ति कर लें हम अर्जित करें न ऐसा काम कि जिससे छवि हो धूमिल नेक कार्य में सदा-सर्वदा हों हम... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 17 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read हे जग की माता अवनी—अम्बर को आलोकित करती निर्मल हंसी तुम्हारी मां! तुम पर बलि—बलि जाते हैं भूमण्डल के सब नर—नारी सभी तुम्हारी अनुकम्पा के याचक हैं, हे जग की माता ! जिस पर... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 13 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read आने वाला युग नारी का नारियां पहनतीं जींस—टॉप नारियां विमान उड़ाती हैं वे अन्तरिक्ष की यात्रा पर बेखौफ बेधड़क जाती हैं अपने अर्जन से वस्त्र पहन अपने अर्जन का खाती हैं अपना हक हक से... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 15 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read हा रघुनन्दन ! टूट गई मेरे बिन चाहे डोर नेह की असमय ही बढ़ गई अचानक पीर देह की लगी सताने याद अनवरत मन अकुलाए लाख यत्न के बावजूद हिय शान्ति न पाए... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 13 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read प्रेम करें.... यदि प्रेम करें सागर से यदि तो खारा जल मीठा हो जाए प्रेम करें पेड़ो-पौधों से तो न प्रदूषण हमें सताए प्रेम करें पर्वत से यदि तो वह चरणों में नत... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 15 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read तू कैसा रिपुसूदन मन को उड़ना नहीं सिखाया थिर रह करता क्रन्दन रिपु विचरें सानंद धरा पर तू कैसा रिपुसूदन ! मैं हूं तेरी शरण, शरण में मन को शांति न मिलती द्रवित... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 16 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read प्यार की दरकार चाह रहा मैं गहन मौन में करना तुमसे प्यार गहन मौन में तुम न सकोगे मेरा प्यार नकार + चाह रहा मैं एकाकी ही करना तुमको प्यार सदा तुम्हारे एकाकीपन... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 16 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read चाहता बहुत कुछ चाहता बहुत कुछ देखूं मैं चाहता बहुत कुछ पाऊं चाहता भ्रमर की भांति सदा मैं भी गुनगुनगुन गाऊं चाहता विहग बन उड़ूं और मैं दूर-दूर तक जाऊं संदेश शांति का... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 15 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read परिवर्तन सृष्टि परिवर्तनमयी है, विज्ञ पुरुषों ने कहा नए को स्थान देकर पुराना जाता रहा पूर्ण रखता स्वयं को जगदीश सर्व प्रकार से किसीको दे जन्म जगमें,किसी के संहार से कहीं... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 17 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read जीवन में संघर्ष जीवन में संघर्ष न हो तो जीवन जीना सारहीन है। वीर कभी क्या बन पाएगा जो विलास में सहज लीन है? प्रेमपूर्वक सत्य के लिए जा सकता है सब कुछ... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 14 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read अनन्यानुभूति अपनी विरहाकुलता का मैं साक्षी स्वयं अकेला साक्षी है जो अन्य उसी ने पैदा किया झमेला विरहाकुलता देन उसी की जो जन समझ न पाते वे विमोह वश व्याकुल होते... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 15 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read सपनों की खिड़की सपनों की खिड़की से जो करते दुनिया में झांका पड़ जाता उनके उर में जब वे सोते तब डाका सपनों की खिड़की से भी दिखती दुनिया बहुरंगी दिख जाते पृथुल... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 16 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 27 Apr 2024 · 1 min read तुम्हारी याद जब तुम्हारी याद आती एक तारा टूटता है शान्त ज्वालामुखी उर का दहकता है, फूटता है जब तुम्हारी याद आती कांच—सा मन दरकता है और नयनों से व्यथा का एक... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 30 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 26 Apr 2024 · 1 min read जनता की कैसी खुशहाली खुशहाली कैसी जनता की जनता की कैसी खुशहाली जनगणमन करता है क्रन्दन आहत भारतमाता का तन भागा भागा फिरता है मन सावन में बरस रही गाली जनता की कैसी खुशहाली... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · गीत 1 19 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 25 Apr 2024 · 2 min read समारोह चल रहा नर्क में नर्क, नर्क रह नहीं गया अब, भीड़ बढ़ रही, घनानन्द है। समारोह चल रहा नर्क में, द्वार न अब तक हुआ बन्द है ।। दूरदर्शनी चैनल अनगिन पत्र-पत्रिकाएं दिन-अनुदिन खड़े... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · गीत 5 29 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 24 Apr 2024 · 1 min read बदल रहा परिवेश बढ़ती जाती आपाधापी बदल रहा परिवेश हमारा। अंधाधुंध कट रहे हैं वन बढ़ता जाता सतत प्रदूषण होती जाती हवा विषैली वनीकरण अब केवल नारा। बदल रहा परिवेश हमारा ऊंचाई की... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · गीत 2 20 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 23 Apr 2024 · 1 min read उॅंगली मेरी ओर उठी उँगली मेरी ओर उठी मैं मौन हुआ जाता हूँ मानव नहीं मिल रहा ढूँढ़े किसको गुरू बनाऊँ किससे कुछ सीखूँ मैं किसके सम्मुख शीश झुकाऊँ बरस रहे हैं व्यंग्य चतुर्दिक... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · गीत 2 21 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 6 Apr 2024 · 1 min read सोचें सदा सकारात्मक सोचें सदा सकारात्मक ही, नाम राम का लेकर। भवसागर से पार लगाते, वही नाव को खेकर।। राम नाम में शक्ति समायी, हर लेती दुख सारे। नाम हमारे पाप नष्ट कर,... Hindi · कविता 1 38 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 Apr 2024 · 1 min read सत्य प्रेम से पाएंगे शाश्वत सत्य प्रेम से मिलता जन्म प्रेम से प्रभु लेता, यम से अपने प्रमुख प्रश्न का उत्तर पाता नचिकेता - सबसे बढ़कर सत्य यही है प्रेम करें सचराचर से। सत्ता... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 5 3 35 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 1 Apr 2024 · 1 min read खोज सत्य की जारी है कर्मों का फल मिलता सबको, हर दीवाली होली में। कुछ को सुख मिलता बोली में, कुछ को मिले ठिठोली में।।। कुछ घूमें नंगे अधनंगे, कुछ पर आफ़त आती है, कुछ... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 48 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 22 Mar 2024 · 1 min read कवियों की कैसे हो होली कवियों की कैसे हो होली मां के मस्तक का उड़ा रंग घायल है उसका अंग अंग हो उत्कल केरल याकि बंग सत्ता ने मधुशाला खोली कवियों की कैसे हो होली... Hindi · गीत 28 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 21 Mar 2024 · 1 min read जगदाधार सत्य भिन्न नहीं जगदीश जगत से, हैं अभिन्न कवि कविता जैसे। जगदाधार सत्य, जग मिथ्या, पर विश्वास करूॅं मैं कैसे? कहता है अध्यात्म सिन्धु में, बाड़वाग्नि का वास चिरन्तन। दिखती हैं... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · गीत 4 2 51 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 19 Mar 2024 · 1 min read सत्य और मिथ्या में अन्तर सत्य और मिथ्या में अन्तर, खोजी खोज न पाया। सत्य ब्रह्म की ही पसरी है, जग में मिथ्या माया ।। मायापति की सृष्टि जगत को, मिथ्या लोग बताते। मायापति है... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · गीत 5 4 53 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 19 Mar 2024 · 1 min read खोज सत्य की खोज सत्य की करने वाला, राही चले अकेला। धीरे-धीरे जुटता जाता, शिष्य वृंद का मेला।। बहुत कठिन है खोज सत्य की, बिरला ही कर पाता। मैं हूॅं कौन, कहाॅं से... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · गीत 3 38 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read चमत्कार होते न अचानक चमत्कार होते न अचानक, यत्न किए जाते हैं। पनस समान मनुष्य सुफल का, सौरभ फैलाते हैं।। वाग्वीर नेता पाटल सम, जन-मन मोहित करते। शिक्षक-कृषक रसाल सदृश बन, ज्योति जगत में... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 89 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read संशय ऐसा रक्तबीज है संशयात्मा के विनाश का, सूत्र मोद मन में भरता है। संशय ऐसा रक्तबीज है, जो न मारने से मरता है।। कैकेयी अम्बा के उर का, संशय वन भेजता राम को।... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 54 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read ईश्वर में आसक्ति मोक्ष है ईश्वर में आसक्ति मोक्ष है, गुणासक्ति बंधन कहलाती। गुणातीत जीवन जीते जो, मुक्ति उन्हें भी है मिल जाती।। सत-रज-तम इन तीन गुणों से, जो जन ऊपर उठ जाते हैं। माया... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 76 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read भक्त जन कभी अपना जीवन भक्त जन कभी अपना जीवन, व्यर्थ नहीं खोते हैं। उनका कर्म वही है जिससे, प्रभु प्रसन्न होते हैं।। जब तक मन बलवान जगत से, नाता कभी न टूटे। मन पर... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 84 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read काम वात कफ लोभ... काम वात, कफ लोभ, क्रोध को, पित्त कहा जाता है। रोग दूर करने में सद्गुरु, वैद्य काम आता है।। वात-पित्त-कफ तीनों से ही, मानव जीवन पाता। तीनों का सन्तुलित समन्वय,... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 69 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read आने वाला आएगा ही आने वाला आएगा ही, जाने वाला जाएगा। कोई रोक न सका किसी को, कोई रोक न पाएगा।। जो जाने वाला है उसकी, हॅंसकर करें विदाई हम। आने वाले का स्वागत... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 58 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read बच्चा बच्चा बने सपूत सब मिल करें प्रयास अकूत बच्चा बच्चा बने सपूत बच्चों के हित समय निकालें उनकी जायज मांग न टालें रोग कुपोषण से रक्षा कर करें प्रदान उन्हें बल—बूत घृणा द्वेष... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 65 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read फिर कोई मिलने आया है फिर कोई मिलने आया है आशा की उर्वरा धरा पर फिर कोई तरु मुसकाया है साँस साँस सरगम सी गुंजित करती हृदय सिंधु आलोड़ित उर उपवन की कोई कलिका नहीं... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 67 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read जय जगन्नाथ ! जय जगन्नाथ !! जय जगन्नाथ ! जय जगन्नाथ !! तव चरणों में झुक जाते हैं अनुदिन अनुक्षण अनगिनत माथ तुम जगपालक ! जगउद्धारक !! तुम जगसर्जक ! जगसंहारक !! तुम दीनबंधु ! करुणानिधान... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 74 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 2 min read करते हैं जब यत्न नारियल के रेशों को बटकर, हम रस्सी मजबूत बनाते। करते हैं जब यत्न तभी तो, पय से घी निकाल हम पाते।। यत्न करें तो कुछ न असम्भव, कठिन काम भी... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 84 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read चिन्तन के पार चला अब मैं चिन्तन के पार चला तज कर मनुहार दुलार चला अपमान मान से ऊपर उठ, लो जीती बाजी हार चला। अब फिक्र न रही पराभव की टूटे त्रिशूल या... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 56 Share Page 1 Next