Dr. Bharati Varma Bourai 26 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Dr. Bharati Varma Bourai 11 Jun 2023 · 1 min read आग मेहनत की जलाए रखना आग मेहनत की जलाए रखना ——————————— आग मेहनत की जलाये रखना रास्ते लक्ष्य के तय होते चलेंगे निकल तो सही हाथ में दीप लेके हजारों दिये देख खुद ही जलेंगे... Poetry Writing Challenge 71 Share Dr. Bharati Varma Bourai 11 Jun 2023 · 1 min read मेरा शहर मेरा शहर ———— मेरा शहर सेवनिवृत्तों का शहर है रोजी-रोटी कमाने कोई कहीं भी चला जाए अपनी जड़ों से जुड़ने लौट कर यहीं चला आता है, बाहर से पढ़ने आते... Poetry Writing Challenge 129 Share Dr. Bharati Varma Bourai 11 Jun 2023 · 1 min read घर घर कहते रहे सब सुनती रही लड़कियाँ ये पिता का घर ये पति का घर ये बेटे का घर, नहीं दिखा कभी उन्हें किसी माँ का घर किसी पत्नी का... Poetry Writing Challenge 291 Share Dr. Bharati Varma Bourai 11 Jun 2023 · 1 min read बिटिया बिटिया! बिटिया! सुनना सबकी सुन कर गुनना भी पर करना वही जो तुम्हें स्व विवेक से उचित लगे, किसी के भी अधूरे सपनों को पूरा करने का भार कभी अपने... Poetry Writing Challenge 222 Share Dr. Bharati Varma Bourai 11 Jun 2023 · 1 min read हमसे पूछ रही गौरैया हमसे पूछ रही गौरैया किस घर के आँगन में आकर अपने मन की व्यथा सुनाऊँ हमसे पूछ रही गौरैया! दिखते नहीं किसी भी घर में लगे हुए एक भी पेड़... Poetry Writing Challenge 187 Share Dr. Bharati Varma Bourai 11 Jun 2023 · 2 min read बेटियाँ बेटियाँ ———— बेटियाँ आती हैं शीतल मंद बयार की तरह बिखेर देती है सर्वत्र अपने साथ लाई सुमनों की सुगंध बेटियाँ आती हैं गर्मी की बारिश की तरह भिगो देती... Poetry Writing Challenge 333 Share Dr. Bharati Varma Bourai 11 Jun 2023 · 1 min read इश्क़ इश्क़ ———- उन्हें इश्क़ था वतन से शहीद हो गए सूखा नहीं है पानी आँख का जिनके लाल सरहद पर शहीद हो गए, रुकेंगे कैसे अश्रु जिस घर के लाल... Poetry Writing Challenge 117 Share Dr. Bharati Varma Bourai 10 Jun 2023 · 1 min read घर में पेड़-पौधे घर में पेड़-पौधे —————- कोरोना ही नहीं अन्य कई असाध्य रोगों के चले अब हो गया आवश्यक हर घर में लगे उपयोगी औषधीय पेड़-पौधे, जो निवारण में हो सहायक रोगों... Poetry Writing Challenge 198 Share Dr. Bharati Varma Bourai 9 Jun 2023 · 1 min read बरगद और बुजुर्ग बरगद और बुजुर्ग ~~~~~~~~~~~ रहते हैं जीवन में जीवन में जब तक बरगद और बुजुर्ग छू नहीं पाता दुख लेशमात्र भी कभी....! सुख की छाया बनी रहती है निरंतर दुख... Poetry Writing Challenge 195 Share Dr. Bharati Varma Bourai 9 Jun 2023 · 1 min read टूट गया नीड़ टूट गया नीड़ —————- काट दिये तुमने वे सारे वृक्ष घर जिन पर अपने भगीरथ श्रम से हमने बनाये थे घास-फूस के छोटे-छोटे नीड़ अपने बच्चों के लिए, उनमें रखे... Poetry Writing Challenge 1 248 Share Dr. Bharati Varma Bourai 9 Jun 2023 · 1 min read सुनो! सुनो! रे मानव! अपनी उत्कट लालसा के वशीभूत हो शहरों को कंक्रीट का जंगल बना दिया शहरों से मन न भरा तो आसपास के गाँव, खेती योग्य भूमि को भी... Poetry Writing Challenge 205 Share Dr. Bharati Varma Bourai 9 Jun 2023 · 1 min read उम्र के साथ उम्र के साथ बदलने लगे हैं सपने छूटने लगी हैं इच्छाएँ लगता था पहले जो सार्थक अब लगने लगा निरर्थक सिमट कर बहुत छोटी हो गई दुनिया सारे तीर्थ एकत्रित... Poetry Writing Challenge 169 Share Dr. Bharati Varma Bourai 9 Jun 2023 · 1 min read अपने पास पाती हूँ अपने पास पाती हूँ तुम्हारी यादों में जब-जब डूबती हूँ हो जाता है मेरा नित्य गंगा स्नान, जब भी हो आती हूँ मायके के घर सिमट आते हैं सारे के... Poetry Writing Challenge 220 Share Dr. Bharati Varma Bourai 9 Jun 2023 · 1 min read गोवर्धन पूजा गोवर्धन पूजा कार्तिक मास दशुक्ल पक्ष की प्रतिपदा होती है सम्पन्न गोवर्धन पूजा, प्रेम से करते हैं गाय-बछड़े,भैंस और बैलों की पूजा करते हैं टीका रंगों से सजाते हैं उन्हें... Poetry Writing Challenge 76 Share Dr. Bharati Varma Bourai 9 Jun 2023 · 1 min read पेड़ पेड़ ——— हमारी तरह हँसते/रोते हैं पेड़ दर्द में चिल्लाते भी हैं जब कोई मारता/पीटता काटता हैं उन्हें, पर कोई नहीं सुनता उनकी चिल्लाहट, किसी को नहीं दिखता उनका दर्द,... Poetry Writing Challenge 1 330 Share Dr. Bharati Varma Bourai 9 Jun 2023 · 1 min read पिता का होना पिता का होना रहते हैं जब तक पिता बना रहता है बचपन बड़े होने के बाद भी, चिन्ताएँ रहती हैं कोसों दूर मन सोचता हैं पिता हैं तो सब देख... Poetry Writing Challenge 1 192 Share Dr. Bharati Varma Bourai 9 Jun 2023 · 1 min read गौरैया खुश है गौरैया खुश है अपने आसपास अपनी कॉलोनी में अपने परिचितों-सम्बन्धियों को अपने प्रकृति-पशु प्रेमी होने के दिखावे में ही लोगों को अपने घरों के छोटे आँगन में घर की छतों... Poetry Writing Challenge 1 292 Share Dr. Bharati Varma Bourai 9 Jun 2023 · 1 min read स्मृतियाँ स्मृतियाँ चंदन की तरह सुवासित करती हैं स्मृतियाँ, टूटती/बिखरती हूँ रोने को कंधा ढूँढती हूँ कंधा बन संभाल लेती हैं स्मृतियाँ, एक एक दिन कर वर्ष ग्यारह बीत गए कोई... Poetry Writing Challenge 1 197 Share Dr. Bharati Varma Bourai 9 Jun 2023 · 1 min read खतरे में हैं जंगल खतरे में हैं जंगल जंगल खतरे में हैं कभी सोचा क्या कहना चाहते हैं? स्वार्थ के वशीभूत बहरा हो गया मानव तभी तो नहीं सुन पाता इनकी करूण पुकार, मनते... Poetry Writing Challenge 1 167 Share Dr. Bharati Varma Bourai 9 Jun 2023 · 1 min read बची रहे पृथ्वी बची रहे पृथ्वी कितने सबक और चेतावनियाँ मिलीं पर ढीठ मानव प्रकृति का तालमेल बिगाड़ने में तल्लीन है, नहीं समझता जो दे रहा है प्रकृति को उससे भी वही तो... Poetry Writing Challenge 2 349 Share Dr. Bharati Varma Bourai 9 Jun 2023 · 1 min read किताबें किताबें समय/असमय किताबें जब भी आवाज देकर बुलाती हैं अपने पास रुक नहीं पाती बैठती हूँ बतियाती हूँ इनके साथ तब तक जब तक कि नींद से बोझिल नहीं हो... Poetry Writing Challenge 1 207 Share Dr. Bharati Varma Bourai 8 Jun 2023 · 1 min read कल की माँ कल की माँ कल की माँ तारों से झाँकती है देखती है अपने बच्चों/ बहुओं जँवाई/नाती-पोतों को अपने संसार में आगे बढ़ते हुए, उसकी बेटी भी माँ बन कर अपना... Poetry Writing Challenge 1 258 Share Dr. Bharati Varma Bourai 8 Jun 2023 · 1 min read गौरैया गौरैया ———— हों भले ही कितने ही नाम तुम्हारे गुबाच्ची, पिछुका चिमनी, चकली घराछतिया, चराई पाखी चेर, चिरी, झिरकी, चिरया, पेसर डोमिस्टिकस आदि-आदि पर मुझे तो भाता है तुम्हारा छोटा... Poetry Writing Challenge 291 Share Dr. Bharati Varma Bourai 8 Jun 2023 · 1 min read तो कहना…!! तो कहना….!! ज़िन्दगी मिलना चाहती है हृदय खोल कर अपनी बाँहें फैला कर कहना चाहती है बहुत कुछ अपने आसपास बिखरे हुए के बारे में, कभी सुना है सागर का... Poetry Writing Challenge 242 Share Dr. Bharati Varma Bourai 8 Jun 2023 · 1 min read जिस दिन जिस दिन मौन/शांति कर्तव्य/जिम्मेदारियाँ सत्य/अहिंसा/त्याग प्रकृति से प्रेम और उसकी सुरक्षा…जिस दिन इन सबके अर्थ भली भाँति समझ कर आत्मा में समा जाएँगे उस दिन हम सब बुद्ध हो जाएँगे।... Poetry Writing Challenge 227 Share Dr. Bharati Varma Bourai 5 Nov 2018 · 1 min read मेरी माँ मेरी माँ ————- जन्मते ही मिला था जो तेरी बाँहों का घेरा आलिंगन और स्पर्श रच दिया था उसने एक सुरक्षा कवच मेरे चारों ओर निश्चिन्त थी मैं जिसमें तेरे... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 4 23 479 Share