Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Jun 2023 · 1 min read

खतरे में हैं जंगल

खतरे में हैं जंगल

जंगल
खतरे में हैं
कभी सोचा
क्या कहना चाहते हैं?
स्वार्थ के वशीभूत
बहरा हो गया मानव
तभी तो नहीं सुन पाता
इनकी करूण पुकार,
मनते हैं वन महोत्सव
जबर्दस्त होता वृक्षारोपण
पर उनमें से
कितने बचते
और कितने पूर्ण वृक्ष
बन पाते हैं,
कटाई में होती
बेतहाशा वृद्धि
छीन रही है
वन्य पशुओं की आश्रयस्थली,
प्रकृति और पर्यावरण में
तालमेल बनाने को
स्वार्थ और लालसा का
त्याग करना ही होगा
नहीं तो दूषित हवा पानी से
प्रकृति, वन्य पशु, मानव का
लेशमात्र भी नहीं बचेगा।

#डॉभारतीवर्माबौड़ाई

1 Like · 168 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr. Bharati Varma Bourai
View all
You may also like:
काश लौट कर आए वो पुराने जमाने का समय ,
काश लौट कर आए वो पुराने जमाने का समय ,
Shashi kala vyas
Ghazal
Ghazal
shahab uddin shah kannauji
21 उम्र ढ़ल गई
21 उम्र ढ़ल गई
Dr Shweta sood
कोई जब पथ भूल जाएं
कोई जब पथ भूल जाएं
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
शेखर सिंह
शेखर सिंह
शेखर सिंह
हे ! भाग्य विधाता ,जग के रखवारे ।
हे ! भाग्य विधाता ,जग के रखवारे ।
Buddha Prakash
ये दूरियां सिर्फ मैंने कहाँ बनायी थी //
ये दूरियां सिर्फ मैंने कहाँ बनायी थी //
गुप्तरत्न
मोहब्बत
मोहब्बत
डॉ०छोटेलाल सिंह 'मनमीत'
Dard-e-Madhushala
Dard-e-Madhushala
Tushar Jagawat
तेरे बिन घर जैसे एक मकां बन जाता है
तेरे बिन घर जैसे एक मकां बन जाता है
Bhupendra Rawat
बड़ी मुश्किल है ये ज़िंदगी
बड़ी मुश्किल है ये ज़िंदगी
Vandna Thakur
इतना तो अधिकार हो
इतना तो अधिकार हो
Dr fauzia Naseem shad
याद रे
याद रे
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
प्रभु रामलला , फिर मुस्काये!
प्रभु रामलला , फिर मुस्काये!
Kuldeep mishra (KD)
जला दो दीपक कर दो रौशनी
जला दो दीपक कर दो रौशनी
Sandeep Kumar
❤️🌺मेरी मां🌺❤️
❤️🌺मेरी मां🌺❤️
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
वो बचपन का गुजरा जमाना भी क्या जमाना था,
वो बचपन का गुजरा जमाना भी क्या जमाना था,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कविता
कविता
Shiva Awasthi
आओ जाओ मेरी बाहों में,कुछ लम्हों के लिए
आओ जाओ मेरी बाहों में,कुछ लम्हों के लिए
Ram Krishan Rastogi
"गम का सूरज"
Dr. Kishan tandon kranti
मुहब्बत के शहर में कोई शराब लाया, कोई शबाब लाया,
मुहब्बत के शहर में कोई शराब लाया, कोई शबाब लाया,
डी. के. निवातिया
* ये शिक्षक *
* ये शिक्षक *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
No love,only attraction
No love,only attraction
Bidyadhar Mantry
कुंडलिया छंद
कुंडलिया छंद
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
दोहा
दोहा
दुष्यन्त 'बाबा'
सारे ही चेहरे कातिल है।
सारे ही चेहरे कातिल है।
Taj Mohammad
चमचे और चिमटे जैसा स्कोप
चमचे और चिमटे जैसा स्कोप
*Author प्रणय प्रभात*
खुद के साथ ....खुशी से रहना......
खुद के साथ ....खुशी से रहना......
Dheerja Sharma
कठिन परिश्रम साध्य है, यही हर्ष आधार।
कठिन परिश्रम साध्य है, यही हर्ष आधार।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
2521.पूर्णिका
2521.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
Loading...