Pt. Brajesh Kumar Nayak 199 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Pt. Brajesh Kumar Nayak 27 Feb 2024 · 1 min read कवि सूर्य भी निष्तेज-सा यदि आप कवि, बन बढ़े, हिंसा छटे, तुम प्रेम छवि। कहें 'नायक' चेत गह निज राष्ट्र का प्राण - धन सह सत्य का संदेश कवि। कवि वही... Hindi · नायक जी के मुक्तक 1 312 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 20 Feb 2024 · 1 min read छिपी हो जिसमें सजग संवेदना। राष्ट्रहित गह दिव्यता, दे चेतना। छाॅंट दे जो सहज में जन -वेदना। वही रचना देश का सम्मान है। छिपी हो जिसमें सजग संवेदना। पं बृजेश कुमार नायक Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 1 92 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 20 Feb 2024 · 1 min read प्रदूषण-जमघट। सुकवि भी अब समूहों में बॅंट गए हैं। ज्ञान-सूरज जग-धुऑं-सम भट हुए हैं। कौन सोए राष्ट्र को नव जागरण दे? विशारद मन, प्रदूषण-जमघट हुए हैं। पं बृजेश कुमार नायक Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 1 118 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 20 Feb 2024 · 1 min read स्वाधीनता के घाम से। शुभ-सु हिंदुस्तान हूॅं, देखो मुझे आराम से। गुलामीं के निशाॅं, दर्दीले जवाॅं पैगाम से। घाव गहरे दिए पर मुस्कान का आलोक गह। प्रकाशित हो मिल गया स्वाधीनता के घाम से।... Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 126 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 20 Feb 2024 · 1 min read जागी जवानी जोश को यदि होश की दें दिशा ज्ञानी। फैल जाए रोशनी,तम की कहानी। खतम हो, अब तक न हमने टेक ठानी। राष्ट्र विकसित वह जहाॅं जागी जवानी। पं बृजेश कुमार... Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 130 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 20 Feb 2024 · 1 min read शुभ धाम हूॅं। हुस्न की मुझको पहचान है, किंतु मैं। प्रेमी उत्कर्ष के शीर्ष का घाम हूॅं। इन निगाहों के आकर्ष से न खिंचू। पास आओ मुहब्बत का शुभ धाम हूॅं। धाम=तीर्थ स्थान/देव... Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 209 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 20 Feb 2024 · 1 min read दिल सचमुच आनंदी मीर बना। जब सात रंग मिल एक हुए, जल गई फाॅंस मन धीर बना। उड़ता गुलाल भी थिरक-थिरक, ऋतुनाथ-नेह गह हीर बना। रोमांच रोंगटे खड़े हुए,तन सुह्रद -रंगमय चमन हुआ। अनुपम प्रहलाद-प्रीति... Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 88 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 20 Feb 2024 · 1 min read खींचो यश की लम्बी रेख। 'नायक' अपनी छवि को देख। लिखो आप मानवता लेख। छोड़ ईर्षा-भ्रम का थैला। खींचो यश की लम्बी रेख। पं बृजेश कुमार नायक Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 1 82 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 20 Feb 2024 · 1 min read अमर काव्य लेखन वह,जो राष्ट्रहित सजग चेतनाकाश- देकर,बने सु प्रीति सह मातृभूमि उल्लास। सहजरूप गह, दिव्यता का छू ले उत्कर्ष। अमर काव्य हर हृदय को दे सद्ज्ञान-प्रकाश। पं बृजेश कुमार नायक Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 113 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 20 Feb 2024 · 1 min read विभेद दें। आत्मशुद्धिमय सजग सिपाही बनकर युवजन लक्ष्य भेद दें। बिना जागरण के स्वदेश को,भार और तम द्वंद्व खेद दें। समझ न सकें राष्ट्र की पीड़ा, कैसे कह दें सद्ज्ञानी हैं। सुप्त... Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 1 103 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 20 Feb 2024 · 1 min read ढल गया सूरज बिना प्रस्तावना। जनम लेकर,खेल सह सद्भावना। युवावस्था प्यार की संभावना। बुढापे में ज्ञान आया,तन झुका। ढ़ल गया सूरज बिना प्रस्तावना। पं बृजेश कुमार नायक Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 120 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 20 Feb 2024 · 1 min read दिव्य बोध। जो जाग्रत वह ज्ञान गहेगा, सुप्त क्रोध को। बनकर मन का दास,पाल मत दुख -अबोध को। सहजरूप गह गर्दभ से भी ज्ञान मिलेगा। कह 'बृजेश' सच,पकड़ो अनुपम दिव्य बोध को।... Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 90 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 20 Feb 2024 · 1 min read प्रेम जीवन धन गया। बुढ़ापा अनुभव से सीखा,हॅंसा ज्ञानी बन गया। नहीं सीखा,भ्रमित हो, माया में निश्चय सन गया। सीख लेते वही जन नायक बनें "नायक बृजेश" जो न सॅंभले, दुख में डूबे, प्रेम... Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 120 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 20 Feb 2024 · 1 min read सदा बढ़ता है,वह 'नायक' अमल बन ताज ठुकराता। जो नर-मन खुशमिजाजी का सुघड़ अंदाज बन जाता। उसी जीवन में आनंदी भरा गुणराज आ जाता। न जाने आगे-पीछे का, निरंतर आज में रहकर। सदा बढ़ता है वह 'नायक' अमल... Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 84 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 20 Feb 2024 · 1 min read हृदय वीणा हो गया। जल उठे साथी तो मेरा चौड़ा सीना हो गया। ज्ञान -गुरु चौखट तथा श्रम का पसीना हो गया। आह नहिं की आपने फेका था जिस दिन गर्त में। समय ने... Poetry Writing Challenge-2 · पं बृजेश कुमार नायक के मुक्तक 102 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 20 Feb 2024 · 1 min read मुस्की दे प्रेमानुकरण कर लेता हूॅं। बैरी से भी ज्ञान ग्रहण कर लेता हूॅं। अमल भाव में चार चरण कर लेता हूॅं। दुख में भी है बोध,सजग 'नायक' बनकर। मुस्की दे प्रेमानुकरण कर लेता हूॅं। पं... Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 1 114 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 20 Feb 2024 · 1 min read कहाॅं तुम पौन हो। निज गिरेवाॅं झाॅंक, जानो कौन हो। अहंकारी या सहजता गोन हो। सूत्र कहता स्वयं को पहचान कर, जो बढ़ोगे, फिर कहाॅं तुम पौन हो। पं बृजेश कुमार नायक Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 122 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 20 Feb 2024 · 1 min read ज्ञानमय नहीं मोह-ग्रस्त बन। चेत-सूर्य मस्त बन। आत्मा को जानकर। ज्ञान -प्रेम भक्त बन। बोध की सु गोन है। सहज और मौन है। 'नायक' वह ज्ञानमय। कहीं से न पौन है।... Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 126 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 20 Feb 2024 · 1 min read सुबुधि -ज्ञान हीर कर रो मत जग-पीर पर। सुबुधि -ज्ञान हीर कर। आत्म-सुख लिखो स्वयं, निज उर - तकदीर पर। पं बृजेश कुमार नायक Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 92 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 20 Feb 2024 · 1 min read फूल राष्ट्रहित सु नेक बन। दिव्य ज्ञान -टेक बन। भारत -उद्यान के, फूल हॅंसें एक बन। नेहरूप चूल हूॅं। आनंदी मूल हूॅं। जागरण सु तूल बन, हॅंसूं, क्यों कि फूल हूॅं।... Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 78 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 20 Feb 2024 · 1 min read कर्म -पथ से ना डिगे वह आर्य है। सजग कर दे राष्ट्र को आचार्य है। गुरु वही जो आत्मपथमय कार्य है। रीढ़ वह ही लोक की बनता सदा। कर्मपथ से ना डिगे वह आर्य है। पं बृजेश कुमार... Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 123 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 20 Feb 2024 · 1 min read प्रकाश एवं तिमिर राष्ट्रहित के ज्ञान का आकाश बन। प्रेमरूपी प्रवलता की प्यास बन। लिखे तेरी जीवनी इतिहास नव। जागरण गीतों को गा प्रकाश बन। तिमिर में अनचेतना का भूप है। मन प्रकाशित,दिव्यता... Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 83 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 20 Feb 2024 · 1 min read ज्ञान -दीपक सूर्य डरता ना कभी भी, बदलियों के राज से। कुछ समय तक छिपे पर वह,पुनि उगेगा नाज से। मग के पत्थर रोक सकते न कभी आलोक-डग। ज्ञान -दीपक जगमगाते, हर्ष... Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 100 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 20 Feb 2024 · 1 min read माॅं मातु प्रियताभाष में सद्भाव का संगीत है। आत्मसत् की निकटता से भरा स्वर औ गीत है। हृदय-धड़कन से बना, शुभ पालना सद्प्रेम का। मातु तुझसे उच्च ,जग में नहीं देखा... Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 115 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 20 Feb 2024 · 1 min read हृदय को ऊॅंचाइयों का भान होगा। सहजता के आवरण को अब सम्हालो। मद का सारा मैल धोकर के निकालो। दिव्यता की कसौटी पर निज को कसकर। सत्आत्मा की सबल लौ दिल में जगा लो। तभी तो... Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 117 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 20 Feb 2024 · 1 min read उल्लास रोक सकते हो मुझे,तो रोक लो। बढ़ रहा हूॅं, चेतना -आलोक लो। काट डालो तुम हमारे अस्त्र सब। किंतु गह सद्ज्ञानरूपी लोक लो। चेतना-सद्ज्ञान में ना त्रास है। सो गए... Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 1 106 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 20 Feb 2024 · 1 min read दुखों का भार राष्ट्र पर अब भी दुखों का भार है। दिल गरीबी की वजह से क्षार है। दिख रही शोषण -अशिक्षा की कसक। कहें कैसे, अब न अत्याचार है? पं बृजेश कुमार... Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 1 142 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 20 Feb 2024 · 1 min read आह राष्ट्र के निर्धन हृदय में,आह यदि रह जाएगी। कहें कैसे,हिंद हिय को दुख नहीं पहुचाॅंएगी। एक नर के रक्त में भी यदि कहीं पीड़ा है तो। दिव्य भारत-भाल को वह... Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 1 93 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 20 Feb 2024 · 1 min read व्यंग्य आपको सिखलाएगा व्यंग्य आपको सिखलाएगा, यदि सद्ज्ञानी हो। द्वंद्व -अचेतन दर्श,समझ लो तुम मन-मानी हो। स्वसद्वोधालोक -प्रदाता,बनकर करे विकास। गुरु-सम मानो उसे, तभी तुम चेतन प्राणी हो। पं बृजेश कुमार नायक Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 121 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 20 Feb 2024 · 1 min read जो विष को पीना जाने जो विष को पीना जाने वह ही तो मीरा है। मूरख के आगे अक्ली की बोली तीरा है। कड़क वाक् से, सीख ग्रहण कर लेता जो तज ताप। सहज बने... Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 114 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 20 Feb 2024 · 1 min read हिंदी निज रुधिर में हिंदी बसी,उर भाव देता ध्यान का। कुछ भी कहो,हम ना सहेंगे,बोझ अब अज्ञान का। संस्कृति हमारी विश्व को करती सु चेतन, दीप्ति है। प्रगतिमय सद्कोश भारत,मानव सुगति... Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 1 121 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 20 Feb 2024 · 1 min read कलम लिख दे। कलम लिख दे,गीत गाए भारती। आम-जन दौड़े -उतारे आरती। दिव्यता देती मनुज को प्रीति कब? जब निशा ज्ञानग्नि से जल हारती। नर तभी यश-मान का शुभ भाल है। सजगता के... Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 93 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 20 Feb 2024 · 1 min read तरुण तरुण वह जो भाल पर लिख दे विजय। शरम से ऑंखें झुकाता है प्रलय। जाग, सद्नायक बने औ बना दे। राष्ट्र-तम पर अरुण-आभा का निलय। जाग जाएं जन,तभी बलवान बन।... Poetry Writing Challenge-2 · नायक जी के मुक्तक 105 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 25 Jan 2024 · 2 min read 'कोंच नगर' जिला-जालौन,उ प्र, भारतवर्ष की नामोत्पत्ति और प्रसिद्ध घटनाएं। 🌹नामोत्पत्ति 👉प्राचीन काल में यहां पर एक प्राकृतिक झील थी। इस प्राकृतिक झील पर क्रेन सहित कई अन्य पक्षियों का भी आना जाना रहता था। झील में अनवरत जल झरता... Hindi · विवरण 834 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 12 Feb 2023 · 1 min read 🌹मां ममता की पोटली मां ममता की पोटली जित खोलो उत प्रेम। बालक को भगवान-सम दिखती बन कर क्षेम। दिखती बन कर क्षेम दिव्य ममता का ✓पौदा रखती हरा सदैव अमल है त्याग घरौंदा।... Hindi · Quote Writer · कुण्डलिया 2 1 421 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 17 Dec 2022 · 1 min read 🚩एकांत महान 🚩 अकेलापन सचमुच वरदान। भीड़भाड़ की माया नगरी से एकांत महान। 🧿 दिव्य आत्मा के संगी बन। जुड़ें स्वयं के साथ सुधी जन। अंतर्मुखी बना लो निज को तजकर भ्रम-अज्ञान।... Hindi · गीत 3 527 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 21 Oct 2022 · 1 min read 🪔🪔दीपमालिका सजाओ तुम। 🪔🪔 दीपमालिका सजाओ तुम। स्वयं ज्ञान-आलोक बनो,सबको नहलाओ तुम। 🧿 दिव्य-शांतिमय प्रेम-प्रदर्शक की वाणी में फलित अहिंसा। किंतु कृत्यमय वाह्य-आचरण से परिलक्षित होती हिंसा। दुहरा चिंतन तजो, हृदय को अब... Hindi · कविता 3 1 1k Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 2 Jul 2022 · 1 min read 🚩 वैराग्य 🧿१ अमर मरे डोली चली,मरघट ज्ञान-अकाश। जग-तन बिल्कुल व्यर्थ है,गरदन में यम-फाँस।। गरदन में यम-फाँस'मनुज नित काल-गाल बिच। अनुपम ज्ञान-प्रकाश,दिव्य शवदाह-ज्वाल बिच। 'नायक' कह ऋषि क्रौंच,मिली 1️⃣आनंद की डगर पकड़... Hindi · कुण्डलिया 4 2 1k Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 1 Jul 2022 · 1 min read 🚩वैराग्य 🧿१ भार्या का जब हो गया,अपने पति से योग। फिर डर कैसा संत जी,क्यों है आत्म-वियोग।। क्यों है आत्म-वियोग,बूंद को मिला समुंदर। निज मन-मल तज आप ,बने उपकारी मंदिर। ।... Hindi · कुण्डलिया 1 1 1k Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 9 Jun 2022 · 1 min read 🚩पिता 🧿 पितु,पोषक सद्ज्ञान 1️⃣ठाँव है। नवजीवन-उत्थान 2️⃣पाँव है। जगत्-सिंधु के पास आप,तब। बोध-सूर्य की धूपछाँव है। 🧿 पितु दुलार है,सफल प्यार है। खुशियों की पोषक बयार है। संस्कारों की दिव्य... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · नायक जी के मुक्तक 9 9 878 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 18 Feb 2022 · 1 min read 🚩आगे बढ़,मतदान करें। 🧿 देश हेतु कुछ काम करें। लोकतंत्र का मान करें। जागरूक बनकर हम सब। आगे बढ़,मतदान करें। 🧿 अवनति-हिंसा का दानव छोड़, चुने सच्चा मानव। प्रेम-शांति-अपनापन औ, सद्विकास-सम्मान करें। आगे... Hindi · कविता 2 2 754 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 6 Jul 2021 · 1 min read 🚩फूलों की वर्षा 💚 दिल बना मजबूत लोहा,ठोकरें खाकर जनाब। अब घनों के वार भी फूलों की वर्षा से लगें। ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, पं बृजेश कुमार नायक 🥎 उक्त पंक्तियों को मेरी कृति/काव्यसंग्रह "पं बृजेश... Hindi · शेर 4 2 1k Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 1 Jun 2021 · 1 min read 🌲प्रकृति 🌹दोहा 🤼 वर्षा ऋतु सद्प्रीति का,सुंदर भाव-विधान। क्षण-क्षण मिलन समान है,कर लो अनुसंधान। । 🤼 प्रकृति-प्रेम सुख-धाम है,त्याग दीजिए शोक। ज्ञान ग्रहण कर के बनो,आप प्रीति-आलोक। । 🌹गीत प्यार देकर... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · गीत 6 19 1k Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 16 Feb 2021 · 1 min read 🌹खिला प्रसून। 🪔 ज्ञान दीप जलता रहे,मन को मिले सुकून। आनंदित हो आतमा,औ दिल खिला प्रसून। । ,,,,, ,, ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, पं बृजेश कुमार नायक जागा हिंदुस्तान चाहिए, क्रौंच सु ऋषि आलोक एवं... Hindi · दोहा 5 2 545 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 8 Jan 2021 · 1 min read 🏠कुछ दिन की है बात ,सभी जन घर में रह लो। 🏠 कुछ दिन की है बात सभी जन घर में रह लो। तू-तू मैं-मैं त्याग राष्ट्र-हित में यह सह लो। 🧿 कोरोना की हार हेतु सबको लड़ना है। जीवनहित-सद्ज्ञान पकड़... "कोरोना" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 8 55 968 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 18 May 2020 · 1 min read बंद हैं भारत में विद्यालय. बंद है भारत मे विद्यालय. मंदिर-मस्जिद-गुरुद्वारा सब शांत,खुले मदिरालय.. लाकडाउन में घर पर बैठे,पत्नी आधी सूखी. हीरोइन बर्तन माँजे पर, बर्तनबाली भूखी.. घर में बैठे नर-नारी भर रहे नित्य शौचालय...... Hindi · कविता 2 1 472 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 24 Mar 2020 · 1 min read कुछ दिन की है बात कुछ दिन की है बात सभी जन घर में रह लो। तू-तू मैं मैं त्याग ,राष्ट्रहित में यह सह लो। कोरोना की हार हेतु सबको लड़ना है। जीवनहित सद्ज्ञान,पकड़ कर... Hindi · गीत 2 1 556 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 20 Nov 2018 · 1 min read नूतन सद्आचार मिल गया नूतन सद् आचार मिल गया अपनापन सद्भाव प्रेम सह विज्ञ सुजन व्योहार मिल गया गाँव-संस्कृति में कुरीतियाँ, धर्मांधता, अशिक्षा -साया। शहर-संस्कृति में विकास सह बोधी मन की चेतन माया। नो... Hindi · कविता 3 5 704 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 16 Nov 2018 · 1 min read रोमांस है उम्र क्या,जब जग गया प्रेमांस है ? मस्त मन है, जवानी को आँस है | हँसा बुड्ढा ज्ञान बनकर, जवाँ दिल, रूप-लिप्सा वस मिले,रोमांस है | ....... पं बृजेश कुमार... Hindi · मुक्तक 3 1 844 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak 14 Nov 2018 · 1 min read 🚩माँ, हर बचपन का भगवान 🚩 माँ, हर बचपन का भगवान । सजग सुकोमल मनभावन ममता का अमल वितान । 🧿 जित देखो उत प्रेम-फुहारों से भरती सुत का दिल । सदा सुहावन लोरी गाकर,... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 9 58 1k Share Page 1 Next