Bharat Bhushan Pathak Tag: मुक्तक 28 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Bharat Bhushan Pathak 22 Aug 2019 · 1 min read हिंसाओं के बादल..... देख हिंसाओं के बादल...... - August 22, 2019 देख हिंसाओं के बादल किस प्रकार निकलते हैं। धरा रोती है, गगन रोता है । और यह समस्त संसार रोता है।। देख... Hindi · मुक्तक 1 322 Share Bharat Bhushan Pathak 2 Jan 2019 · 1 min read हे पार्थ देखो ये मॉडर्न युग है हे पार्थ देखो ये माॅडर्न युग है। मनुज-मनुज का विचित्र संयोग है।। कल मान नष्ट होने पर थे रण छिड़ जाते। थे लोग पल भर में काल -कवलित हो जाते।।... Hindi · मुक्तक 236 Share Bharat Bhushan Pathak 28 Dec 2018 · 1 min read अन्तहीन इच्छाएं इस अर्थकरी युग में। अनाचारयुक्त भूतल में।। अर्थविहीन हो मानव। बनता जा रहा दानव।। मानव की अन्तहीन इच्छाएं । अभिसिक्त है करती जा रही... मनुज मन में दुर्भावनायें।। चहुँओर है... Hindi · मुक्तक 291 Share Bharat Bhushan Pathak 18 Nov 2018 · 1 min read तुमने जब साथ छोड़ दिया तुमने जब साथ छोड़ दिया । तब अकेला चलना सीख लिया।। तुम्हें जब निष्ठुर काल आया था लेने । कहा होगा जरुर थोड़ा और ठहर लेने।। मामा जब तुम इस... Hindi · मुक्तक 1 2 261 Share Bharat Bhushan Pathak 13 Nov 2018 · 1 min read चल रहा था मुर्दों का आरक्षण चल रहा था मुर्दों का आरक्षण। मैं भी विचलित था सुनकर ये करुण क्रन्दन। मोटा मुर्दा कर रहा था पतले की पिटाई। चल रहा था जमकर एक दुसरे की टांग... Hindi · मुक्तक 4 1 255 Share Bharat Bhushan Pathak 13 Nov 2018 · 2 min read चमत्कारी अंगोछा एक बार एक नेताजी को मिला एक अंगोछा। नेताजी ने जैसे उससे अपना हाथमुँह पोछा।। यह देखकर अंगोछा लगा जोर से चिल्लाने। और शुरु कर दिया अपनी बड़ाई बताने।। सुन... Hindi · मुक्तक 2 280 Share Bharat Bhushan Pathak 13 Nov 2018 · 1 min read हे साहित्यपीडिया हे साहित्यपीडिया तुम्हारा बार-बार अभिनन्दन । तुमने जो तुच्छ मनुज के रचना को दिया स्पन्दन ।। हे साहित्यपीडिया तुम्हें हृदय के हर प्रकोष्ठ से शुभकामनाएं। जो तुमने मातृभाषा हिन्दी की... Hindi · मुक्तक 2 4 288 Share Bharat Bhushan Pathak 12 Nov 2018 · 1 min read व्यस्त मानव मानव का आधुनिक होना अब बहुत खलता है। हाथ पकड़कर मजे में चलना अब कहाँ चलता है।। कल मानव में प्रेम बहुत था आज रार पलता है। मानव का मानव... Hindi · मुक्तक 433 Share Bharat Bhushan Pathak 12 Nov 2018 · 1 min read संविधान घोषणा स्वतन्त्रता की हुई जब। प्रारूप संविधान की बनी तब। स्वतंत्रता मिली जब समूल सकल। संविधान थी फूँकने को प्राण तत्पर सबल।। निर्ममता की पराकाष्ठा से परिपूर्ण थी स्वतंत्रता संघर्ष।... Hindi · मुक्तक 472 Share Bharat Bhushan Pathak 12 Nov 2018 · 1 min read दीपावली दीपावली तेरी जय हो। कर दो सब दुष्कर्मों का नाश। प्रकाशित करो सद्गुणों का धूपदान ।। कलंकित न हो माँ भारती की सन्तान। दीपावली तेरी जय हो। कर दो मानवता... Hindi · मुक्तक 212 Share Bharat Bhushan Pathak 12 Nov 2018 · 1 min read शहीदों को नमन-मासूम प्रश्न बच्चा जब माँ से बोला। क्यों पापा लौटकर है नहीं आते माँ बेचारी सोच में पड़ गयी। बोली अभी पहले पढ़ लो। उसके बाद समझना। अभी तो बस है तुझको... Hindi · मुक्तक 259 Share Bharat Bhushan Pathak 11 Nov 2018 · 1 min read प्रेमचंदजी के तहरीर -ठाकुर के कुआँ के कुछ अंश का काव्यरुपान्तर प्रेमचन्द के जमाने की बात है। छुआछूत व्याधि जन्मजात है।। उन दिनों धनवान कहे जाते थे सम्राट। और था शासन उनका बहुत विराट।। धनवानों का चर्चित नाम हुआ करता था... Hindi · मुक्तक 223 Share Bharat Bhushan Pathak 11 Nov 2018 · 1 min read मुर्दा जब जिन्दा से बोला मुर्दा जब जिन्दा से बोला । बताओ है क्या हाल। जिन्दा बेचारा काँप कर यूँ बोला.. हाँ भाई हाल है मेरा बहुत बेहाल।। पर ये तो बतलाओ कौन हो तुम।... Hindi · मुक्तक 3 2 369 Share Bharat Bhushan Pathak 11 Nov 2018 · 1 min read एक था कुर्सीपुर एक था गाँव कुर्सीपुर। थे रहते जहाँ जनसूर।। थी हर तरफ हरियाली । थी लगी फसल वायदोंवाली।। हर तरफ थे दिखते वोटरुपी फल। और चहुँऔर थी प्रवाहित चुनावी जल।। भरित... Hindi · मुक्तक 252 Share Bharat Bhushan Pathak 11 Nov 2018 · 1 min read डाॅ०श्री रंजन सुरिदेव जी को नमन करता हूँ अर्पण स्नेहसुमन। करके मन से स्मरण।। शोक संलिप्त है आज पुन:साहित्य लोक। देखकर यह महाप्रयाण को परलोक।। आज हो गये जो फिर से विलोपित। काल ने कर लिया... Hindi · मुक्तक 221 Share Bharat Bhushan Pathak 10 Nov 2018 · 1 min read ॐ महाकालाय नम: महाकाल महाकालेश्वर। कृपासिन्धु जय भोलेश्वर।। है करुणाकर करुणेश्वर। ओंकारेश्वर शुम्भेश्वर।। जय कालकूट धारी त्रिपुरारी । जय महाकाय जय नागेश्वर ।। जय शिव शम्भु दयानिधाना। गंगाधर कालंजय भगवाना।। Hindi · मुक्तक 3 2 2k Share Bharat Bhushan Pathak 10 Nov 2018 · 1 min read दर्द कहीं भूख से बिलखता बचपन। कहीं परोसे गए हैं भोग छप्पन।। करते हैं सोचने को मजबूर । इन मासूमों का क्या कसूर ।। कहीं तरह-तरह के कपड़े। और कहीं ठंड... Hindi · मुक्तक 270 Share Bharat Bhushan Pathak 10 Nov 2018 · 1 min read भ्रष्टाचार जय परमानन्दी जगत कल्याणी। सिद्धि सिन्धु परमार्थ परायणी। जय हो जगत व्यापिनी माया। ऐश्वर्य प्रदाती रिश्वत रुपी काया।। जय हो प्रेयसी निर्गुण विशेषी। कलिवंशी विषय समवेशी।। गौरवशालिनि रक्तसंचारिनी। अविनाशिनी प्रतिहारिनी।।... Hindi · मुक्तक 291 Share Bharat Bhushan Pathak 10 Nov 2018 · 1 min read स्वप्न हो कुछ ऐसा स्वप्न । चाहे हो दिवा स्वप्न ।। सिर्फ हर तरफ शान्ति । तनिक भी नहीं भ्रान्ति न राग हो न द्वेष हो। मनुज से मनुज का केवल... Hindi · मुक्तक 259 Share Bharat Bhushan Pathak 10 Nov 2018 · 1 min read भोर नवीनता की चादर ओढ़कर आए प्रभात । सम्पन्नता का श्रृंगारकर आए प्रत्येक रात।। नवसृजनता का हो पुन: उद्भव । दृश्य हो चहुँओर प्रतिपल वैभव ।। पुष्पित पल्लवित हो विकासपुष्पगुच्छ। विलोपित... Hindi · मुक्तक 1 314 Share Bharat Bhushan Pathak 10 Nov 2018 · 1 min read रंग रंग प्रेम का हो तो दिखता अच्छा है। रंग हो मर्यादा का तो और सजता है।। रंग नफरतों का हो तो उसे रंग नहीं कहते। इससे ही अच्छा है जब... Hindi · मुक्तक 244 Share Bharat Bhushan Pathak 10 Nov 2018 · 1 min read विडम्बना हर दरख्त हर शाक यही कहता है । धरती पर मानवता कहाँ झलकता है।। नदियों की थी जो अमृतधारा। अब बताओ कहाँ बहती है, कहती है नदियाँ पुकार अब मुझमें... Hindi · मुक्तक 227 Share Bharat Bhushan Pathak 10 Nov 2018 · 1 min read महादेव से अनुनय जय शम्भु परम वैरागी । जय महेश ध्यान अनुरागी ।। है करुणाकर करुणानिधान। गये हो कहाँ अन्तर्ध्यान ।। आओ है करुणानिधि आओ। वसुंधरा की प्यास बुझाओ।। है सर्वेश्वर शंकर आओ।... Hindi · मुक्तक 2 284 Share Bharat Bhushan Pathak 10 Nov 2018 · 1 min read आशातीत कल्पना दूर क्षितिज को देख रहा था अप्लक अकिंचन मैं । क्या क्षितिज के पार कभी अपना भी बसेरा हो पायेगा।। ओस की नन्ही-नन्ही बूँदों से मिश्रित खगों के कलरव से... Hindi · मुक्तक 1 1 237 Share Bharat Bhushan Pathak 10 Nov 2018 · 1 min read बाल -मजदूरी नव उपवन के नव सुमन हम। पुष्पित -पल्लवित हो जाने तो दो।। पात्र मिट्टी के हैं अब तक हम। थोड़ा पक जाने तो दो।। खुल कर जीना है हमारा अधिकार... Hindi · मुक्तक 1 261 Share Bharat Bhushan Pathak 9 Nov 2018 · 1 min read मेरी कारुणिक व्यथा रेस का घोड़ा जब-जब दौड़ा। सबको उसने पीछे छोड़ा।। आता रहा हमेशा प्रथम विदित हो रहा था मानो प्रथम आने की खा ली हो उसने कसम।। कहता थक चुका हार... Hindi · मुक्तक 360 Share Bharat Bhushan Pathak 9 Nov 2018 · 1 min read स्टेटस अपडेट पर मेरे व्यंग्य आधुनिक नवीन विचित्र मनोहार । जन समुदाय का अद्भुत व्यवहार ।। कि करने चेष्टा प्रचलित प्रसारित । प्रवाहित प्रकाशित और अति विस्तारित।। मनुज-मनुज का अद्भुत स्वभाव । है होता प्रतीत... Hindi · मुक्तक 225 Share Bharat Bhushan Pathak 9 Nov 2018 · 1 min read अटलवन्दन सह श्रद्धार्पण थे अटल जो रहेंगे अटल। बनकर ज्ञान सरिता अविकल।। अविश्वसनीय हो रहा प्रतीत। ज्ञानतारा एक और हो गया विस्मृत।। है देश का यह दुर्भाग्य जो। विलोपित जो हो गया आराध्य... Hindi · मुक्तक 196 Share