Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Nov 2018 · 2 min read

चमत्कारी अंगोछा

एक बार एक नेताजी को मिला एक अंगोछा।
नेताजी ने जैसे उससे अपना हाथमुँह पोछा।।
यह देखकर अंगोछा लगा जोर से चिल्लाने।
और शुरु कर दिया अपनी बड़ाई बताने।।
सुन ओ मेरे प्यारे नेता मैं साधारण नहीं अंगोछा।
जो तुमने इस तरह से अपना हाथमुँह है पोछा ।।
जो बात कहता हूँ अब सुनो धर कर ध्यान ।
दे रहा हूँ फोकट में जो महानतम ज्ञान ।।
कहानी है जो सदियों -सदियों पुरानी।
हुआ करता था एक नेता नाम का प्राणी।।
लगा रहता था हमेशा करने में कुछ जुगाड़ ।
कि अब कैसे बन पाएगा वोट का पहाड़।।
यह सोचकर करने लगा मतेश्वर बाबा का ध्यान ।
बाबा मतेश्वर प्रकट हो गए और दे दिया एक अंगोछा।
फिर बोला वो जानते हो वह कौन अंगोछा था अन्जान ।।
नेता बोला नहीं रे मेरे प्यारे अंगोछे मैं यह कैसे जानूँगा।
अंगोछा इस बार अकड़कर बोला अरे तुम बिल्कूल हो मुढ़-मति अज्ञान ।।
सुनो मैं हूँ वही अंगोछा अब मैं अपनी बड़ाई क्या स्वयं करुँगा।
सुनो अब जो मैं बतलाता हूँ वोट माँगने वैसे जाना जैसे में बतलाता हूँ।
नेता बोला हाँ बताओ और क्या-क्या है करना?
अंगोछा बोला वोट माँगने जब भी जाओ तो मुझे हमेशा रखना साथ।
नेता बोला ठीक है अब बताओ क्या-क्या और रहेगा साथ।।
अंगोछा बोला साथ में सबसे पहले लिस्ट हो कसमों वाली।
नेता बोला हाँ जी बिल्कुल साथ में याद से रखवाली।
अंगोछा बोला पहले जाते ही है तुमको यह है कहना।
तुम ,माता हो,पिता हो कैसे हो विस्तार से कहना।।
नेता बोला ठीक है आगे भी कुछ करना है बोलो।
अंगोछा इस बार जोर से बोला जब बोलो तब मिश्री घोलो।।
नेता बोला ठीक है आगे अब क्या अंगोछा भाई।
अंगोछा बोला चाहे कुछ भी बोलो हर बात में देना पीछले साल के नेता की दुहाई।
मित्रों आज के परिवेश में यही तो होता है ।
जो बात यह अंगोछा नेता से कहता है।।

Language: Hindi
2 Comments · 242 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
3264.*पूर्णिका*
3264.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
पृथ्वी दिवस पर
पृथ्वी दिवस पर
Mohan Pandey
चल पनघट की ओर सखी।
चल पनघट की ओर सखी।
Anil Mishra Prahari
जिस्म से जान निकालूँ कैसे ?
जिस्म से जान निकालूँ कैसे ?
Manju sagar
हर एक मंजिल का अपना कहर निकला
हर एक मंजिल का अपना कहर निकला
कवि दीपक बवेजा
योग का एक विधान
योग का एक विधान
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
बदनसीब का नसीब
बदनसीब का नसीब
Dr. Kishan tandon kranti
इस तरहां बिताये मैंने, तन्हाई के पल
इस तरहां बिताये मैंने, तन्हाई के पल
gurudeenverma198
उनको घरों में भी सीलन आती है,
उनको घरों में भी सीलन आती है,
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
क्या है मोहब्बत??
क्या है मोहब्बत??
Skanda Joshi
सितारों को आगे बढ़ना पड़ेगा,
सितारों को आगे बढ़ना पड़ेगा,
Slok maurya "umang"
व्यक्तित्व और व्यवहार हमारी धरोहर
व्यक्तित्व और व्यवहार हमारी धरोहर
लोकेश शर्मा 'अवस्थी'
जय माँ दुर्गा देवी,मैया जय अंबे देवी...
जय माँ दुर्गा देवी,मैया जय अंबे देवी...
Harminder Kaur
#जीवन एक संघर्ष।
#जीवन एक संघर्ष।
*Author प्रणय प्रभात*
रंगमंच कलाकार तुलेंद्र यादव जीवन परिचय
रंगमंच कलाकार तुलेंद्र यादव जीवन परिचय
Tulendra Yadav
विद्यावाचस्पति Ph.D हिन्दी
विद्यावाचस्पति Ph.D हिन्दी
Mahender Singh
हर तरफ खामोशी क्यों है
हर तरफ खामोशी क्यों है
VINOD CHAUHAN
कैसे हमसे प्यार करोगे
कैसे हमसे प्यार करोगे
KAVI BHOLE PRASAD NEMA CHANCHAL
*रामपुर के पाँच पुराने कवि*
*रामपुर के पाँच पुराने कवि*
Ravi Prakash
……..नाच उठी एकाकी काया
……..नाच उठी एकाकी काया
Rekha Drolia
वृक्षों के उपकार....
वृक्षों के उपकार....
डॉ.सीमा अग्रवाल
बेगुनाही की सज़ा
बेगुनाही की सज़ा
Shekhar Chandra Mitra
" करवा चौथ वाली मेहंदी "
Dr Meenu Poonia
माँ दहलीज के पार🙏
माँ दहलीज के पार🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
गाँव की प्यारी यादों को दिल में सजाया करो,
गाँव की प्यारी यादों को दिल में सजाया करो,
Ranjeet kumar patre
पंचचामर मुक्तक
पंचचामर मुक्तक
Neelam Sharma
वो कत्ल कर दिए,
वो कत्ल कर दिए,
पंकज पाण्डेय सावर्ण्य
अपने किरदार में
अपने किरदार में
Dr fauzia Naseem shad
आवारगी मिली
आवारगी मिली
Satish Srijan
मिलन फूलों का फूलों से हुआ है_
मिलन फूलों का फूलों से हुआ है_
Rajesh vyas
Loading...