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11 Nov 2018 · 1 min read

एक था कुर्सीपुर

एक था गाँव कुर्सीपुर।
थे रहते जहाँ जनसूर।।
थी हर तरफ हरियाली ।
थी लगी फसल वायदोंवाली।।
हर तरफ थे दिखते वोटरुपी फल।
और चहुँऔर थी प्रवाहित चुनावी जल।।
भरित था साथ ही जिसमें महँगाई जल।
संग हो रही थी प्रचाररुपी भयंकर वृष्टि।।
दृश्य हो रहा था हर तरफ उछलकूद करते अनाचाररुपी मेंढक ।
और एक दिन सहसा आया कर्तब्यनिष्ठ अनल।
अवतरित हुआ मानो हो प्रलयंकारी दावानल।।
और फलत : नष्ट हो गया सब समूल ….सकल ।

Language: Hindi
238 Views
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