रवीन्द्र सिंह यादव Tag: कविता 25 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid रवीन्द्र सिंह यादव 1 Nov 2018 · 1 min read माँ माँ सृष्टि स्पंदन अनुभूति सप्त स्वर में गूँजता संगीत वट वृक्ष की छाँव। माँ आँसू ममता सम्वेदना गोद में लोक जीवन आलोक निर्झर-सा प्रवाह। माँ शब्द क़लम रचना है कैनवास... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 17 125 825 Share रवीन्द्र सिंह यादव 30 Oct 2018 · 1 min read मी टू सैलाब ( वर्ण पिरामिड ) ये मी टू ले आया रज़ामंदी दोगलापन बीमार ज़ेहन मंज़र-ए-आम पे ! वो मर्द मासूम कैसे होगा छीनता हक़ कुचलता रूह दफ़्नकर ज़मीर ! क्यों इश्क़ रोमांस बदनाम मी टू... Hindi · कविता 1 410 Share रवीन्द्र सिंह यादव 14 Aug 2018 · 1 min read पश्चाताप एक दिन बातों-बातों में फूल और तितली झगड़ पड़े तमाशबीन भाँपने लगे माजरा खड़े-खड़े कोमल कुसुम की नैसर्गिक सुषमा में समाया माधुर्य नयनाभिराम रंग, ख़ुशबू , मकरन्द की ख़ातिर मधुमक्खी,... Hindi · कविता 3 393 Share रवीन्द्र सिंह यादव 14 May 2018 · 1 min read मेहमान को जूते में परोसी मिठाई..... समाचार आया है- "इज़राइली राजकीय भोज में जापानी प्रधानमंत्री को जूते में परोसी मिठाई!" ग़ज़ब है जूते को टेबल पर सजाने की ढिठाई !! दम्भ और आक्रामकता में डूबा एक... Hindi · कविता 297 Share रवीन्द्र सिंह यादव 9 Mar 2018 · 1 min read मूर्ति सोचता हूँ गढ़ दूँ मैं भी अपनी मिट्टी की मूर्ति, ताकि होती रहे मेरे अहंकारी-सुख की क्षतिपूर्ति। मिट्टी-पानी का अनुपात अभी तय नहीं हो पाया है, कभी मिट्टी कम तो... Hindi · कविता 258 Share रवीन्द्र सिंह यादव 2 Mar 2018 · 1 min read होली की कथा हमारी पौराणिक कथाऐं कहती हैं होली की कथा निष्ठुर , एक थे भक्त प्रह्लाद पिता जिनका हिरण्यकशिपु असुर। थी उनकी बुआ होलिका थी ममतामयी माता कयाधु , दैत्य कुल में... Hindi · कविता 428 Share रवीन्द्र सिंह यादव 1 Mar 2018 · 1 min read शायद देखा नहीं उसने चराग़-ए-आरज़ू जलाये रखना, उम्मीद आँधियों में बनाये रखना। अब क्या डरना हालात की तल्ख़ियों से, आ गया हमको बुलंदियों का स्वाद चखना। ठोकरें दे जाती हैं जीने का शुऊर ,... Hindi · कविता 428 Share रवीन्द्र सिंह यादव 26 Oct 2017 · 2 min read यादें यादों का ये कैसा जाना-अनजाना सफ़र है, भरी फूल-ओ-ख़ार से आरज़ू की रहगुज़र है। रहनुमा हो जाता कोई, मिल जाते हैं हम-सफ़र, रौशनी बन जाता कोई, हो जाता कोई नज़र,... Hindi · कविता 493 Share रवीन्द्र सिंह यादव 8 Oct 2017 · 1 min read करवा चौथ कार्तिक-कृष्णपक्ष चौथ का चाँद देखती हैं सुहागिनें आटा छलनी से.... उर्ध्व-क्षैतिज तारों के जाल से दिखता चाँद सुनाता है दो दिलों का अंतर्नाद। सुख-सौभाग्य की इच्छा का संकल्प होता नहीं... Hindi · कविता 286 Share रवीन्द्र सिंह यादव 27 Sep 2017 · 2 min read अपनी अस्मिता क़ुर्बान करनी चाहिए थी ? कुलपति साहब तो क्या उस छात्रा को संस्थान की अस्मिता के लिए अपनी अस्मिता क़ुर्बान करनी चाहिए थी ? बीएचयू के मुखिया को ऐसी बयानबाज़ी करनी चाहिए थी ? सभ्यता... Hindi · कविता 263 Share रवीन्द्र सिंह यादव 18 Sep 2017 · 1 min read खाता नम्बर ग़ौर से देखो गुलशन में बयाबान का साया है , ज़ाहिर-सी बात है आज फ़ज़ा ने जताया है। इक दिन मदहोश हवाऐं कानों में कहती गुज़र गयीं, उम्मीद-ओ-ख़्वाब का दिया... Hindi · कविता 497 Share रवीन्द्र सिंह यादव 13 Sep 2017 · 1 min read सरकारी बंद लिफ़ाफ़ा एक एनजीओ की याचिका पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भारत सरकार को आदेश दिया केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने कल 105 क़ानून बनाने वाले आदरणीयों (?) के नाम सीलबंद लिफ़ाफ़े... Hindi · कविता 463 Share रवीन्द्र सिंह यादव 6 Sep 2017 · 1 min read छम्मकछल्लो ठाणे की एक अदालत का सराहनीय फ़ैसला आया है, महिला को "छम्मकछल्लो " कहना जुर्म ठहराया है। शब्द ,इशारे या किसी गतिविधि से महिला का अपमान होने पर केस दर्ज़... Hindi · कविता 598 Share रवीन्द्र सिंह यादव 4 Sep 2017 · 2 min read जिओ और जीने दो ख़ुद जिओ अपने जियें, और काल-कवलित हो जायें। कितना नाज़ां / स्वार्थी और वहशी है तू , तेरे रिश्ते रिश्ते हैं औरों के फ़ालतू। चलो अब फिर समझदार, नेक हो... Hindi · कविता 319 Share रवीन्द्र सिंह यादव 28 Aug 2017 · 2 min read भारत की बेटी और प्रधानमंत्री भारत की एक त्रस्त बेटी ने मई 2002 में आख़िरी उम्मीद के साथ पितातुल्य देश के रहबर / प्रधानमंत्री को गुमनाम ख़त में अपनी गरिमा और अस्मिता पर हुई बर्बरता... Hindi · कविता 479 Share रवीन्द्र सिंह यादव 15 Aug 2017 · 1 min read इकहत्तरवां स्वाधीनता-दिवस अँग्रेज़ी हुक़ूमत के ग़ुलाम थे हम 15 अगस्त 1947 से पूर्व अपनी नागरिकता ब्रिटिश-इंडियन लिखते थे हम आज़ादी से पूर्व। ऋषि-मुनियों का दिया परिष्कृत ज्ञान शोध / तपस्या से विकसित... Hindi · कविता 246 Share रवीन्द्र सिंह यादव 2 Jul 2017 · 1 min read बारिश फिर आ गयी बारिश फिर आ गयी उनींदे सपनों को हलके -हलके छींटों ने जगा दिया ठंडी नम हवाओं ने खोलकर झरोखे धीरे से कुछ कानों में कह दिया। बारिश में उतरे हैं... Hindi · कविता 417 Share रवीन्द्र सिंह यादव 11 Apr 2017 · 3 min read ऐ हवा चल पहुँचा दे मेरी आवाज़ वहाँ ताजमहल को देखते आगरा क़िले में क़ैद शाहजहां ने शायद ये भी सोचा होगा......... ( मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब अपनी क्रूरता के लिए कुख़्यात हुआ। दारा शिकोह सहित अपने तीनों भाइयों... Hindi · कविता 424 Share रवीन्द्र सिंह यादव 14 Feb 2017 · 1 min read ये कहाँ से आ गयी बहार है ये कहाँ से आ गयी बहार है, बंद तो मेरी गली का द्वार है। ख़्वाहिशें टकरा के चूर हो गयीं, हसरतों का दर्द अभी उधार है। नफ़रतों के तीर छलनी... Hindi · कविता 1 1 275 Share रवीन्द्र सिंह यादव 6 Feb 2017 · 1 min read धीरे - धीरे ज़ख़्म सारे धीरे - धीरे ज़ख़्म सारे अब भरने को आ गए , एक बेचारा दाग़ -ए -दिल है जिसको ग़म ही भा गए। ज़िन्दगी को जब ज़रूरत उजियारे दिन की आ... Hindi · कविता 484 Share रवीन्द्र सिंह यादव 1 Feb 2017 · 1 min read वागीश्वरी जयंती जय हो वीणावादिनी जय हो ज्ञानदायिनी विद्या ,बुद्धि ,ज्ञान की देवी करो मेधा प्रखर वाग्देवी। माघ मास शुक्लपक्ष पंचमी वागीश्वरी जयंती पूजा-आराधना शाश्वत ज्ञान हेतु शीश नमन्ति ! हे माँ... Hindi · कविता 506 Share रवीन्द्र सिंह यादव 25 Jan 2017 · 1 min read दोपहर बनकर अक्सर न आया करो दोपहर बनकर अक्सर न आया करो। सुबह-शाम भी कभी बन जाया करो।। चिलचिलाती धूप में तपना है ज़रूरी। कभी शीतल चाँदनी में भी नहाया करो।। सुबकता है दिल यादों के... Hindi · कविता 397 Share रवीन्द्र सिंह यादव 23 Jan 2017 · 2 min read नेताजी सुभाष चंद्र बोस (23 जनवरी जन्मदिन पर स्मरण ) एक सव्यसाची फिर आया 48 वर्ष सुभाष बनकर जिया जीवट की नई कसौटी स्थापित कर रहस्यमयी यात्रा पर चल दिया ज़ल्दी में था भारत... Hindi · कविता 464 Share रवीन्द्र सिंह यादव 16 Jan 2017 · 2 min read मैं वर्तमान की बेटी हूँ बीसवीं सदी में, प्रेमचंद की निर्मला थी बेटी, इक्कीसवीं सदी में, नयना / गुड़िया या निर्भया, बन चुकी है बेटी। कुछ नाम याद होंगे आपको, वैदिक साहित्य की बेटियों के-... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 1 1 679 Share रवीन्द्र सिंह यादव 16 Jan 2017 · 2 min read मैं वर्तमान की बेटी हूँ बीसवीं सदी में, प्रेमचंद की निर्मला थी बेटी, इक्कीसवीं सदी में, नयना / गुड़िया या निर्भया, बन चुकी है बेटी। कुछ नाम याद होंगे आपको, वैदिक साहित्य की बेटियों के-... Hindi · कविता 427 Share