Ranjana Mathur 479 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Ranjana Mathur 15 Jun 2023 · 1 min read सारंग छंद विश्वास संसार का मूल आधार। होना नहीं चाहिए बीच दीवार।। सारे जहाँ में रहे आपसी प्यार। हो भ्रातृ की भावना युक्त संसार।। आचार है सत्य के संग साकार। है ईश... Poetry Writing Challenge 1 357 Share Ranjana Mathur 15 Jun 2023 · 1 min read मधु मालती छंद आए अयोध्या राम हैं। सांचा प्रभू का नाम है।। दीपों सजी दीपावली। काली निशा देखो टली।। हर द्वार नौबत हैं बजीं। नवदीप से नगरी सजी।। हरिक दीप में उजास दो।... Poetry Writing Challenge 1 274 Share Ranjana Mathur 15 Jun 2023 · 1 min read सुमित्र (रसाल) छंद…… मरीचि दिनकर की,भरती है जग में उमंग। विभोर है प्रकृति,चहुंदिश उठ रही तरंग।। वितान पीत वर्ण,जिसका आदि और न अंत। बिखेर कर सुंगध,झूमता आ गया बसंत।। रंजना माथुर अजमेर राजस्थान... Poetry Writing Challenge 1 309 Share Ranjana Mathur 15 Jun 2023 · 1 min read सायली छंद - - - 🌺🍀 मेहनत कभी भी न जाती व्यर्थ देती सदा सुपरिणाम 🌺🍀 यदि हो तुम एक श्रमशील पुरुष कदम चूमेगी सफलता 🌺🍀 माँ तेरा श्रम करता है निर्माण एक नागरिक का... Poetry Writing Challenge 1 247 Share Ranjana Mathur 15 Jun 2023 · 1 min read अमत्ता घनाक्षरी डमरू घनाक्षरी का ही एक रूप दिनकर चमकत नभ नव दमकत। खग गण विचरत स्वर मधुर करत। झिरझिर झरझर जलद बरस कर। तड़ित चमक कर पड़त जगत पर। अब बहत... Poetry Writing Challenge 2 317 Share Ranjana Mathur 15 Jun 2023 · 1 min read मनहरण घनाक्षरी विषय - बेटी बेटी है स्वर्ग की परी बेटी बगिया है हरी बेटी से ही पीढ़ी तरी मान उसे दीजिए। बेटी पूजा की महक बेटी खुशी की चमक पंछियों की... Poetry Writing Challenge 171 Share Ranjana Mathur 15 Jun 2023 · 1 min read तोमर छंद पितु मात के अहसान, चुक पाना न आसान। माँ साक्षात भगवान, कर दे हमें सब दान। निस्वार्थ उनका प्यार,प्रभु भी गए हैं हार। मिले उनका आशीष,नत उनके सम्मुख शीश। न... Poetry Writing Challenge 2 140 Share Ranjana Mathur 15 Jun 2023 · 1 min read तिलका छंद…. (विश्व पर्यावरण दिवस पर ) बरखा बरसे न जिया तरसे। शुचि वायु बहे दुख ही न रहे। चिड़िया चहकें बगिया महके। खिलते फुलवा खुश हो मनवा। मकरंद भरा उड़ता भंवरा।... Poetry Writing Challenge 1 143 Share Ranjana Mathur 15 Jun 2023 · 1 min read उल्लाला छंद सवित किरण जगमग भयी, हलचल मची है पनघट। जगत नियन्ता खोल दो मनमोहन अब नयन पट। मुरली अधरन साजती, गल बैजंती माल है। मोर मुकुट मोहक छवि, वह गिरधर गोपाल... Poetry Writing Challenge 128 Share Ranjana Mathur 15 Jun 2023 · 1 min read वागीश्वरी सवैया विधाता पिता है सभी का दुखों को मिटाता दया चाहते हैं सभी। सवेरा वही है निशा भी वही है कभी छांव है धूप भी है कभी। हमारे चहुंओर विस्तीर्ण ये... Poetry Writing Challenge 138 Share Ranjana Mathur 15 Jun 2023 · 1 min read "गीता छंद" रिमझिम गिरें हैं फुहारें,बह रही मधुर बयार। दादुर मयूर पपीहरा,गाएं मेघ मल्हार।। सरिता गिरि कानन प्रमुदित, और शीतल पवमान। पावस का हुआ आगमन,ऋतु के नए प्रतिमान।। श्यामल मेघावरि नभ में... Poetry Writing Challenge 99 Share Ranjana Mathur 15 Jun 2023 · 1 min read मुक्तक मुक्तक - - भोर से पहले आ पहुँचा घर-घर ये प्यारा हुड़दंग। सबके मुखों पर लिपटा है लाल गुलाबी पीला रंग।। होली आई प्रेम नेह की भूलो बैर शत्रुता को,... Poetry Writing Challenge 100 Share Ranjana Mathur 15 Jun 2023 · 1 min read ताटंक छंद मधुर मधुर दीपक तुम जलना, आएगी जब दीवाली। सारे तम ही मिट जाएंगे, बीत गईं रातें काली।। पर्व तभी जब सब हँसते हों,हर घर किलकारी गूँजे। हर घर बसे समृद्धि... Poetry Writing Challenge 85 Share Ranjana Mathur 15 Jun 2023 · 1 min read दोहे दोहे…. त्राहिमाम क्रंदन करे,मानव दुखी अपार। एक आस तुझ पर टिकी, कर दे बेड़ा पार।। सृष्टि जगत नियन्ता की, हर इक कण है खास। मूढ़ मनुज न धैर्य रखा, खड़ी... Poetry Writing Challenge 100 Share Ranjana Mathur 15 Jun 2023 · 1 min read त्रिलोकी छंद……. (1) उगते रवि को नमन,नियम संसार का। स्वार्थी है यह जगत,मोल क्या प्यार का।। (2) बोलो मीठे बैन,बने बिगड़े काज। बात प्रेम से बने, बोल मनुहार का।। (3) बैरी अपना... Poetry Writing Challenge 113 Share Ranjana Mathur 15 Jun 2023 · 1 min read लावणी छंद......... क्षितिज हुआ है रक्तिम देखो, रवि किरणों की है लाली। गुंजित विहगवृंद चहकार , उपवन महकी हर डाली।। प्राची की मधुमय पुरवाई, चहुंओर डाला डेरा। देवालय घंटी सुमधुर है, जागो... Poetry Writing Challenge 99 Share Ranjana Mathur 15 Jun 2023 · 1 min read पंचचामर छंद जपो नमः शिवाय को हरेक पीर मेटते। जटा धरे मयंक वो दुःख को समेटते।। गले सजे भुजंग माल, मात गंग शीश है। कृपालु भक्त की पुकार माँगती अशीष है।। सजी... Poetry Writing Challenge 82 Share Ranjana Mathur 15 Jun 2023 · 1 min read दोहे----- प्रकृति पुत्र महाकवि सुमित्रानंदन पंत पर दोहे (1) कौसानी एक ग्राम था,हरीतिमा की गोद। बाल सुमित्रा ने किया,जहां आमोद प्रमोद।। (2) पितु थे गंगा दत्त जी, सरस्वती थी मात। नाम... Poetry Writing Challenge 88 Share Ranjana Mathur 15 Jun 2023 · 1 min read मधु मालती छंद आए अयोध्या राम हैं। सांचा प्रभू का नाम है।। दीपों सजी दीपावली। काली निशा देखो टली।। हर द्वार नौबत हैं बजीं। नवदीप से नगरी सजी।। हरिक दीप में उजास दो।... Poetry Writing Challenge 101 Share Ranjana Mathur 15 Jun 2023 · 1 min read दुर्मिल सवैया सबसे मिलना अपनेपन से, सबमें वह ईश्वर ही रहता। सब ही उसकी मरजी पर है,मन साफ रखो वह है कहता।। अब छांव रहे बिखरी बिखरी,हर मानव धूप न हो सहता।... Poetry Writing Challenge 91 Share Ranjana Mathur 15 Jun 2023 · 1 min read सार छंद - - नीहार सजित पल्लव पल्लव,झरे तुषार अनूठा दिखता अलसाया सा विहान लागे दिनकर रूठा शाख-शाख तुहिनों के मौक्तिक,दिप दिप दमक रहे हैं कंपन से थर्राते पंछी,इत उत भटक रहे हैं। सर्दी... Poetry Writing Challenge 75 Share Ranjana Mathur 15 Jun 2023 · 1 min read द्रुतविलम्बित छंद विहग वृंद उमंगित शोर है। उदित भानु तरंगित भोर है।। क्षितिज रक्तिम प्रकृति घेरता। अतुल दृश्य विहान बिखेरता।। गगन शोभित है खग वृंद से। पवन के थपके मृदु मंद से।।... Poetry Writing Challenge 88 Share Ranjana Mathur 15 Jun 2023 · 1 min read गुपाल/भुजंगिनी छंद विदा निशीथ उतरा विहान। व्योम गुंजित खग वृंद गान।। वसुंधरा सज रही अनूप। अंबरांत का नया स्वरूप।। सजित सृष्टि अप्रतिम निखार। उठो सवेरा रहा पुकार।। कलरव नदी निनाद तरंग। दर्शित... Poetry Writing Challenge 220 Share Ranjana Mathur 15 Jun 2023 · 1 min read 🌹विजात छंद 🌹 °°°°°°°°°°°°°°°°° विनायक सिद्धि दाता हो तुम बुद्धि के प्रदाता हो जगत जयकार है गाता हर काम सफल हो जाता तात शिव पार्वती माता गणपति से सबका नाता आप प्रभु देव हो... Poetry Writing Challenge 144 Share Ranjana Mathur 15 Jun 2023 · 1 min read मत्तगयंद सवैया छंद मत्तगयंद सवैया छंद ईश कृपा करना इतनी हर ओर रहे सुख का उजियारा। प्रेम रखें सब आपस में यह जीवन का अब लक्ष्य हमारा।। क्लेश कटे हर द्वेष मिटे अरु... Poetry Writing Challenge 218 Share Ranjana Mathur 15 Jun 2023 · 1 min read "भुजंगप्रयात छंद" न कोई पराया सभी हो करीबी सभी ही सुखी हों मिटाएं गरीबी। सभी को सहारा यही लक्ष्य सारा निखारें सजाएं बढ़े देश प्यारा। हमें हारना है नहीं दुश्मनों से सदा... Poetry Writing Challenge 307 Share Ranjana Mathur 15 Jun 2023 · 1 min read निश्छल छंद आई पहने धूप ओढ़नी, ऋतु बैसाख! सूर्य कोप छाया वन कानन, बनते राख!! बिना कार्य बाहर मत निकलो, लो विश्राम ! पानी कैरी खूब पना लो, खाओ आम!! ऋतु बैसाख... Poetry Writing Challenge 176 Share Ranjana Mathur 28 Sep 2021 · 2 min read "नदियाँ हमारी पोषक" नदियों के अभाव में पृथ्वी पर जीवन अकल्पनीय है। नदियां है तो जीवन है। नदियां हमारा वर्तमान भी हैं और वे हमारा भविष्य भी है। नदियों के प्रदूषित होने से... Hindi · लेख 969 Share Ranjana Mathur 14 Sep 2021 · 1 min read "रघुवर हैं भारत के पर्याय". भारत भूमि है सदा राममय रघुवर भारत का पर्याय। ब्रह्मांड के सृजक राम ही आद्योपांत जन-जन में समाय।। असंतोष में संतुष्टि हैं राम सर्वज्ञ भी हैं समष्टि हैं राम। कोटि-कोटि... Hindi · कविता 1 419 Share Ranjana Mathur 14 Sep 2021 · 1 min read "गणेश वन्दना " देवों के देव शिवसुत हे प्रभु हे सिद्धि विनायक गणेशा सर्वप्रथम जो पूजे तुझको सर्वसुख पाए वह हमेशा। हे विघ्नहर्ता हे सुखकर्ता मोदकप्रेमी तेरी जय हो तव भक्त जो आवे... Hindi · कविता 1 2 499 Share Ranjana Mathur 14 Sep 2021 · 1 min read हम नारियाँ आओ आज कुछ कर जाएं नीलाभ व्योम पर बिखर जाए उलीच डालें हम आज पयोधि नदियों का प्रवाह बदल डालें मुरझाएं पुष्पों को दे सुरभि वेग मारुति का हम थामें... Hindi · कविता 2 2 473 Share Ranjana Mathur 14 Sep 2021 · 4 min read नारी हृदय के पारखी" -शरतचंद्र चट्टोपाध्याय । आलेख शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय को कौन नहीं जानता ? आप बांग्ला भाषा के सुप्रसिद्ध उपन्यासकार थे। आपका जन्म प. बंगाल के हुगली जिले के देवानंदपुर गांव में 15 सितंबर 1876 में... Hindi · लेख 1 1 1k Share Ranjana Mathur 23 Jul 2021 · 2 min read जीवनदायिनी अक्टूबर का महीना.. सोमवार की व्यस्ततम दोपहर............ रविवार का दूसरा दिन यानि सारी दुनिया अपने-अपने कार्य क्षेत्र के मकड़जाल में उलझी हुई......... मौसम में हल्की सर्द आहट... सैर सपाटे के... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 3 1 526 Share Ranjana Mathur 23 Jul 2021 · 2 min read ज्वारभाटा सुमि बेजान-सी चहलकदमी कर रही है। नींद तो मानों उसकी आँखों से कोसों दूर थी आज........ और आती भी कैसे...... अल सुबह निर्णय जो हो जाना था। सुयश बीच-बीच में... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 2 1 415 Share Ranjana Mathur 18 Jul 2021 · 2 min read तीन बार कहानी "तीन बार" "तू चाहे तो मेरे घर एक हफ्ते तक न आ, लेकिन तू आराम कर। " "सुन ले तारा।" "समझी कि नहीं।" "जी भाभी! समझी। कर लूंगी आराम.."... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 3 1 503 Share Ranjana Mathur 18 Jul 2021 · 2 min read शीर्षक - जेब की मरम्मत "पापा आ गए" पिंकी ने दौड़ कर दरवाज़ा खोला। विजय जी चुपचाप अन्दर आए और टिफिन व बैग पास ही खड़े बेटे टिंकू को पकड़ाया। खुद ढीले हो कर पलंग... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 1 2 340 Share Ranjana Mathur 26 Jun 2021 · 4 min read पृथ्वी दिवस धरती माता तू भली तासूं भलो न कोय। जीव जन्तु की रक्षा करो रखूँ पगतली तोय।। हम अपने बाल्यकाल से ही प्रातः जागने पर वैसे तो 21 मार्च को मनाए... Hindi · लेख 1 459 Share Ranjana Mathur 26 Jun 2021 · 2 min read एक पत्र- "बेनाम रिश्ते के नाम" जब से होश संभाला तभी से तुझसे ठीक से पहचान हुई और समझ में आने लगा कि तेरा आशीष तो मुझ पर जन्म जन्मांतर से ही है। मेरे कंठ में,... Hindi · लेख 1 1 437 Share Ranjana Mathur 26 Jun 2021 · 8 min read मेरी प्रेरणा - सुषमा स्वराज " आलेख " "नरगिस थी तू वतन की खियाबां की बहार थी। नूरे चमन थी सुषमा तू तो सबकी दिलदार थी।" अद्भुत अप्रतिम व्यक्तित्व की स्वामिनी थी सुषमा स्वराज। आद्योपांत भारत... Hindi · लेख 346 Share Ranjana Mathur 26 Jun 2021 · 4 min read आगमन के पूर्व ही यह कैसी विदाई?? उसके पदार्पण से घर में रोशनी का प्रवेश होता है। उसकी उपस्थिति घर-आंगन की शोभा बढ़ाती है। उसका वजूद घर में चार चांद लगाता है। उसके हाथों के मीठे सृजन... Hindi · लेख 366 Share Ranjana Mathur 26 Jun 2021 · 2 min read आशीष S ?मेरे घर आई एक नन्ही परी? प्रत्येक घर में कोई न की ऐसा खुशनुमा व्यक्तित्व अवश्य होता है जिसके उद्गम की हल्की- सी आहट ही सम्पूर्ण आलय को असीम... Hindi · लेख 386 Share Ranjana Mathur 26 Jun 2021 · 4 min read विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर आलेख "धुंध से बाहर निकलो यारों " कहते हैं कि…… "पहले-पहल ये लगता प्यारा, फिर जिव्हा के मुंह लग जाता। केवल तुम न तुम्हारे संग-संग, परिवार का विनाश लाता।।" इस धुएं की महक में न भटको मित्रों।... Hindi · लेख 577 Share Ranjana Mathur 26 Jun 2021 · 5 min read ==वैधव्य नहीं अभिशाप== ==उनका जीवन हो खुशहाल== “मेरे बेरंग सूने संसार का रंगों से क्या वास्ता”?? यह कोई फिल्मी संवाद नहीं बल्कि एक घिसा पिटा वाक्य है जो या तो हमारे देश की हर उस अभागिन जिसका... Hindi · लेख 1 306 Share Ranjana Mathur 26 Jun 2021 · 2 min read परिवार समाज की एक अपरिहार्य इकाई भारत एक विपुल व सुसमृद्ध सांस्कृतिक विरासत का स्वामी एक उच्चतम सांस्कृतिक मूल्यों पर आधारित देश है। "वसुधैव कुटुंबकम "की महान् अवधारणा के मूल में भारत के विज्ञ एवं प्रबुद्ध... Hindi · लेख 619 Share Ranjana Mathur 22 Jun 2021 · 1 min read समय समय समय से न टक्कर लेना समय बड़ा ही शक्तिमान। संग चलने में ही सार है समय है प्रबल गतिमान। सूर्य चन्द्रमा सारी प्रकृति समय चक्र की दासता से मुक्त... Hindi · कविता 2 1 636 Share Ranjana Mathur 22 Jun 2021 · 1 min read बचपन की बारिश सावन का महीना, न धूप न पसीना। आ गई तू बरखा प्यारी, रिमझिम रिमझिम तेरी फुहारी। तेरे आने पर हर बार, जाग उठती हैं यादें सारी। वो नन्हे से दोस्त... Hindi · कविता 2 377 Share Ranjana Mathur 22 Jun 2021 · 2 min read परिवार- एक अपरिहार्य इकाई आलेख परिवार- एक अपरिहार्य इकाई भारत एक विपुल व सुसमृद्ध सांस्कृतिक विरासत का स्वामी एक उच्चतम सांस्कृतिक मूल्यों पर आधारित देश है। "वसुधैव कुटुंबकम "की महान् अवधारणा के मूल में... Hindi · लेख 1 323 Share Ranjana Mathur 15 Jun 2021 · 1 min read अब तो जागो कविता शीर्षक - "अब तो जागो" उमड़ घुमड़ घिर आते बादल फिर धुंआधार बरसाते बादल अन्तहीन करते जलवृष्टि हाहाकार मचाते बादल हुआ है चहुंदिश जलप्लावन बाढ़ से ग्रसित हुआ जन... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 1 463 Share Ranjana Mathur 15 Jun 2021 · 1 min read तुम आए हो शीर्षक - " तुम आए हो?" उमड़- घुमड़ श्यामल मेघावरि दमक रही तड़ तड़ित दामिनी शोर हुआ घनघोर घटा का झर - झर बुंदियाँ बरसाए हो सुना है कि तुम... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 4 1 332 Share Ranjana Mathur 15 Jun 2021 · 1 min read आया सावन कविता शीर्षक - आया सावन पर्ण-पर्ण हरीतिमा खिली है मौसम क्या मनभावन है छाया। शु हर हृदय की कली खिली है सौंधी माटी ने है मन भरमाया। झनन झनन झन... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 2 410 Share Page 1 Next