अशोक सोनी Tag: ग़ज़ल/गीतिका 20 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid अशोक सोनी 10 Mar 2021 · 1 min read प्रतिबद्धताओं के समीकरण बदल जाते हैं कितनी तेजी से प्रतिबद्धताओं के समीकरण । उड़ा ले गया हो जैसे कोई अविश्वास से भरा समीरण । Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 404 Share अशोक सोनी 23 Feb 2021 · 1 min read ग़ज़ल खुद को ही खुद से छुपाने लगे हैं लोग चेहरों पर चेहरे लगाने लगे हैं । किसी के बुलाने पर भी आए न वो बिन पूछे वज़ह वो बताने लगे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 4 2 380 Share अशोक सोनी 20 Jan 2021 · 1 min read क्यूं उदास है खोजता रहा ताउम्र वो किसे , किस सुकून की हरसू तलाश है । इधर - उधर तलाशा किया जिसे , वो ग़म दिल के यूं आसपास है । क्यूं तन्हाई... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 7 375 Share अशोक सोनी 18 Jan 2021 · 1 min read भूल थी कोई मुद्दत के बाद ही सही थोड़ी खुशी हाथ आई थी , बेचारा भूल गया कि बदकिस्मती पीछे ही खड़ी है। जाने क्यों उस पर इतना गुमान हो गया , वो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 4 487 Share अशोक सोनी 14 Jan 2021 · 1 min read मनसिज सरसावन आया फिर वसंत मनभावन आया फिर मनसिज सरसावन आया होने लगी फिर शिशिर विदाई उपवन कानन ऋतु सुहाई सजने लगे रसाल बौर से मुदित मना ऋतुराज ठौर से कुसुम कांति और... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 4 319 Share अशोक सोनी 2 Jan 2021 · 1 min read किसका असर हुआ गुल भी वही है , ख़ार वही है , आते जाते यार वही हैं फिर इतनी आवाजाही में गुलशन वीराना क्यों लगता है । खुशियां बिखरी हर चेहरे पर ,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 6 244 Share अशोक सोनी 24 Dec 2020 · 1 min read दर्द ए दास्तां परिंदों ने एक नया आसमां चुन लिया ख्वाबों में नया एक जहां बुन लिया बूढ़ी चिड़िया ये सुनकर हैरान है मैंने ये क्या दर्द ए दास्तां सुन लिया क्यों इन... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 4 9 325 Share अशोक सोनी 14 Dec 2020 · 1 min read नज़र वो बारहा राज़-ए-भरम खोलती थी ज़ुबां से भी ज़्यादा नज़र बोलती थी। समझता भला क्या नादान ये दिल अदा ही ऐसी कि बसर डोलती थी। Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 217 Share अशोक सोनी 13 May 2020 · 1 min read भीगी पलकें तुमको देखा तो भोर हुई , मन में हर्ष हिलोर हुई , विकल हृदय की धड़कन भी , पा तुम्हें भाव - विभोर हुई । रुठी जब प्रिय तुम मुझसे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 4 505 Share अशोक सोनी 12 May 2020 · 1 min read बेरुखी तुम्हारी मेरी तासीर में तो बस , अहले वफ़ा ही थी । उसमें कहां ज़रा भी ,ज़फा की अदा ही थी । *** कुछ तो तुम्हें भी , मुगालता हुआ ज़रूर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 2 261 Share अशोक सोनी 11 May 2020 · 1 min read मन पुलक-पुलक हुआ मन ने जब उसके मन को छुआ , मन पुलकित प्रमुदित आज हुआ , मन अभी तलक जो कह न सका , मन विरह ज्वाल जो सह न सका ,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 6 265 Share अशोक सोनी 10 May 2020 · 1 min read दस्तयारी हर ओर समंदर फैला है , दूर तलक बस पानी है । इकलौती कश्ती छोटी सी , रात बड़ी तूफानी है । दस्तयारी मिलेगी कैसे , और दस्तयार बनेगा कौन... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 4 6 211 Share अशोक सोनी 6 May 2020 · 1 min read आरज़ू अनचाहे ही याद तुम्हारी आई गुलाब-सी // तुम हो फूलों की रंगत तुम हो शबाब-सी // तुम से ही दिल वाबस्ता ,थीं तुम ही शुर्ख़रू // अखलाक तुम्हारी आंखों से... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 4 257 Share अशोक सोनी 24 Apr 2020 · 1 min read तैराक डूबा ऐसे नयन झील में , फिर तट पर कभी न आया // तुम तो थे तैराक ग़जब के , मुझे तैरना कभी न आया // Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 4 373 Share अशोक सोनी 23 Apr 2020 · 1 min read बड़ी संजीदगी से कभी खामोश रहता है , कभी चुपके से कहता है // रवानी ही रवानी है , बड़ी मुश्किल कहानी है // भीतर है कहीं कुछ तो ,जो दरिया बन के... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 3 438 Share अशोक सोनी 10 Apr 2020 · 1 min read मेरे अज़ीज़ अभी तो तेरी अलामत ए वफ़ा महफूज़ है मेरे पास , देखना है अज़ीज़ की मुसाफ़ात का हकदार हूं कब तलक । Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 257 Share अशोक सोनी 4 Apr 2020 · 1 min read ग़ज़ल चलो फिर हालात ए मुल्क बदलते हैं फिर इक नये सवालात पर उलझते हैं कभी कम होती नहीं क्यों दुश्वारियां चलो इन दुश्वारियों को ही बदलते हैं मुश्किल नहीं है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 225 Share अशोक सोनी 6 Dec 2019 · 1 min read ग़ज़ल कैसा है माहौल कि दहलने लगे हैं लोग चलते हुए भी कितना संभलने लगे हैं लोग । कल तक थी दिलों में राय जो पुख़्ता यकबयक फिर कैसे बहलने लगे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 255 Share अशोक सोनी 1 Oct 2017 · 1 min read एक ग़ज़ल बीते लम्हों को भी नादान चुराने निकले लोग माज़ी के इस तरह दीवाने निकले । भूलना चाहा जिसे रश्मो रिवाजों की तरह बातों-बातों मेंं कई और फसाने निकले । तरबतर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 574 Share अशोक सोनी 27 Sep 2017 · 1 min read ग़ज़ल आदमी को यकबयक क्या सुरूर हो गया, खुद से खुद जाने कैसे वह दूर हो गया । इन्सानियत में इतनी दुश्वारियां तो न थीं, फिर छोड़ने को क्यों कर मज़बूर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 296 Share