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Comments (9)

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सुंदर रचना है सर,मेरी कविता ईश्वर भी पढ़ें ?

26 Dec 2020 10:16 PM

जी अवश्य। मैंने आपको वोट कर दिया है किंतु आपका वोट मुझे अभी तक नहीं मिला। कृपया अवलोकन करें।

सोनी साहब जिंदगी बहुत नाजुक और महत्वाकांक्षी हो गयी है । हर कोई सिकन्दर होना चाहता है किन्तु कोई अरस्तू नही होना चाहता ।

26 Dec 2020 11:24 AM

जी यह शाश्वत सत्य है । किन्तु अपनों की विमुखता और स्वार्थ भी पीड़ादायक ही है।

जब घर की जमीन को
भौतिक वस्तुए ढकने लगे
और दीवारों पर
रंगीन फोटो हसने लगे
रिस्तों में बजार की बात होने लगे
हमेशा बूढ़ी चिड़िया पछताएगी
बीते हुए कल में
और घोसले की परवरिश में बिताए दिन की यादों में
आँखों में पानी लाएगी ।

वाह!

25 Dec 2020 11:59 AM

बहुत शुक्रिया मोहतरमा ।

24 Dec 2020 03:19 PM

सुंदर भाव!! आशा करता हूं आप हमारी
कोरोना प्रतियोगिता कविता पढ़कर अपनी प्रतिक्रिया देंगे !! प्रणाम !!

24 Dec 2020 09:03 PM

जी बिल्कुल। धन्यवाद

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