Comments (7)
20 Jan 2021 11:27 PM
बहुत सुन्दर
अशोक सोनी
Author
20 Jan 2021 10:35 AM
आपका कमेन्ट असावधानीवश डिलीट हो गया है। क्षमा चाहूंगा। आपकी बेबाक राय के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
20 Jan 2021 10:39 AM
आपने मेरे कमेंट को पढ़ लिया है।
कृपया मेरी टिप्पणी पर अपने विचार प्रस्तुत करें !
धन्यवाद !
अशोक सोनी
Author
21 Jan 2021 05:55 PM
आपकी बहुमूल्य राय का स्वागत करते हुए विनम्र निवेदन है कि विरोधाभास अलंकार काव्य के सौन्दर्य को रहस्य को द्विगुणित कर देता है।यथा – ज्यों ज्यों बूडे़ श्याम रंग त्यों त्यों उज्ज्वल होय। सुन्दर विरोधाभासी पंक्तियां।
आपसे ऐसे ही अपनत्व और बेबाकी की सदैव अपेक्षा है। धन्यवाद।
बहुत सुंदर प्रस्तुति सर
जी धन्यवाद।