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शक्ल़ फिरती है निगाहों में वही प्यारी सी। मेरी नस नस में मचलने लगी चिंगारी सी। छू गई जिस्म़ मेरा किसके दामन की हवा। कहीं ये तुम तो नहीं , कहीं ये तुम तो नहीं।
श़ुक्रिया !
शुक्रिया जनाब ।
सुंदरतम् अभिव्यक्ति आदरणीय!–?
बहुत धन्यवाद महोदय ।
शक्ल़ फिरती है निगाहों में वही प्यारी सी।
मेरी नस नस में मचलने लगी चिंगारी सी।
छू गई जिस्म़ मेरा किसके दामन की हवा।
कहीं ये तुम तो नहीं , कहीं ये तुम तो नहीं।
श़ुक्रिया !
शुक्रिया जनाब ।