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23 Apr 2020 06:11 PM
ये दिल ही तो है जो कभी ज़ब्त करता है तो कभी बेताब़ होता है ।
कभी माय़ूस ग़मगीन रहता है तो कभी खुशी से चहकता है ।
कभी लड़ता है हाल़ातों से तो कभी समझौता करने पर मजबूर होता है ।
कभी जज्ब़ातों का इज़हार करता है तो कभी रुस़वाई के डर से जज्ब़ करता है ।
कभी ज़माने से बग़ावत करने पर आम़ादा होता है तो कभी हार मान जाता है ।
कभी श़िद्दत से वफ़ा निभाता है तो कभी बेवफ़ाई पर टूट जाता है ।
श़ुक्रिया !
बहुत सुंदर प्रस्तुति धन्यवाद आपका जी लेकिन अब सोनी जी कहां पर हो बहुत दिनों से मुलाकात नहीं हुई है