Arun Prasad Language: Hindi 537 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 8 Next Arun Prasad 7 Oct 2021 · 1 min read सूरज सूरज और समाजवद या साम्यवाद साम्य हैं इसलिए नहीं कि वे शुरू होते हैं 'स' से। होता सूरज साम्यवदी अगर शुरू होता भी यह 'अ' से। रौशनी तौलकर नहीं बाँटता... Hindi · कविता 212 Share Arun Prasad 7 Oct 2021 · 1 min read खिलीखलाती आज इतनी यामिनी क्यों? ------------------------------------------------------------- खिलीखलाती आज इतनी यामिनी क्यों? छेड़ने के पूर्व उठती सिहर इतनी रागिनी क्यों? फुसफुसाकर तुम बुलाती इसलिए क्या? शर्म में से डूबी हुई सी भाग जाती इसलिए क्या? पास... Hindi · कविता 170 Share Arun Prasad 7 Oct 2021 · 1 min read नव–वर्ष नूतन ज्योति जले जग में। जीवन‚यौवन में औ' मग में। नद की बहती कल–कल धारा। धो कलुष पोंछ रज कण सारा। सन्देश भरे‚नव गति भरे। उद्देश्य भरे‚हर यति हरे। हो... Hindi · कविता 1 436 Share Arun Prasad 7 Oct 2021 · 1 min read मौत ------------------------------- मौत आगोश तुम्हारा बहुत खूब है कि लीपा–पोती की तरह मिटा देता है सारा भूत। रूको‚ हथेली भरना तो दूर नाखून तक नहीं रंगे हैं। कुछ पैरों से बहुत... Hindi · कविता 221 Share Arun Prasad 7 Oct 2021 · 1 min read भूख भूख है मुगलिया सल्तनत का तख्ते–ताऊस -------------------- Hindi · कविता 324 Share Arun Prasad 7 Oct 2021 · 1 min read वर्तमान वर्तमान भविष्य शिशु हेतु वैध सम्भोग। शुक्र–दान तेरा काल का कोख। -------------- Hindi · कविता 427 Share Arun Prasad 7 Oct 2021 · 1 min read प्रयोग प्रयोग भ्रमण चौराहे से चौराहे तक। Hindi · कविता 390 Share Arun Prasad 7 Oct 2021 · 1 min read पुस्तक शब्दों के वीर्य से आदमी का जन्म। ---------------- Hindi · कविता 212 Share Arun Prasad 7 Oct 2021 · 1 min read भूत वर्तमान को हस्तांतरित इतिहास के शीर्षक में संग्रहीत विपुल निधि। ----------------------- Hindi · कविता 214 Share Arun Prasad 7 Oct 2021 · 1 min read आईना दर्पण तुम्हारे विरूद्ध तुम्हारा आरोप। तुम हो तलाशते हो गये हो लोप। -------------- Hindi · कविता 184 Share Arun Prasad 7 Oct 2021 · 1 min read भविष्य उत्साह का क्रोड़ आशा का अंक। समय के साथ जीवंत युद्ध। --------------- Hindi · कविता 201 Share Arun Prasad 7 Oct 2021 · 1 min read रचना न हो नैसर्गिक संभोग का सौन्दर्य पर‚ सौन्दर्य को प्रदत्त औदार्य। सृष्टि के अस्तित्व के लिए किया गया हर विध्वंस है रचना का मौलिक अंश। ----------------------------- Hindi · कविता 178 Share Arun Prasad 7 Oct 2021 · 1 min read उड़ना टूटे हुए पंख और उड़ने का काम। मारकर पत्थर गिराया है खगों को इसीलिए उसने तमाम। ----------------------------- Hindi · कविता 1 285 Share Arun Prasad 7 Oct 2021 · 1 min read विज्ञापन अविश्वास के जिस्म को शब्दों का पहनाकर अपारदर्शी जामा कहीं उभार कहीं श्वेत सौन्दर्य का भ्रम पाल देना। करना जुगाली शब्दों की। ----------------------- Hindi · कविता 290 Share Arun Prasad 7 Oct 2021 · 1 min read चुगलखोर जो बना दे आदमी को इन्सान से जानवर आदमखोर‚ वह है दुनिया का सबसे बड़ा चुगलखोर। ------------------------------------ Hindi · कविता 710 Share Arun Prasad 7 Oct 2021 · 1 min read याद इतिहास के कबर में हैं जख्म‚ चोट इतने। किस–किस को याद रक्खें किसको तथा भुलायें? किस हर्फ को मिटायें‚किस्सा किसे जलायें? छूने से इनको जलते हैं हाथ मेरे कितने! ------------------------------------------- Hindi · शेर 390 Share Arun Prasad 7 Oct 2021 · 1 min read पीना पिलाना पीजिये‚ पिलाईये होश में रहिये उन्हें बेहोश रखिये। जिन्दगी के खोखलेपन का खुल जायेगा राज सो पिला–पिला के उन्हें वदहवासी से होश में रखिये। Hindi · शेर 227 Share Arun Prasad 7 Oct 2021 · 1 min read तन्हाईयाँ तन्हाईयाँ सुई की नोक की तरह चुभती हैं तन्हाईयाँ। मेरे चाहनेवाले आसमाँ से नहीं उतरेंगे। Hindi · शेर 312 Share Arun Prasad 7 Oct 2021 · 1 min read वजह कैसी उनसे तकरार क्या और उनसे सुलह कैसी? मुहब्बत का हक है यह‚इसकी वजह कैसी? -------------------------------------------------------------- Hindi · शेर 183 Share Arun Prasad 7 Oct 2021 · 1 min read अश्क को शरम कैसी ? मैं रोता हूँ तेरी बेवफाई नहीं अपने हाल पर। दिल पत्थर का होगा तेरा मेरा तो पत्थर की किस्मत है। खोदना चाहे कोई लकीर भी खोद ले अपनी ही कब्र।... Hindi · कविता 155 Share Arun Prasad 7 Oct 2021 · 1 min read सौन्दर्य को डर किसी लावण्यमय्ी के कपोलों को छूकर आती है हवा। सँदल सा हो जाता है जिस्म और जाँ इसका। होते ही वहाशत में बहने लगती है हवा कहीं भय तो नहीं... Hindi · कविता 201 Share Arun Prasad 7 Oct 2021 · 1 min read शरम बेशरम हम हो गये तो शर्म में डूबी हो तुम। शर्म तब आयी मुझे जब बेशरम बन खुल पड़ी तुम। ----------------------------------------------------------------- Hindi · शेर 427 Share Arun Prasad 7 Oct 2021 · 1 min read दीपावली खुशी‚हर्ष‚उल्लास जीवन में विश्वास दीप जलाकर फिर करने का आया अवसर अद्वितीय। पर्व नहीं केवल यह दिन है हमें बताता लक्षित करता मानव का आचरण। हमें इकठ्ठा करके हमको पाठ... Hindi · कविता 460 Share Arun Prasad 7 Oct 2021 · 2 min read केशव सभ्यताओं के समुन्दर में पड़ा है आदमी का शव। उठो केशव उठो केशव जरा जल्दी उठो केशव। आत्माओं के समुन्दर में भटकता आदमी का तन। कहां हो तुम कहो केशव... Hindi · कविता 254 Share Arun Prasad 7 Oct 2021 · 1 min read आरोप ब्रह्मत्व का तराशे बेढँगे पत्थर। मुक्ता‚ मणि और मोती के हिंडोले पर। संगमरमरी‚ खुशबूदार देव मन्दिरों में। रात की ठिठुर गयी ठंड काँपती‚सिसकती बयार। और मन्दिर के भिड़े किवाड़ों से सटा एक... Hindi · कविता 1 1 193 Share Arun Prasad 7 Oct 2021 · 1 min read एक तस्वीर चेहरे का मुख है चेहरे से गायब। ओठ सिगरेटों से जल गये शायद। धंस गयी ढ़ोंढ़र में नैनों की जोत। नीली लकीरों पे रेंग रही मौत। पीड़ित है पीड़ा का... Hindi · कविता 553 Share Arun Prasad 7 Oct 2021 · 2 min read सभ्यता पर दो शब्द सुन्दर कर्मशील जीवीत जातियों के नाम ही जहाँ गालियाँ होती हैं। कैसी कुत्सित सभ्यता है वह गालियों पर जहाँ तालियाँ होती हैं। अथक कर्म और कार्य द्वारा जीवन के प्रवाह... Hindi · कविता 246 Share Arun Prasad 7 Oct 2021 · 1 min read फगुआ आई है फगुनमा आई फगुआ रे सखि। कोई करे बरजोरी आई फगुआ रे सखि। सैयां मिले तो खूब नहीं तो यार धरे मोरी बैयां। बड मुंहजोरी यह यौवनमा पकडूं मैं... Hindi · गीत 1 1 776 Share Arun Prasad 7 Oct 2021 · 1 min read ग़ज़ल नियति नये वर्ष की फिर यहां नयी आशाओं का जनम होगा। फिर यहाँ साल भर ‚ सिर धुनेगा आदमी। पुराने आकाश का रंग चाहे फिर से नया होगा। दर्द और... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 235 Share Arun Prasad 7 Oct 2021 · 1 min read मजदूर दिवस कुछ रैलियाँ‚कुछ विचार गोष्ठियाँ‚सभाएँ की जाएँगी जगह – जगह। ‘दुनिया के मजदूर एक हो’ के नारे से आकाश गुँजाये जायेंगे‚ जगह – जगह। आक्रोश शब्दों में भरकर लोगों में बाँटे... Hindi · कविता 1 1 204 Share Arun Prasad 7 Oct 2021 · 3 min read लड़की होना जन्म के साथ ही सिलसिला दुव्र्यवहार का हो जाता है शुरू। पहले तो आत्मा कुंठित करने का होता है अभ्यास। फिर उघारा जाता है देह में मेरे लड़की का श्वास–प्रश्वास।... Hindi · कविता 1 1 450 Share Arun Prasad 7 Oct 2021 · 2 min read वृक्ष का खत‚ मनुष्य को बुनियादी तौर पर मानवीय सृष्टि व विकास का सर्जक व संवाहक – मैं वृक्ष‚ था और हूँ और रहूँगा। मैं संभावनाओं का समन्दर ॐ आज भी‚ कभी यदि ऐसा हो... Hindi · कविता 234 Share Arun Prasad 7 Oct 2021 · 1 min read प्रहार राजनीति पर यह वज्र है प्रहार कर प्रहार कर बहादुरो। विनाश‚ध्वंस‚नष्ट–भ्रष्ट किये चलो बहादुरो। बहुत हुआ विहान कैद में रखे–रखे हुए। धुंध‚कोहरे‚अन्हार से ढ़के–ढ़के हुए। जन्म को मरण मिले‚जनम हमें पर क्यों... Hindi · कविता 1 195 Share Arun Prasad 7 Oct 2021 · 1 min read आदमी_आसमान टुकड़ों में बँटा आसमान टुकड़ों में बँटा और आदमी‚ आसमान हो गया। कुछ सिक्के अँगूठे पर उछालकर बेचना इसे आसान हो गया। आदमियत ज्यों जानवरों ने चर लिए। क्योंकि 'ऋणात्मक पुरूष' आदमी में... Hindi · कविता 167 Share Arun Prasad 7 Oct 2021 · 1 min read तुम ओस से धुली हुई‚फूल सी खिली हुुई कनक सा रँग सुन्दरि। ओठ आग सा दहक‚आँख गीत सा महक तन बदन पुलक रहा। छलक रही सुगँध उस बतास में छू चला... Hindi · कविता 228 Share Arun Prasad 6 Oct 2021 · 1 min read आग हाथ सेंक दे जो सुलगा दे सिगरेट। आग वह नहीं जो उगलता है जेठ। जो तपिश बुझा दे जलते तमाम मन का— आग वह है जो सुलगा दे स्याही मेरे... Hindi · कविता 1 476 Share Arun Prasad 6 Oct 2021 · 2 min read तस्वीर – 3 सुन्दर‚मनहर‚सुखकर‚प्यारा। जब प्रभात ने पंख पसारा। इस बतास में मन्द गँध का। द्वार खुला जब पड़े बन्ध का। हरी दूब पर कोमल शबनम। लगा चमकने जब है चमचम। उषाकाल के... Hindi · कविता 1 282 Share Arun Prasad 6 Oct 2021 · 1 min read जीने के पूर्व मैंने पुस्तक पढ़ा‚ पुस्तक पढ़कर जिन्दगी जीना चाहा। कोई स्द्धिान्त‚कोई आदर्श अपनाना चाहा। जैसा लिखा वैसा जीना चाहा। सारा कुछ साबित हुआ सिर्फ शब्द या अक्षर। सारे अर्थ बदले हुए।... Hindi · कविता 1 2 196 Share Arun Prasad 6 Oct 2021 · 1 min read तुम्हारे लिए रात पीयूष वर्षा हुई देर तक। चाँद पूनम का ठहरा रहा देर तक। तुम्हारे लिए बस तुम्हारे लिए। कन्दरा का अँधेरा क्यों रास आ गया? और अँधा सबेरा क्यों रास... Hindi · कविता 1 2 176 Share Arun Prasad 6 Oct 2021 · 1 min read आग्रह बरगद से उष्ण आदित्य के तीक्ष्ण ताप में बिलबिलाते हुए समुद्र से मत कहो कि बड़ा शीतल है तुम्हारा छाँव। कर्मयोगी का योग न करो भंग। शुष्क पवन के तेज प्यास में... Hindi · कविता 1 2 187 Share Arun Prasad 6 Oct 2021 · 1 min read शेर शराब की करामात जितनी लगाई आग लगाई शराब ने। वर्ना तो‚ हाँ ही कहा था शबाब ने। 'किताब' युद्ध से गहरी यहाँ थी शान्ति हर वक्त ही। बस घृणा की... Hindi · शेर 1 215 Share Arun Prasad 6 Oct 2021 · 1 min read दुश्मन दुश्मन मित्र से बड़ा कौन होगा? मेरे राह में बनके रोड़ा सिवा इसके खड़ा कौन होगा? मेरे मिशन से मुझे स्खलित करने हेतु अपने आप से लड़ा कौन होगा? गुलेल... Hindi · कविता 1 205 Share Arun Prasad 6 Oct 2021 · 1 min read गुस्सा पूछा तो निःनिमेष रहे देखते कई एक क्षण गुर्राकर बोले मेरा सिर खा। Hindi · कविता 144 Share Arun Prasad 6 Oct 2021 · 1 min read खण्डित आस्था आस्था कैसे टूटती है‚ मैं बताऊँ – कौवे ने कहा। काला हूँ‚गोरा चाहते हैं रंग र्ककश है आवाज‚मीठा चाहते हैं स्वर। पाहुन के आगमन का पूर्वाभास चाहते हैं सब किन्तु‚... Hindi · कविता 1 337 Share Arun Prasad 6 Oct 2021 · 1 min read छोटी कवितायें शरम बेशरम हम हो गये तो शर्म में डूबी हो तुम। शर्म तब आयी मुझे जब बेशरम बन खुल पड़ी। सौन्दर्य को डर किसी लावण्यमय्ी के कपोलों को छूकर आती... Hindi · कविता 1 277 Share Arun Prasad 6 Oct 2021 · 1 min read चाँद के ओठ पे मुहब्बत का इतिहास चाँद के ओठ पे मुहब्बत का इतिहास हर हुस्न के आतिश को लगा दिया आतिश। आज चाँद चूमें चलो चाँदनी के पास चलें। इस चाँद के माथे पे लिखें सारे... Hindi · गीत 1 224 Share Arun Prasad 6 Oct 2021 · 1 min read जल विलुप्त ‘पानी’ जलमग्न। चेहरे पर रंग पोत गया था काला कलूटा। Hindi · कविता 231 Share Arun Prasad 5 Oct 2021 · 1 min read चिन्ता रखना सहेज कर छोटी सी गुड़िया के सपनों का घर। बाबा ने विनती की बेटी को ससुराल भेजकर। डर था दहेज का। ---------------------------- Hindi · कविता 469 Share Arun Prasad 5 Oct 2021 · 1 min read जन्म कुंडली सचमुच क्या जीवन का वर्ष वर्ष का वक्त वक्त का अंजाम अंजाम की कहानी कहानी का सच सच का सौन्दर्य सौन्दर्य का झूठ झूठ का फैलाव फैलाव की कुंडली कुंडली... Hindi · कविता 275 Share Arun Prasad 5 Oct 2021 · 1 min read पूजा पूजा क्या है? सच पूजा का पता नहीं चलता। करते रहो उम्र भर बढत.ा कुछ भी नहीं उम्र के सिवा। पर‚उम्र का बढ़ना तो घटना है। घट जाता जरूर है... Hindi · कविता 187 Share Previous Page 8 Next