Mamta Singh Devaa Language: Hindi 444 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 8 Next Mamta Singh Devaa 30 Jun 2020 · 1 min read विश्व पृथ्वी दिवस " आज की धरा " आज धरा शांत है ह्रदय उद्वेलित अशांत है , इतनी ज्यादा खामोशी ज़रा नही सरगोशी , ये शांत निशब्द भोर गुंजायमान नही अब शोर ,... Hindi · कविता 2 2 291 Share Mamta Singh Devaa 30 Jun 2020 · 2 min read एक दिन का महिला दिवस रोज़ मनने वाला महिला दिवस एक दिन ख़ास में क्या ख़ास कर जाता है अंतर समझिये...... रोज़ पाने वाला प्यार - सम्मान एक दिन में समेट कर उपहार में दिया... Hindi · कविता 2 5 408 Share Mamta Singh Devaa 30 Jun 2020 · 1 min read इंतज़ार होली का मन मेरा भी करता है की मैं भी पहले की तरह होली खेलूँ रंगों से तर - ब - तर हो अपने सारे दुख भूलूँ , होली वैसी जैसी माँ... Hindi · कविता 1 2 464 Share Mamta Singh Devaa 30 Jun 2020 · 1 min read " वो तो सूरज है " भूलो मत की वो तो सूरज है तुम कितना भी ढक लो लाख कोशिशें कर लो उसकी चमक फीकी करने की उसके तेज को रोकने की सारी कोशिशें नाक़ाम हो... Hindi · कविता 2 2 388 Share Mamta Singh Devaa 30 Jun 2020 · 1 min read मेरी बेटी का सोलहवाँ बसंत अभी देखे हैं तुमने सोलह बसंत आगे आँसमा है अनंत ना हिचक पंख पूरे फैला तेरी उड़ान का ना हो कोई अंत , सारा जहाँ है तुम्हारा कदम बढ़ा ठीक... Hindi · कविता 1 2 195 Share Mamta Singh Devaa 30 Jun 2020 · 1 min read क्या करूँ मैं ? दूसरों ने कहा खूबसूरत हूँ अपनों ने कहा बदसूरत हूँ किसकी सूनु मैं ? दूसरों ने आत्मसम्मान बढ़ाया अपनों ने आत्मविश्वास गिराया क्या करूँ मैं ? दुसरे सराहते रहे अपने... Hindi · कविता 1 4 238 Share Mamta Singh Devaa 30 Jun 2020 · 1 min read अविस्मरणीय स्वाद संस्मरण सन् 1976 -77 की बात थी इलाहाबाद के पास एक जगह है घूरपूर वहाँ ग्लास फैक्ट्री में पिता कार्यरत थे...उस दिन सभी बड़े उत्साहित थे पाँच फैमिली के साथ... Hindi · कहानी 1 2 369 Share Mamta Singh Devaa 29 Jun 2020 · 1 min read अवसाद एक पीड़ा सुना है.... अवसाद एक रोग है कभी खुद का कभी दूसरों का भोग है , मुझे लगता है.... ये रोग नही पीड़ा है एक अनजाना सा अजीब सा कीड़ा है... Hindi · कविता 1 4 318 Share Mamta Singh Devaa 29 Jun 2020 · 1 min read " बेर* " त्रेता युग में शबरी ने चुन - चुन कर एक - एक " बेर* " चख कर प्रभु के चरणों में रख कर प्यार से सराबोर हो निश्छल हो कर... Hindi · कविता 1 202 Share Mamta Singh Devaa 29 Jun 2020 · 1 min read " खादी वस्त्र नही विचार है " बचपन में जब भी खादी आश्रम जाती वहाँ लिखा पढ़ती " खादी वस्त्र नही विचार है " ये बात उस उम्र में सर के उपर से निकल जाती ! खादी... Hindi · लघु कथा 1 4 257 Share Mamta Singh Devaa 29 Jun 2020 · 1 min read " सरयू नदी का अपवित्र व पवित्रीकरण " हम अपने आप को बीसवी सदी का कहते हैं ठीक है उसको मानते भी हैं लेकिन इसका मतलब ये नही की हमने किसी के भी अपवित्र व पवित्रीकरण की शक्ति... Hindi · लेख 4 495 Share Mamta Singh Devaa 29 Jun 2020 · 1 min read अंत से प्रारंभ की ओर " अटल जी " को सशरीर आखिरी प्रणाम ये पंचतत्व में मिश्रित पंचामृत है सबको चखना है ये जो अमृत है , इस शाश्वत को तुम अस्वीकार नही सकते इस सत्य से तुम भाग नही सकते , सबको... Hindi · कविता 1 2 182 Share Mamta Singh Devaa 29 Jun 2020 · 1 min read मेरी बेटी “ बेटी “शब्द सुनते ही कानों में मधुर घंटियाँ बजती , सारे जहाँ की खुशियाँ नस – नस में उतरती , मेरी बेटी जब मेरे आंसूओं को अपने नन्हे –... Hindi · कविता 2 379 Share Mamta Singh Devaa 29 Jun 2020 · 2 min read मोक्ष....मेरी नज़र में मोक्ष प्राप्ति के लिए किसी ख़ास शहर या मुक्ति भवन की दरकार क्यों ? मृत्यु के बाद की दुनिया किसने देखी है ? क्या सबूत है कि मंदिर में ज्यादा... Hindi · लेख 4 455 Share Mamta Singh Devaa 29 Jun 2020 · 3 min read अरेऊआ - परेऊआ लघु लोककथा एक राजा था अपनी रानी और प्रजा के साथ खुशहाल जीवन जी रहा था राज्य में एक नदी थी सदियों से नदी के उस पार जाने की इजाज़त... Hindi · लघु कथा 1 2 448 Share Mamta Singh Devaa 29 Jun 2020 · 2 min read नारीपुर के बाबू जी सुनयना जब भी छुट्टियों में गाँव जाती तो देखती की बड़की अम्माँ और चाची लोगों के बीच नारीपुर के बाबू जी सर पर साड़ी के पल्ले की तरह गमछा लपेटे... Hindi · लघु कथा 2 264 Share Mamta Singh Devaa 29 Jun 2020 · 2 min read " माँ की सीख " सन् 1970 में हमें कलकत्ता छोड़ बनारस आना पड़ा...कलकत्ता निवास के दौरान ही पिता जी ने बनारस में ज़मीन खरीद ली थी | पिता जी कलकत्ते ही रूक गए...जहाँ ज़मीन... Hindi · लघु कथा 1 260 Share Mamta Singh Devaa 29 Jun 2020 · 2 min read मेरे ठाकुर जी सरला आंटी माँ से मिलने आईं थी दोनों एक दूसरे का सुख - दुख कह - सुन रहीं थीं मैं नाश्ता टेबल पर रख उन दोनों लोगों को बुलाने गई...... Hindi · लघु कथा 567 Share Mamta Singh Devaa 29 Jun 2020 · 3 min read जीन्न ने अपने होने का एहसास कराया संस्मरण शादी करके मैं ससुराल आयी कैंटोन्मेंट का इलाका अंग्रेजो के वक्त का बंगला डबल सीलींग की छत जिसके रौशनदान छत पर खुलते थे...डर लगता था कोई ऊपर से कमरे... Hindi · कहानी 1 4 268 Share Mamta Singh Devaa 29 Jun 2020 · 4 min read व्यथा और हौसले की कहानी एक महिला कुम्हार की आपबीती “ महिला कुम्हार “ अपने आप में एक चुनौती है , आज महिलायें करीब करीब सभी क्षेत्र में अपना झंडा गाड़ रही हैं एक तरफ सर गर्व से ऊँचा... Hindi · कहानी 1 6 468 Share Mamta Singh Devaa 28 Jun 2020 · 1 min read कृष्ण तुम अंनत हो कृष्ण तुम खरे हो सबके हृदय में अंदर तक भरे हो , सारे अवतारों में अनूठे अवतार हो सारी लीलाओं का तुम सार हो , सारी विधियों का विधान हो... Hindi · कविता 2 362 Share Mamta Singh Devaa 28 Jun 2020 · 1 min read मेरी नज़र में कृष्ण हर तरफ से टेढ़े कृष्ण सर टेढ़ा मुकुट टेढ़ा बाँसुरी टेढ़ी कमर टेढ़ी पाँव टेढ़ा माखन के लिए गगरी टेढ़ी पनघट की डगरी टेढ़ी राधा के लिए नजरें टेढ़ी पांडवों... Hindi · कविता 2 389 Share Mamta Singh Devaa 28 Jun 2020 · 1 min read कलियुग में शान्ति स्थापना कितने बुद्ध जायेंगे परिवारों को छोड़ कर ? कितने राम लेंगे बनवास रावणों के संहार को ? कितनी महाभारत लड़ी जायेगी दुर्योधन के अहंकार पे ? कितने कृष्ण जनम लेगें... Hindi · कविता 1 2 240 Share Mamta Singh Devaa 28 Jun 2020 · 1 min read "प्रदूषण सोच का" नही...नही...नही... तुम खिड़कियाँ मत खोलना बन्द ही रखना नई खिड़कियाँ खोलना इतना आसान नही है पुरखो ने बड़े जतन से बंद की हैं तुम्हारी हिफाज़त के लिए अगर तुमने बिना... Hindi · कविता 1 2 403 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 1 min read जीवन के अनुभव 1 - एकदम नही होने से थोड़ा होना ज्यादा अच्छा है पूरा खोने से तो थोड़ा मिलना ज्यादा सच्चा है , 2 - एक जज़्बात काफी है एहसास दिलाने के... Hindi · कविता 259 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 1 min read जज़्बा विरोधियों का झुंड लगातार दबोचने की ताक में आस लगाये बैठा , फिर भी मैं आराम से हँसती हुई गुज़र जाती हूँ , तब सब चौकते हैं और एक दूसरे... Hindi · कविता 1 2 238 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 1 min read भारतीय सेना को सलाम ग़ुरूर हो तुम.... हमारी निंदों के बेखौफ होने का, हमारे मान को सम्मान के साथ बढ़ाने का, हमारे सरों को शान से उठाने का, हमारी खुशियों को चार चाँद लगाने... Hindi · कविता 2 4 619 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 2 min read मजबूरी बुढ़ी दादी ( हम सब उसको इसी नाम से बुलाते थे ) छाड़ू - पोछा - बर्तन करती थी उस दिन भी रोज की तरह अपना काम कर रही थी... Hindi · लघु कथा 1 2 484 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 2 min read " कमान " महिमा की शादी हुये एक महीना ही हुआ था सयुंक्त परिवार लेकिन " कमान " एक के हाथ में और वो थीं दादी सास...सही - गलत कुछ भी उनकी निगाहों... Hindi · लघु कथा 1 2 497 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 2 min read पैसों का पेड़ संस्मरण बातसन् 1969 की है हम कलकत्ते के बेलूर मठ में रहा करते थे , तीन साल की छोटी उम्र बुखार से तपता बदन और ग़फलत में मैं एक ही... Hindi · कहानी 1 6 259 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 3 min read काकी गाँव में महामारी फैली थी बाबू ( मेरे पिता ) की माँ उनके तीन छोटे छोटे ( तीन - पाँच और सात साल ) भाईयों को छोड़ भगवान को प्यारी... Hindi · कहानी 1 2 748 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 3 min read वो सात - साथ थीं और हैं संस्मरण विश्वविद्यालय के दृश्य कला संकाय में सात सहेलियों का ग्रुप अपने आप में मस्त रहता था विभाग अलग - अलग काम अलग - अलग लेकिन दिल एक सोच एक... Hindi · कहानी 1 5 347 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 2 min read " देश की तरफ से रानी लक्ष्मी बाई को मेरी कलम से गर्वान्वित श्रधांजलि " आज के ही दिन ( 18 जून 1858 ) शहीद विरांगना रानी लक्ष्मी बाई वीरगति को प्राप्त हुई थीं ऐसे महान व्यक्तित्व को मेरा कोटि कोटि नमन ?? तूने जो... Hindi · कविता 2 500 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 1 min read " बाबू ( पिता ) " " पिता "...... जिसके दम पर हमने जी भर के मनमानी की बेहिसाब शैतानी की जिसने हमें सर पर चढ़ाया और हमने सर पर चढ़ कर ये दिखाया कि देखो... Hindi · कविता 5 4 556 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 1 min read " श्रधेय अटल जी " मेरी लेखनी से " श्रधेय अटल जी " के लिए...??? " सूरज को दीया दिखा सकूँ ऐसे नही हम हैं , आपको अपनी लेखनी में ढालूँ मेरी लेखनी में कहाँ... Hindi · कविता 3 4 484 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 1 min read इंतज़ार... वृद्धा आश्रम की माँओं का हमने बड़े जतन से प्रेम और ममत्व से तुम्हारी नज़रें उतार कर अपनी पलकों पर बिठा कर रखा तुम्हें संभाल कर , तुम्हारे गिरने से पहले खुद ही चीख उठते... Hindi · कविता 4 4 433 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 1 min read युग का अंतर कृष्ण अगर कलियुग के मित्र होते तो कमी सुदामा में भी निकालते , कहते सुदामा का पुत्र उससे बेहतर है सुदामा उससे कमतर है , पुत्र तो जो है सब... Hindi · कविता 4 2 261 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 1 min read " पति सीता के " हे श्री राम ! आप जन - जन के लिए ईश्वर का अवतार बने परन्तु सीता के लिए ईश्वर से सिर्फ पति बने , कहते हैं पति परमेश्वर होता है... Hindi · कविता 3 4 610 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 2 min read दिल्ली दंगा आओ सब मिल कर एक दूसरे को चिरते हैं देखते हैं कौन कितना दरिंदा हो सकता है कौन किसको कितना नोच सकता है , जो ज़्यादा वहशी होगा वो विजयी... Hindi · कविता 1 2 471 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 1 min read थोड़ा अंदर का सच गृहिणियों का ये गृहिणियाँ थोड़ी नही पूरी पागल सी होती हैं ये रोज़ अपनों को रच - रच कर प्यार से खिलाती हैं घर का सारा हिसाब- किताब संभालती हैं पर सामने... Hindi · कविता 4 2 655 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 2 min read पलायन करते मजदूर का दर्द और जज़्बा...... " हमारा बड़प्पन " हमने.... बहुत मेहनत कर - कर के अपनी कमर तोड़ कर कुछ कपड़े थोड़े से बर्तन ज़रा सी रसद रखी थी जोड़ कर , कुछ ही पल में.... सब छोड़... Hindi · कविता 1 2 210 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 1 min read न्यूज चैनल कहीं अखाड़ा खुदता है तो कहीं दंगल लड़ी जाती है रात नौ बजे सारे प्राईम टाईम के कुरूक्षेत्र पर यही ललकार लगाई जाती है , कि मुद्दा गरम है और... Hindi · कविता 2 4 201 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 1 min read लॉकडाउन कोरोना के विरूद्ध लड़ाई है इलाज दूरी और सफ़ाई है , झूठा अहम मत रखो थोड़ा काम करने का दम रखो , बस कामवाली आ जाये भले कोरोना फैला जाये... Hindi · कविता 1 2 417 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 1 min read अधूरेपन की संतुष्टि ज़रूरी है प्रेम में वियोग के क्षण ? क्या इसके बिना प्रेम पूर्ण नही ? ऐसा है तो नही चाहिए सम्पूर्णता इस पूर्णता से रूष्ट हैं हम संयोग भरे अधूरेपन... Hindi · कविता 1 2 320 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 1 min read " दोस्त " तुम्हारी दोस्ती मुझमे दम भारती उम्मीदों की कमी कभी नहीं करती विषम परिस्थितियों में जब युद्ध के लिए टूटे रथ को हाँक लेती हूँ इस विश्वास से कि मेरे रथ... Hindi · कविता 1 4 237 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 1 min read " भरोसा " दोनों में इतना विश्वास तो विश्वास ज़रूरी कि बिना बोले बिना देखे सब दे सुनाई और दिखाई , जिससे अंधेरे में चीखे़ बिना और बिना बजाए ताली डर से बढ़ा... Hindi · कविता 1 2 227 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 1 min read “ मै " अपनों के लिये मरती – करती – सहती लेकिन कुछ नहीं “ मैं “ कहीं नहीं “ मैं “ मरती हुई अच्छी “ मैं “ करती हुई अच्छी “ मैं... Hindi · कविता 2 6 414 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 1 min read " राजनीतिक परिवर्तन " लोग घड़ी - दर - घड़ी शब्दों का घृणित वमन करते , इसी वातावरण में पलते जी रहे हैं दिन - प्रतिदिन काटते , समयानुसार अपना आत्म - सम्मान ताक... Hindi · कविता 1 4 363 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 1 min read ज़िन्दगी का सार सिर्फ चलती हुई साँस में छिपा है हर अर्थ अन्यथा सब बे - अर्थ । स्वरचित एवं मौलिक ( ममता सिंह देवा , 14/07/92 ) Hindi · कविता 1 2 247 Share Mamta Singh Devaa 27 Jun 2020 · 2 min read " वाह बनारस...वाह वाह बनारस " साधुओं के " ऊँ " से रमता है बनारस दशांगों के धुएं से महकता है बनारस मंदिरों की घंटियों से गूँजता है बनारस हर हर महादेव से उठता है बनारस... Hindi · कविता 2 4 550 Share Previous Page 8 Next