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मोक्ष एक प्रकार से इस जन्म में किए पापों के प्रायश्चित का भाव है। जब मनुष्य इस जन्म के पापों से अपने आप को घिरा व दबा पाता है तो उसमें स्वयं से वितृष्णा का भाव उत्पन्न होता है। अतः उससे मुक्त होने के लिए वह मोक्ष की कल्पना करने लगता है। उसे लगता है कि ध्यान ,दान पुण्य , यज्ञ एवं अर्चना से उसे मृत्यु पश्चात् मोक्ष की प्राप्ति होगी और उसे मृत्यु पश्चात वैतरणी पार करने में सहायक सिद्ध होगी और उसके स्वर्ग प्रस्थान का मार्ग प्रशस्त होगा।
यह सब कोरी परिकल्पना मात्र है इसका कोई प्रमाण नहीं है। यदि इस जन्म में मनुष्य अच्छे कर्म करें तो इस प्रकार के मोक्ष प्राप्ति की इच्छा कैसे होगी। पापों का प्रायश्चित करना है तो उसे इसी जन्म में करना होगा इस जन्म के पापों का बोझ अगले जन्म ले जाने का कोई अर्थ नहीं है।

आपकी संदेश पूर्ण प्रस्तुति का स्वागत है।

धन्यवाद !

29 Jun 2020 09:44 PM

बहुत आभार ?

29 Jun 2020 06:35 PM

यथार्थ संदेश पूर्ण प्रस्तुति ।
धन्यवाद!

29 Jun 2020 09:44 PM

बहुत आभार ?

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