कवि संजय कौशाम्बी 329 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 5 Next कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read लौट चल जिंदगी आये हैं रूह अपनी जहाँ छोड़कर लौट चल जिंदगी फिर उसी मोड़ पर गोद में लेटकर लोरियाँ फिर सुनें ख्वाब परियों से मिलने का फिर से बुनें फिर से आँचल... Hindi · गीत 225 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read बने मुश्किल से जो रिश्ते बने मुश्किल से जो रिश्ते निभाना छोड़ मत देना नहीं आयेंगे हम लेकिन बुलाना छोड़ मत देना करेंगी भीड़ में तनहा बड़ी बदमाश हैं यादें तसव्वुर मे हमारे खिलखिलाना छोड़... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 183 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read बड़ा मगरूर बैठा है बड़ा मगरूर बैठा है कहीं आता न जाता है किसी के इश्क में शायद कोई सपना सजाता है कहूँ क्या हाल दीवाने का जाकर देखिए साहिब बनाकर झोपड़ी लोहे का... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 195 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read यूँ सच बोलेगा तो यूँ सच बोलेगा तो सारा जमाना रूठ जायेगा ये आईना किसी दिन देख लेना टूट जायेगा नुमाया हो गयी गर ख़्वाब की दौलत निगाहों में लुटेरा कोई आकर के खजाना... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 273 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read सुभाष कौन बन पाता है बलिदान तुम्हारा कभी जमाना भूल न पायेगा इतिहास तुम्हारी कुर्बानी पर शीश झुकायेगा निकल म्यान से चमक गए तुम दूधारी तलवार बने मुल्क की कश्ती पार लगाने को तुम खुद... Hindi · कविता 341 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 2 min read सजा मघइया मेला रे आया माघ-मघइया जुट गई भीड़ है रेलमरेला रे संगम तट पर तन गए तम्बू सजा मघइया मेला रे साधू-संतन के फौजन मे भांति-भांति के लोग जुटे कौनों के है जटा... Hindi · गीत 438 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read तुम इतने उदास क्यों हो बताओ न! तुम इतने उदास क्यों हो तुम्हारा कुछ खो गया क्या या कोई अपना छोड़कर चला गया या फिर किसी ने चुरा ली तुम्हारी इच्छाओं के महासागर से दो... Hindi · कविता 518 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read हो जिसके हाथ लाठी हमें सब कुछ पता है कैसे क्या सरकार होता है है चोला सेवियों का पर फ़क़त व्यापार होता है लड़ाई कुर्सियों की है महज़ इस मुल्क में क्योंकि हो जिसके... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 383 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read उड़ गए बच्चे परिंदों के... कोर्ट में भी जुर्म का ये सिलसिला होता रहा झूठे सबूतों की बिना पर फैसला होता रहा चंद सिक्के फेंककर वो चैन से सोए मगर जिंदगी में मुफ़लिसों के जलजला... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 175 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read मन्दिर औ मस्जिद दिखा देते हैं वो काम सब सम्भव बना देते हैं वो रेत में गुलशन खिला देते हैं वो एक मुद्दे को दबाने के लिए इक नया मुद्दा बना देते हैं वो लूटते सब मुल्क़... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 174 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read सिकंदर अब भी रोता है हँसी है होठ पर लेकिन वो अंदर अब भी रोता है पलट इतिहास के पन्ने सिकंदर अब भी रोता है बहुत की कोशिशें लेकिन न खारापन गया उसका किसी दरिया... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 234 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read सेंटा क्लाॅज सत्रहवीं शताब्दी के आरम्भ में एक सेंटा क्लाॅज भारत आया था उपहार से भरी गठरी लेकर और जब गया ...तो दे गया दो सौ वर्षो की गुलामी का जख़्म भूख,गरीबी... Hindi · कविता 164 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read खुशी मिलनी चाहिए शर्त ये है कि खुशी मिलनी चाहिए फिर ईद हो,दीवाली हो,क्रिसमस हो या कुछ और हम तो बिन बुलाए भी दूसरों की बारात में नाच लेते हैं हिन्दुस्तान इसी को... Hindi · कविता 338 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read मिरे लहजे में बतियाया करोगे युँ हर पल खुद को तड़पाया करोगे मुझे ख्यालों में जब लाया करोगे यकीनन आँख में आयेंगे आँसू मिरे गीतों को जब गाया करोगे शरारत याद जब आयेगी मेरी तन्हा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 224 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read तुमने पढ़ना छोड़ दिया नित नवीन क्यों कीर्तिमान अब तुमने गढ़ना छोड़ दिया जड़वत् क्यों हो गए मित्र क्यों आगे बढ़ना छोड़ दिया अहंकार से ग्रसित तुम्हारा जब देखा धन-वैभव तो पीछे रहना और... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 194 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read ये तितलियाँ नहीं होतीं भरी फूलों से अगर डालियाँ नहीं होतीं तुम्हारे बाग में ये तितलियाँ नहीं होतीं हवा-पानी में अगर यारियाँ नहीं होतीं जिंदा पानी में कभी मछलियाँ नहीं होतीं कटे हैं जब... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 196 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read चमचागिरी होती रही थी पुलिस थाने में पर....गुण्डागिरी होती रही मात्र आश्वासन मिला.....नेतागिरी होती रही दारुलशफा के सामने ही....वो तड़पकर मर गयी छुप के घर के कोने में ही...वैद्यगी होती रही जब गया... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 224 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read कैसे भला मिलायेंगे हमसे निगाह वो बैठे हुए हैं करके हजारों गुनाह वो कैसे भला मिलायेंगे हमसे निगाह वो चोरी,डकैती,कत्ल के मुजरिम हैं जो हुजूर देते रहे सुधरने की हमको सलाह वो वक्त़ की आँधी ने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 157 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read अब मन की पीर लिखेंगे हम अब न धर धीर लिखेंगे हम अपनी तकदीर लिखेंगे हम श्रृंगार की कश्ती डूब गयी अब मन की पीर लिखेंगे हम किस्मत जिनकी खोटी है न रोटी है न लँगोटी... Hindi · गीत 1 4 227 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read किताबों में नहीं मिलता हकीकत में नहीं देखा वो ख्वाबों में नहीं मिलता तेरा किरदार अद्भुत है किताबों में नहीं मिलता मुखौटे चेहरे पर लेकर यहाँ मिलता है हर कोई तू पहला शख्स है... Hindi · कविता 1 4 240 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read धीरे-धीरे उछलो यार अंतराणविक बल कम होगा बनकर बर्फ न पिघलो यार भाप के जैसे उड़ जाओगे इतना भी मत उबलो यार झूठ पकड़ में आ जायेगा जब भी तुम सच बोलोगे फुँफकारो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 2 230 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read जग महकाएँ अंधकार हो,जिस पथ पर भी,चलो मिटाएँ खण्ड खण्ड हो,तम का दर्प अब,दीप जलाएँ अनपढ़ है,जब तक कोई भी,न बैठो तुम आओ साथ में,मिलकर शिक्षा की,ज्योति जगाएँ दूषित जल,दूषित भोजन है,दूषित... Hindi · हाइकु 1 2 246 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read फिर मंज़िल नहीं मिलती पलक ख़्वाबों को निद्रा से कभी बोझिल नहीं मिलती कदम रक्खे कहाँ कोई गली काब़िल नहीं मिलती सभी ग़म भूलकर हँसना यही है ज़िन्दगी क्योंकी हो जिनकी आँख में आँसू... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 2 309 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read दुःख का आलिंगन कर लेना रात अँधेरी घिरी रहे सब अस्त व्यस्त हो जीवन में सर पर हो जाए वज्रपात मंजिल खो जाए अँखियन में उस वक्त़ सँभालो खुद को तुम तन-मन में सम्बल भर... Hindi · गीत 1 2 351 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read मैं तुम्हे क्या दूँ मैं तुम्हे क्या दूँ मैं तूफ़ान के आगे नहीं दौड़ सकता बहारों का रुख नहीं मोड़ सकता झूठी तसल्ली नहीं दूंगा मैं चाँद तारे नहीं तोड़ सकता फिर तुम्ही बताओ... Hindi · कविता 1 2 199 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read न तो कोई साथी अपना न कोई हमदर्द चली सफारी धूल उड़ाती दे आँखों में गर्द एसी बोगी क्या जाने जनरल डिब्बे का दर्द लाज लूटकर किसी बहन की चले गए कामांध लगा मुखौटे खड़े थे हिंजड़े कहते... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 170 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 2 min read पहली बार गिरा था वो भी आसमान में उड़ने वाला एक परिंदा बोला था पहली बार गिरा था वो भी जब उसने पर खोला था उसके पूरे बदन ने हवा में खाया एक हिचकोला था पहली... Hindi · गीत 1 2 249 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read वो यहीं कहीं पर है दिसम्बर की सर्द रात में दिखी एक लड़की ठिठुरती हुई खुद में सिमटने की कोशिश और उसका जर्द चेहरा ढँक रहा था उसकी मासूमियत को डर के बावजूद खुद को... Hindi · कविता 1 2 196 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read मेरा इंतज़ार करना मेरे जाने औ' तेरे आने का वो अंतिम क्षण अत्यंत दुखदाई होता है जिसमें मैं पूरी कोशिश करता हूँ तुझे छूने की किन्तु हर बार...हाँ हर बार तू फिसल जाती... Hindi · कविता 1 170 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read सोच रहा हूँ जीवन पर इक गीत लिखूँ मैं ईर्ष्या,द्वेष,कलह में लिपटी सच्ची-झूठी प्रीत लिखूँ मैं सोच रहा हूँजीवन पर इक गीत लिखूँ मैं। माँ जीवन का मूर्त रूप अंतर में ढाला करती है कितनो के ही स्वप्न निरंकुश... Hindi · गीत 1 169 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 2 min read नववर्ष तुम्हे मंगलमय हो भाव दया का हो मन में अंतर में अमिट अभय हो नववर्ष तुम्हे मंगलमय हो,नववर्ष तुम्हे मंगलमय हो जीवन की कंटीली राहों में लाखों बाधाएं आएँगी लेंगीं तुम्हारी कठिन परीक्षा... Hindi · गीत 1 418 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read बेटे को अफसर बना दिया दरिया को कहो तुमने ये क्यों कर बना दिया खुद में जो मिलाया तो समंदर बना दिया बो-बो के फसल यादों की इस दिल के खेत मे अच्छी भली जमीन... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 323 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read हम सिरफ़िरे कुछ नया माँगते हैं सहरा से आबोहवा माँगते हैं हम काफ़िरों से दुआ माँगते हैं तुमने बहारों का सौदा किया पर हम तो वो बिछड़ी खिजाँ माँगते हैं सब कुछ पता है मगर देखिए... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 282 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read चला था जब मैं चला था जब मैं साथ मेरी परछाई भी थी भीड़ के दामन में दुबकी तनहाई भी थी किसी के घर में मातम था सन्नाटा था वहीँ किसी के घर गूंजी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 416 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read याद भी अब तुम्हारी रुलाती नहीं चाँदनी आजकल छत पे आती नहीं रात भी अब कभी मुस्कुराती नहीं झूठ सुनना अगर चाहो तो लो सुनो याद भी अब तुम्हारी रुलाती नहीं गर मोहब्बत में न हारते... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 182 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read बाद में शख़्स वो मुस्कुराया बहुत ख्वाब में जा के उसको सताया बहुत इस तरह वक़्त हमने गंवाया बहुत ज़िंदगी आजमा ले तू जी भर मुझे मैंने भी तो तुझे आजमाया बहुत था पराया जो अपना... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 167 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read शर्त मगर इतनी है वो भी हिम्मत वाला निकल आता है कितना भी गहरा दलदल हो शेर तो शेर ही होता है पिंजरा हो या जंगल हो छीन तो लूँ दुनिया से उसे रखता हूँ वो... Hindi · कविता 1 311 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read याद आती हैं वो गुलशन.फूल,वो रंगीं फिजायें याद आती हैं मुझे सावन की वो काली घटायें याद आती हैं बड़ा प्यारा सा अपना गाँव था तालाब के पीछे मुझे मिटटी के घर की... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 157 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read दोस्ती श्मशान में चिता की तरह है दोस्ती एक रिश्ता है जिसे फ़रिश्ते नहीं बनाते ये खून से नहीं विचारों से बनता है इसकी प्रकृति खून से भी गाढ़ी होती है दोस्ती तोड़ देती है सामाजिक बंधनों... Hindi · कविता 1 229 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read जरा होश में आओ ऐ मेरे देश के लोगों क्यों आपस में लड़-मर रहे हो जरा होश में आओ ये क्या कर रहे हो क्यों करते हो भेदभाव क्यों करते हो जातिवाद क्या इसीलिए... Hindi · कविता 1 192 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read लेकर तिरंगा चल पड़ा गणतंत्र के आलोक में प्रतिदीप्त है हिमगिरि शिखर सुन्दर सुशोभित राष्ट्रध्वज लहरा रहा हर गाँव घर पंक्षियों ने तान छेड़ी भ्रमर राग सुनाए गुनगुन निःशब्द सावधान प्रकृति कल-कल में गूँजी... Hindi · कविता 1 168 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read आँसू देने वाला कोई पराया होगा फूलों से जब दामन को उलझाया होगा काँटों ने तब अपना रंग दिखाया होगा मंज़िल पर जाकर के ही जो ठहरे होंगे उनको चलना वक़्त ने ही सिखलाया होगा यादों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 212 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read आँधियों में लौ जलाने के लिए डर त्याग कर लड़ जाइए डर को मिटाने के लिए घर से निकल कर आइए घर को बचाने के लिए खामोश रहना हद से ज्यादा बुज़दिली है आजकल कर दो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 193 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read एलबम में तस्वीर पुरानी तेरी भी है बातें सारी याद ज़बानी तेरी भी है अफसाने में मेरे कहानी तेरी भी है खो जाता हूँ जाकर मैं उन गलियों में खोई-खोई जहाँ निशानी तेरी भी है ठहरा-ठहरा सा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 193 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read गद्दारों को फाँसी दो आतंक का जलवा देख रहा है जग कश्मीर की घाटी में न जाने बो रहा कौन बारूद मुल्क की माटी में वीर शहीदों ने जाँ अपनी जिस माटी में गँवाई... Hindi · कविता 1 245 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read महाकाल बन जाते हैं आज समर्पित कविता भारत माँ की आँख के तारों को जान निछावर करने वाले देश के पहरेदारों को पहन के वर्दी तान के सीना जब ये शेर निकलते हैं जंगल... Hindi · कविता 1 189 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 2 min read चली चुनावी बयार चली आरोपों के धूल उड़ाती चली चुनावी बयार चली तर्कहीन बातों में उलझी आपस में तकरार चली गठबंधन से आस लगाकर जाति प्रवक्ता प्रखर हुए चार साल से शांत विपक्षी अब... Hindi · कविता 1 212 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read पाकिस्तान नहीं होगा सीख ले पाकिस्तान जरा कुछ उल्टी चली हवाओं से अभी वक्त है तौबा कर ले आतंकी आकाओं से अभी सलामत आँख वो जिसने बुरी नजर से घूरा है हाफ़िज,मसूद के... Hindi · कविता 1 192 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read चुनाव आ गया उठने लगे सवाल लो चुनाव आ गया होने लगे बवाल लो चुनाव आ गया मंडी सजी है जीत हार तौल के लिए बैठे हुए दलाल लो चुनाव आ गया छूरी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 290 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read बीच सदन मा जूता चलिगा मार सही के...झूठा चलिगा भैंस खड़ी बा खूँटा चलिगा होइ गइ चोरी मंत्रालय मा चोरवा फाइल लूटा चलिगा पेंशनियाँ से दूर भएन जब सरकरियन मा नोटा चलिगा ठोंक पीट के... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 226 Share Previous Page 5 Next