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18 Mar 2020 · 1 min read

याद भी अब तुम्हारी रुलाती नहीं

चाँदनी आजकल छत पे आती नहीं
रात भी अब कभी मुस्कुराती नहीं

झूठ सुनना अगर चाहो तो लो सुनो
याद भी अब तुम्हारी रुलाती नहीं

गर मोहब्बत में न हारते हौसला
डोर चाहत की यूँ टूट जाती नहीं

जंग लड़ने का होगा हुनर आपमें
जिन्दगी वरना ऐसे सताती नहीं

राह हर पल बदलते जो ‘संजय’ यहाँ
मंजिलें उनके हिस्से में आती नहीं

1 Like · 175 Views
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