Vindhya Prakash Mishra 390 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 7 Next Vindhya Prakash Mishra 21 Sep 2017 · 1 min read सदा सुकृति ही जीवित रहती रहे सदा न नश्वर गात सदा सुकृति ही जीवित रहती रहे सदा न नश्वर गात । अभी दिखा है रंग सुनहरा अभी हुई है नूतन प्रात । जाने कब हो घटा का घेरा घेरा आ... Hindi · कविता 498 Share Vindhya Prakash Mishra 18 Sep 2017 · 1 min read शब्द वेद है शब्द कुरान् शब्द ताकत है शब्द दुआ है शब्द घातक है शब्द दवा है शब्द वेद है शब्द कुरान है शब्द बाइबिल शब्द पुरान है शब्द अल्लाह शब्द भगवान है शब्द उपदेश... Hindi · कविता 619 Share Vindhya Prakash Mishra 16 Sep 2017 · 1 min read जीवन में आया नवल बसंत जीवन मे आया नवल वसंत खुशियो की कोकिल कूंक रही हो रहा पतझड दुखो का अंत जीवन मे आया नवल वसंत गुंथी माला भ्रमर युग्म का कलियां स्मित हो हर्षायी... Hindi · कविता 530 Share Vindhya Prakash Mishra 13 Sep 2017 · 1 min read हिंदी की गौरव गाथा (हिंदी दिवस पर विशेष ) हिंदी है मेरी मातृ सदृश हिंदी की गौरव गाथा है । हिंदी में लिखना भाव प्रकट हिंदी ही हमारी भाषा है । हिंदी वैज्ञानिक लिपि वाली। नहि मूक स्वरों का... Hindi · कविता 1 1k Share Vindhya Prakash Mishra 12 Sep 2017 · 1 min read संयोग मे योग करो श्रम को संयोग मे योग करो श्रम से सारा दुख पल मे हरण होगा कोशिश बस कोशिश बार बार सफलता का इस तरह वरण होगा केवल खाकर सोने वाले जीवन है मानो... Hindi · कविता 291 Share Vindhya Prakash Mishra 12 Sep 2017 · 1 min read शिक्षा का गिरता स्तर शिक्षा के गिरते स्तर मे किसका दोष निकाल रहे। देखे अब शतप्रतिशत अंक लेकर जो बेकार रहे जबतक अंको के जोड मे प्रतिस्पर्धा होगी अंक बढाने को को लोगों मे... Hindi · कविता 1 1k Share Vindhya Prakash Mishra 10 Sep 2017 · 1 min read मेरे दृगो से दूर ही रहो अश्रु विन्दु की धारा मेरे दृगो से दूर रहो हे अश्रु विन्दु की धारा पता चल चुका बाधाओ को भी थककर हारा बढ रहे कदम नित पथ पर मिल रहा इच्छित सारा कभी मिलेगा... Hindi · कविता 1 260 Share Vindhya Prakash Mishra 9 Sep 2017 · 1 min read कुछ करने की सोच है रही सोचकुछ करने की है यही सोच कुछ करने की पर परबश होकर जीता हू है यही सोच कुछ करने की पर बरबश ही स्पृहा रही सपनो को जो... Hindi · कविता 397 Share Vindhya Prakash Mishra 9 Sep 2017 · 1 min read अपने को सक्षम मान चलो कद मत देखो पद मत देखो कौशल देखो सम्बल देखो यदि समझ रहे खुद को बढचढ हिम्मत देखो गौरव देखो मानवता सज्जनता देखो। अच्छा बेहतर खुद को समझो पर किसी... Hindi · कविता 568 Share Vindhya Prakash Mishra 8 Sep 2017 · 1 min read मेरी लेखनी कुछ तो बोल मेरी लेखनी कभी क़िसी दिन चुपके से सबसे बचकरके मेरे मन की गांठे खोल मन की बातें खुलकर बोल मानव होकर जन्म लिया है अपने मन का कर्म किया है... Hindi · कविता 510 Share Vindhya Prakash Mishra 8 Sep 2017 · 1 min read प्रात की बात निराली प्रात की बात निराली बहती है हवा मतवाली खिलती कलियां हर डाली निकल रहा अंशुमाली चहकी चिडियो का दल प्राची मे दिखी है लाली प्राणवायु बहती है कलियां चुनता है... Hindi · कविता 284 Share Vindhya Prakash Mishra 7 Sep 2017 · 1 min read कह दो रात चली अब जाए कह दो रात चली अब जाए! सूरज निकला नही अभी तक अरूण तथापि गगन में छाए आहट है ये परिवर्तन की चिड़िया जोर जोर से गाए कह दो रात चली... Hindi · कविता 338 Share Vindhya Prakash Mishra 6 Sep 2017 · 1 min read तलाश मानव की तलाश मे हर नगर ढूंढता है अमरता की प्यास मे गंगाजल ढूंढता हूं ज्ञान की भूख मे गुरु शरण ढूढता हूं सफलता की आस मे हर डगर ढूंढता... Hindi · कविता 420 Share Vindhya Prakash Mishra 3 Sep 2017 · 1 min read हम नेता ही लोकतंत्र के रखवाले है हम नेता ही लोकतंत्र के रखवाले है एक नही सौ सौ गुंडे पाले है बाहर से है श्वेतवसन है पर मेरे कारनामे काले है हम नेता ही लोकतंत्र के रखवाले... Hindi · कविता 521 Share Vindhya Prakash Mishra 3 Sep 2017 · 1 min read दीपावली घने अंधेरा को काटेगे अमा निशा मे प्रकाश बांटेगे दीपो ने यह ठाना है दीपावली मनाना है नही अंधेरा राज चलेगा तम का जोर अब नही चलेगा दीप पंक्ति जलाना... Hindi · कविता 709 Share Vindhya Prakash Mishra 3 Sep 2017 · 1 min read बेटियाँ बेटियां हर्ष का कारण है बेटियो से हर्षित आंगन है बेटियां जन्म जब लेती है हो जाता घर ये पावन है जब घर छोडकर विदा हुई आंखे मे आता सावन... Hindi · कविता 1 1 336 Share Vindhya Prakash Mishra 2 Sep 2017 · 1 min read शिक्षक दिवस पर अध्यापक अध्येता है बचपन संवार शिक्षा देता है सही राह सद्गगुरू बताता बच्चो का भविष्य बनाता शिक्षक सीख प्रदाता है सही राह दिखलाता है गुरु अंधकार निवारक ज्योतिर्मय जीवन का... Hindi · कविता 440 Share Vindhya Prakash Mishra 30 Aug 2017 · 1 min read मरकर भी सह रही गरीबी देख दुर्दशा दीन दुखी की जिसने जीवन साथी खोया शायद ही अन्तिम साथी था चार कांध भी न पाया शर्मसार मानवता हो गयी ईश्वर ने यह दुख ढाया साथी था... Hindi · कविता 1 1 482 Share Vindhya Prakash Mishra 29 Aug 2017 · 1 min read हमको तो सच ही कहना है स्वरचित (अनुभूति) हमको तो सच ही कहना है पराभव का भाव हृदय से कोसो दूर करना है हमको तो सच ही कहना है नही जानता चाटुकारी नही किया कभी बेगारी... Hindi · कविता 544 Share Vindhya Prakash Mishra 29 Aug 2017 · 1 min read चिंतन चिंतन पर पहरे अनेक है पर उडने के पर है मेरे कीमत कम है पर बहुमूल्य सोच का बनना सदा चितेरे बादल कल्पित भाव के आते शब्द योजना रहती घेरे... Hindi · कविता 355 Share Vindhya Prakash Mishra 27 Aug 2017 · 1 min read दृढ पन आज कही मन की कह दे सफल विफलता का विश्लेषण पर हम कुछ ऐसा कर दे पूर्ण मनोरथ का अन्वेषण कितने ठोकर मिली राह मे जीत हार का मिलता है... Hindi · कविता 513 Share Vindhya Prakash Mishra 26 Aug 2017 · 1 min read प्रश्नोत्तर बडे बडे प्रश्न है जवाब चाहते है अच्छा लगा मुझे भी कुछ आप चाहते है आशा है इस कसौटी पर मै भी खरा उतरू सझम हूं कितना मै ये आप... Hindi · कविता 695 Share Vindhya Prakash Mishra 25 Aug 2017 · 1 min read चलो पग साधकर साथी चलो पग साधकर साथी सुनहरे स्वप्न पूरे हो नये आकाश तक पहुंचो पूरे कार्य हो जो अधूरे हो नया संकल्प हो मन मे नूतन सोंच हो मेधा मे चलो बदलाव... Hindi · कविता 234 Share Vindhya Prakash Mishra 25 Aug 2017 · 1 min read कलमकार लेखनी साथ है मेरे अमूर्त. चिंतन का पोषक हूं लिपि का उभार देता हूं अात्माभिव्यक्ति का प्रेषक हूं माली हूं बाल बाग का वाक् विचार का रागी हूं अपने कृति... Hindi · कविता 284 Share Vindhya Prakash Mishra 24 Aug 2017 · 1 min read काँटो का सेतु बनाकर चलने में ही मस्ती है । जीत हार से न घबराए ऐसी मेरी हस्ती है । तूफानो से पार लगाए ऐसी मेरी कस्ती है। कांटे भी मुझे राह सुझाए पल पल भले ही हो बाधाएँ काटो... Hindi · कविता 554 Share Vindhya Prakash Mishra 23 Aug 2017 · 1 min read बचपन के घरौदे बचपन के घर ही अच्छे थे बटवारे का नही बिवाद एक साथ सब मिलकर रहते विभाजन की नही दिवाल खुशिया है हरएक भाग मे नही उठा है कोई सवाल यह... Hindi · कविता 197 Share Vindhya Prakash Mishra 23 Aug 2017 · 1 min read विज्ञान तेरी हार है। जब तक है दूषित पानी हवाओं में प्रदूषण की भरमार विज्ञान की हार है विज्ञान की हार है बढता है तापमान हाफता संसार है विज्ञान की हार है विज्ञान की... Hindi · कविता 1 273 Share Vindhya Prakash Mishra 21 Aug 2017 · 2 min read भ्रमित होता युवा आज युवा पीढ़ी की बात की जानी अधिक प्रासंगिक हो गयी है । पर जब भी आज के युवा पर हमारी निगाह जाती है ।कही तेज गाडी दौडाते हुए ।गाने... Hindi · लेख 741 Share Vindhya Prakash Mishra 21 Aug 2017 · 1 min read साथियों हम है बेरोजगार साथियों हम है बेरोजगार कर्म कर मेहनत से भरपूर दौड दौड कर थकित हो चूर पूरे एम ए पास साथियों हम है बेरोजगार कागज पत्तर भरे पडे है घन्टो से... Hindi · कविता 1 269 Share Vindhya Prakash Mishra 20 Aug 2017 · 1 min read बडे राज बडे ही राज रक्खे है दिलों मे दबा करके कभी कह दो बहाने से मौका पा करके कभी तो खोलिये कुछ राज की गठरी बहुत कुछ कह रही आंखे जरा... Hindi · शेर 660 Share Vindhya Prakash Mishra 19 Aug 2017 · 2 min read चिंतन की दिशा चिंतन की दिशा । हम सब मानव प्राणी जितने सामाजिक माने जाते हैं उतने ही विचारशील भी। सोचते तो सभी है पर क्या सोचना है कैसे सोचना है यह हम... Hindi · लेख 757 Share Vindhya Prakash Mishra 18 Aug 2017 · 1 min read सदा सत्य का भान जरूरी चिंतन के पोषक है हम सब; सत्य कथन का ज्ञान जरूरी| अमूर्त बिम्ब के शोधक है हम; सब तथ्य मान का भान जरूरी| अध्येता की वृत्ति के पोषक; मेधा का... Hindi · कविता 283 Share Vindhya Prakash Mishra 18 Aug 2017 · 1 min read करतब नही दिखाना कर्तव्य कर रहा हूं करतब नही दिखाना कौशल की कामना है प्रतिभा नही दिखाना कम ही मिला भले ही कम कामना रही है जीवन है छोटा समझो इसको नही गंवाना... Hindi · कविता 516 Share Vindhya Prakash Mishra 17 Aug 2017 · 1 min read बचपन के दिन की यादें बचपन के दिन की यादे प्यारी सी तोतली बाते नही चाह नही परवाह खुशी भरी थी दिन व रातें आगे की परवाह न थी न पछतातें बीती बातें मस्त मगन... Hindi · कविता 499 Share Vindhya Prakash Mishra 17 Aug 2017 · 1 min read एक दीपक ही अंधेरा निगल जायेगा बचकर चलते रहो ठोकरें देखकर जमाना कभी तो बदल जायेगा कांटे कितने पडे बडी बाधा बने फिर तो कांटे से कांटा निकल जायेगा ये अंधेरा घना जानपर आ बना एक... Hindi · कविता 370 Share Vindhya Prakash Mishra 16 Aug 2017 · 2 min read "बच्चे को बच्चा ही समझे" किसी ने सच कहा है "बच्चों को बच्चा ही समझे" बडो जैसी अपेक्षाए पालना उनकी कोमलता के साथ निरर्थक ज्यादती ही होगी। शिक्षा के निजीकरण के कारण दिखावेपन की होड... Hindi · लेख 774 Share Vindhya Prakash Mishra 16 Aug 2017 · 1 min read माँ (एक शब्द महान) माँ एक शब्द महान जिससे जन्म लिए इंसान । माँ ममता की खान माँ मे समाया सारा जहान । माँ ममता की मूरत माँ की भोली है सूरत। माँ ही... Hindi · कविता 1 836 Share Vindhya Prakash Mishra 15 Aug 2017 · 1 min read मुमकिन है। मुमकिन है सही करके गलत कहा जाऊ सम्भव है गिर गिर कर कही थक भी जाऊ मुमकिन है पढ कर भी अन्जाना रह जाऊ सम्भव नही कोशिश करने से हट... Hindi · कविता 367 Share Vindhya Prakash Mishra 15 Aug 2017 · 1 min read मुखौटा मुखौटा पहने है लोग यहां सच की कैसे पहचान करे बाहर से अमृत है दिखता अंदर से पूरे गरल भरे इंसान आज दुर्लभ है जग मे रोज ठगे घर मे... Hindi · कविता 268 Share Vindhya Prakash Mishra 15 Aug 2017 · 1 min read पत्ता पत्ता सीख दे रहा। सूरज की है सीख अंधेरे से बाहर आना सीखो चांद की है सीख रात मे मुस्कुराना सीखो तारे देते सीख जियो जगमग जीवन मे फूलो की है सीख जियो जबतक... Hindi · कविता 685 Share Vindhya Prakash Mishra 14 Aug 2017 · 1 min read क्या गरीबी वंशानुक्रम से आती रहेगी क्या विडम्बना है जो हाथ लोगो को कमाकर देते हैं ।वही दूसरो की तरफ हाथ फैलाते है। जो व्यक्ति श्रमकर पोषण की व्यवस्था करता है उसके बच्चों को भूखो सोना... Hindi · लेख 447 Share Vindhya Prakash Mishra 14 Aug 2017 · 1 min read हँसते हँसते जीना है हमने संघर्षो से जीवन जीना सीखा है हमने भी कठिन परिश्रम से सुख का मोती बीना है। अब तक मै मित्र जान चुका जीवन रहस्य पहचान चुका हसते हसते मरना... Hindi · कविता 304 Share Vindhya Prakash Mishra 14 Aug 2017 · 1 min read हम अपना भार उठाते है हम अपना भार उठाते है जीवन की गाडी ठीक नही पर उसे रोज बनाते है | कभी दाल भात मिल जाता है कभी सूखी रोटी खाते है| हम अपना भार... Hindi · कविता 383 Share Vindhya Prakash Mishra 14 Aug 2017 · 1 min read ये देश तरक्की वाला है ये देश तरक्की वाला है बीमार को दवा न मिलती पग पग पर मधुशाला है ये देश तरक्की वाला है हाय हाय गरीब कर रहे पल पल असहाय मर रहे... Hindi · कविता 525 Share Vindhya Prakash Mishra 14 Aug 2017 · 1 min read असल में नकली नकली का जब हुआ प्रसार असली अपना अस्तित्व खो गया बिकता रहा हाट मे हरपल सही दूर दुर्लभ हो गया कोई नही गलत को कहता मिलावट का पूरा व्यापार हो... Hindi · कविता 259 Share Vindhya Prakash Mishra 14 Aug 2017 · 1 min read आंखें नही बात है शब्द नही है कुछ समझाया आंखों ने मौन होंठ ने भी बात कही है कही इसारे रहे बोलते संकेतो से बात कही है केवल होठ ही नही... Hindi · कविता 371 Share Vindhya Prakash Mishra 13 Aug 2017 · 1 min read बीता पल फुर्सत के पल में बैठे तो, याद आ गई बीते पल की। कितने सुखद अनुभूति हो चली, बीत गया जो कल की। यह जीवन अनमोल पलो को, भूल गया था... Hindi · कविता 333 Share Vindhya Prakash Mishra 13 Aug 2017 · 1 min read मै नेता हूँ । मै नेता हूँ । लोगों को बेवकूफ बनाकर वोट लेता हूँ । मै नेता हूँ । अपराधी का मै साथी पर कानून बनाता हूँ । मै नेता हूँ । कितने... Hindi · कविता 1 815 Share Vindhya Prakash Mishra 13 Aug 2017 · 1 min read छोटा जीवन हमने छोटे जीवन मे बडे कर्म करके देखे हैं । हमने अपने आप से भी गलती पर लडकर देखे हैं । सही गलत का भेद बताया जो सबने वही बात... Hindi · कविता 257 Share Vindhya Prakash Mishra 13 Aug 2017 · 1 min read मै अकेला न था राह था साथ मे मै अकेला न था राह था साथ मे मै तो हारा न था कुछ मिला हाथ मे जो श्रमित हो मिला वो तो मोती सदृश पर इच्छित मिला बात ही... Hindi · कविता 241 Share Previous Page 7 Next